चित्रकूट के जंगल में मारा गया 'गौरी यादव' कुख्यात डकैत कैसे बना, जानें उसके डाकू बनने की कहानी
गौरी यादव बुंदेलखंड का सबसे कुख्यात डैकत था, उसपर 60 मुकदमें दर्ज थे. डकैत UP और MP की पुलिस के लिए सिरदर्द बन चूका था
उत्तरप्रदेश का कुख्यात डकैत गौरी यादव आखिरकार उप्र STF के हाथों एनकाउंटर में मारा गया। डकैत UP और MP की पुलिस के लिए सिरदर्द बन चूका था और उसे मारने के लिए UP पुलिस कई सालों से उसकी तलाश में जुटी हुई थी। वो इतना क्रूर और खतरनाक था की उसके खिलाफ अलग अलग थानों में 60 मुकदमें कायम थे। उत्तरप्रदेश सरकार ने उसपर 5 लाख और MP की सरकार ने 50 हज़ार का इनाम घोषित किया था। पिछले 20 साल से गौरी यादव का प्रकोप बरकरार था। लेकिन वो डकैत कैसे बना उसके साथ ऐसी क्या घटनाएं हुईं जो उसने एक डाकू बनने का फैसला किया आइये जानते हैं।
गौरी यादव कैसे बना डकैत
साल 1992 की बात है जब चित्रकूट के जंगलों और गावों में खूंखार डकैत ' ददुआ' का प्रकोप था। उस वक़्त बंदा, कर्वी, चित्रकूट, और मानिकपुर में उसका खौफ देखने को मिलता था। चित्रकूट के बहिलपुरवा में ड्यूटी करने वाले इंस्पेक्टर ने ददुआ की एक्टिविटी जानने और उसे पकड़ने के लिए गौरी यादव को अपना मुखबिर बनाया था। गौरी यादव पुलिस की मदद करने के लिए डैकत ददुआ और उसके गिरोह के संपर्क में रहता था, लेकिन उसे डकैतों का जीवन ज़्यादा पसंद आया तो उसने भी दस्यु गैंग को ज्वाइन कर लिया और पुलिस का ही दुश्मन बन गया। पुलिस ने उसे हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी उसे डकैतों से बचने के जो हथकंडे सिखाए उनका इस्तेमाल गौरी यादव पुलिस के खिलाफ ही करने लगा।
जेल से रिहा हुआ तो अपना गैंग बना लिया
साल 2001 से गौरी यादव ने गुनाह करना शुरू कर दिया, उसने ददुआ और ठोकिया गैंग के साथ मिल कर कई अपरहरण किए, लोगों को मारा, फिरौती मांगी और सरकारी कार्यों में बाधा डालने सहित कई अपराध किए। उसके ऊपर MP और UP में 60 मामले दर्ज थे। जब डकैत ददुआ और ठोकिया को पुलिस ने एनकाउंटर में ठोंक दिया तो गौरी अकेला पड़ गया उसे पुलिस ने पकड़ कर जेल भेज दिया। साल 2008 में डकैत जेल गया और सीर्फ 2 साल के भीतर रिहा भी हो गया। इसके बाद उसने खुद की गैंग बनाई और डकैती का काम फिर से शुरू कर दिया।
पुलिस दरोगा को मार डाला था, 3 लोगों को जिन्दा जला दिया था
जेल के रिहा होने के बाद वो बिलहरी गांव में रहता था साल 2012 में एक चोरी के मामले में जाँच करने के लिए पहुंची दिल्ली पुलिस टीम के साथ गौरी यादव और उसके गैंग की मुठभेड़ हो गई। इस दौरान गौरी यादव ने पुलिस दरोगा को मार डाला और पुलिस की सरकारी रिवाल्वर भी चुरा लिया। ऐसा भी बताया गया है की 2016 में गौरी यादव ने गांव के ही 3 लोगों को बिजली पोल में बांधकर गोलियों ने भून दिया था। इतना ही नहीं 2017 में उसके ऊपर कुल्हुआ के जंगल में 3 लोगों को जिन्दा जला देने का भी आरोप लगा है। इसी कांड के बाद UP सरकार ने डकैत गौरी यादव के ऊपर इनाम घोषित किया था।
एनकाउंटर के बाद उसके पास AK-47 राइफल मिली है
UP पुलिस उसे पकड़ने के लिए कई सालों से सर्च ऑपरेशन चला रही थी। STF की टीमों ने चित्रकूट के जंगलों में उसे पकड़ने के लिए गश्त लगाना शुरू कर दिया था। एनकाउंटर के 3 दिन पहले STF को क्ल्यु मिला जिसमे मुखबिर ने बताया की गौरी यादव अपने गाँव बहिलपुरवा आने वाला है। इस टिप के मिलने के बाद टीम एक्टिव हो गई और एनकाउंटर की योजना बनाने लगी। गौरी इस बार भागने ना पाए इसी लिए खुद एडीजी एसटीफ अमिताभ यश ने इस ऑपरेशन में लीड करने के लिए चित्रकूट में अपना डेरा जमा लिया।
30 अक्टूबर को भोर के वक़्त करीब 3:30 बजे के आसपास STF का गौरी से सामना हुआ, दोनों तरफ से कई राउंड गोलियां चलीं और ये मुठभेड़ कुख्यात डकैत गौरी यादव कीआखिरी मुठभेड़ साबित हुई। उसे STF के जवानों ने मार गिराया, उसके पास AK-47 राइफल बरामद हुई है जिसका इस्तेमाल या तो फ़ौज करती है या फिर आतंकवादी। गौरी यादव के पास ये राइफल कहाँ से आई ये जाँच का विषय है।