IPL के टाइटल प्रायोजक से हटी चीनी मोबाइल कंपनी vivo, पढ़िए पूरी खबर

IPL के टाइटल प्रायोजक से हटी चीनी मोबाइल कंपनी vivo, पढ़िए पूरी खबर नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सीमा तनाव का असर अब खेलों पर दिखाई देने

Update: 2021-02-16 06:27 GMT

IPL के टाइटल प्रायोजक से हटी चीनी मोबाइल कंपनी vivo, पढ़िए पूरी खबर

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सीमा तनाव का असर अब खेलों पर दिखाई देने लगा है । इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की टाइटल प्रायोजक चीन की मोबाइल कंपनी वीवो भारत में उठे कड़े विरोध स्वर के बाद आईपीएल के 2020 सत्र में टाइटल प्रायोजन से हटा दी गई है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने आईपीएल के 13वें संस्करण को 19 सितम्बर से 10 नवम्बर तक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में कराने की घोषणा की है। आईपीएल की संचालन परिषद ने गत रविवार को यह घोषणा करने के साथ बताया था कि वीवो सहित उसके सभी प्रायोजकों को बरकरार रखा गया है लेकिन इसके बाद देश में विरोध के स्वर उठे कि कैसे बीसीसीआई एक चीनी कंपनी को आईपीएल का टाइटल प्रायोजक बनाये रख सकती है जबकि सीमा पर चीन के साथ तनाव में भारतीय सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। 

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क्रिकइंफो के अनुसार वीवो इस सत्र से हट गई है। हालांकि बीसीसीआई और वीवो ने अभी तक आधिकारिक रूप से कोई घोषणा नहीं की है। यह खबरें हैं कि वीवो आईपीएल के टाइटल प्रायोजक के रूप में 2022 और 2023 सत्र में लौट सकती है। यह भी खबर है कि बीसीसीआई 2020 सत्र के टाइटल प्रायोजन के लिए आगामी दिनों में निविदा जारी कर सकती है।
वीवो ने 2017 में पांच साल (2018-2022) के लिए आईपीएल टाइटल प्रायोजन का करार 2199 करोड़ रुपए में खरीदा था। बीसीसीआई को एक सत्र में वीवो से 440 करोड़ रुपए मिलते हैं। जून में भारत और चीन के बीच राजनीतिक तनाव के बाद बीसीसीआई ने कहा था कि आईपीएल से सम्बंधित प्रायोजन करार की समीक्षा करेगा लेकिन भारतीय बोर्ड ने किसी ब्रांड का नाम नहीं लिया था।

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तीन दिन पहले आईपीएल की संचालन परिषद की बैठक के बाद बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने बयान जारी कर कहा था कि आईपीएल 19 सितम्बर से 10 नवम्बर तक यूएई में खेला जाएगा और वीवो इसका टाइटल प्रायोजक होगा।
इस बीच कई फ्रैंचाइजी का कहना है कि आईपीएल ने उन्हें अभी कोई सूचना नहीं दी है। समझा जाता है कि हर फ्रैंचाइजी को वीवो अनुबंध से 20 करोड़ रुपए मिलते हैं। वीवो ने 2015 में दो वर्ष के लिए आईपीएल का टाइटल प्रायोजन हासिल किया था और फिर उसे 2017 में पांच साल के लिए बरकरार रखा था।
[विपन तिवारी की रिपोर्ट]

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