MP: अब नहीं काटने पड़ेंगे कोर्ट के चक्कर, सीमांकन व डायवर्सन होगा आसान

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Update: 2021-02-16 05:59 GMT

25 सितंबर से प्रभावशील होगा मप्र भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम-2018

भोपाल। मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम-2018 आगामी 25 सितंबर से प्रभावशील होगा। राज्य शासन द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। संशोधन अधिनियम को गत 19 जून को शिवराज कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इसे विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया गया था।

इस अधिनियम के प्रभावशील होने के बाद जमीन का नामांकन, सीमांकन व डायवर्सन कराने के लिए लोगों को सिविल कोर्ट के चक्कर नहीं काटना पड़ेंगे। इसके लिए भू राजस्व संहिता, 1959 की 122 धाराओं में संशोधन किए गए हैं।

नामांतरण ऐसे होगा आसान

सितंबर से जमीन के नामांतरण की प्रक्रिया तब पूरी मानी जाएगी, जब आवेदक का रिकॉर्ड भी संशोधित हो जाएगा और उसकी एक नि:शुल्क कॉपी आवेदक को मिल जाएगी। अभीतक नामांतारण का आदेश पास हो जाता है, लेकिन रिकॉर्ड में नहीं आता। आवेदक को कॉपी प्राप्त नहीं होती।

सीमांकन में यह बदलाव

अब सीमांकन के लंबित मामलों के निराकरण के लिए अधिकृत एजेंसियों की मदद ली जा सकेगी। सीमांकन के लिए उन्हें अधिकृत किया जा रहा है। यदि दोनों पक्षों में कोई विवाद की स्थिति बनी तो तहसीलदार हस्तक्षेप करेगा। यदि उनके निर्णय से संतुष्टि नहीं हुई तो आवेदक एसडीओ के यहां अपील कर सकेंगे। वह चाहेगा तो टीम बनाकर सीमांकन करा सकेगा। उसके बाद कहीं अपील नहीं होगी। अभी सीमांकन का काम राजस्व निरीक्षक करते हैं। मामले वर्षों तक लंबित रहते हैं।

डायवर्सन प्रक्रिया में बदलाव

अब जमीन के डायवर्सन के लिए आवेदक को भटकना नहीं पड़ेगा। मास्टर प्लान में समान लैंड यूज होने पर आवेदक डायवर्सन के लिए ऑनलाइन आवेदन भरकर फीस जमा कर रसीद ले सकेगा। इस रसीद को ही डायवर्सन का प्रमाण माना जाएगा। किसी कार्यालय से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं होगी।

बंटवारा प्रक्रिया में यह बदलाव

भूमि स्वामी जीवन काल में अपने लिए भूमि बचाकर पुत्र/पुत्रियों को भूमि का बंटवारा कर सकेगा। अभी तक भूमि स्वामी जीवनकाल में भूमि का बंटवारा नहीं कर पाता, मृत्यु के बाद ही बंटवारा होता है।

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