SIDHI की आरती ने जनता के लिए एक कविता लिखी, पढ़िए ....

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Update: 2021-02-16 06:13 GMT
सीधी : सीधी की रहने वाली आरती त्रिपाठी ने कई ऐसी कविता लिखी है जो लोगो को बहुत भा रही है | आइये पेश करते है उनकी कुछ कविताये -

अब रूहों से रूहों का, 

जहाँ में इकरार नहीं होता।

प्यार तो होता है जमाने में,
पर प्यार सा प्यार नहीं होता।
व्यापारी बन बैठा ये जमाना,
है रूप और शोहरत का दीवाना।
खूब छलकते है ख्वाहिशों के जाम,
मगर हकीकत का दीदार नहीं होता।
ख्वाहिश मंदो की ख्वाहिश है,
मोहब्बत अब सिर्फ नुमाइश है।
वक्त गुजारने पेड़ों पर आते हैं परिंदे,
अब घोंसला दरख्तों का तलबगार नहीं होता।
जिस्मों से जिस्मों तक का प्यार है,
मोहब्बत टूटे आइनो का व्यापार है।
इन आइनो में बसे चेहरों के ऊपर,
अब कोई भी भाव दमदार नहीं होता।
मन से उतर जाती है मनमानियां,
याद आती है जब वफा की बेइमानियां।
बेवफाई के नुकीले दामन में अब,
वफा के फूलों सा किरदार नहीं होता।
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पलकों के शामियाने में जब, 
ख्वाब कोई उतरता है। 
ये दिल जब राहों में किसी के, 
तन्हा तन्हाई में भटकता है। 
खो जाती हु तब मै रात की, 
काली चादर की गहराई में। 
जब बनके चाँद कोई दिल के, 
गलियारों से मेरे गुजरता है। 
मेरी नींदों का कारवाँ न जाने, 
कहाँ जाकर भटकता है। 
सारी रात रतजगे होते है, 
सपने कब नींदो के सगे होते है। 
मै भी जलती हूँ रात सारी, 
जब दिल दिए सा जलता है। 
 बिरहन के सूने दिल का श्रृंगार, 
मौसम भला कब करता है। 
टूट जाती है सारी सीमायें, 
जब किनारा लहरों के सीने में। 
सर अपना पटकता है, 
जीने के लिए सहारों की कमी नहीं। 
रह जाती इस पूरे ज़माने में, 
फिर भी किसी एक को खोकर। 
न जाने क्यों ये दिल न जीता है, 
न ही चैन से कभी मरता है। 
आरती त्रिपाठी
मध्य प्रदेश 

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