मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष : विंध्य-महाकौशल के इन 7 में से किसी एक की हो सकती है ताजपोशी

भोपाल. 10 नवम्बर को आए विधानसभा उप चुनाव के परिणाम की वजह से मध्यप्रदेश में भाजपा पूर्ण बहुमत पर आ गई है. अब प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष और

Update: 2021-02-16 06:39 GMT

भोपाल. 10 नवम्बर को आए विधानसभा उप चुनाव के परिणाम की वजह से मध्यप्रदेश में भाजपा पूर्ण बहुमत पर आ गई है. भाजपा के खाते में अब 126 सीटें हैं. अब प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष और मंत्री पदों की चर्चा तेज हो गई है.

बताया जा रहा है शिवराज सरकार जल्द ही विधानसभा सत्र बुला सकती है. परन्तु विधानसभा अध्यक्ष कौन होगा इस पर अभी संशय बरकरार है. राज्य में विधानसभा स्पीकर पद की चर्चाएं भी तेज हो गई है. भाजपा के पास इस पद के लिए बहुत उम्मीदवार है और यही भाजपा के लिए सरदर्द बन रहा है.

विंध्य-महाकौशल दौड़ में आगे

माना जा रहा है इस बार विधानसभा अध्यक्ष विंध्य या महाकौशल से होगा. विंध्य ने भाजपा को सत्ता में बैठाने में जहाँ अहम् भूमिका निभाई है, वहीं महाकौशल ने भी औसत सीटें भाजपा की झोली में डालकर सरकार बनाने में मदद की है. इस वजह से दोनों ही क्षेत्र विधानसभा अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं. मंत्री बिसाहूलाल सिंह तो खुलकर विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष होने की बात कह चुके हैं. वहीं सूत्रों की मानें तो भाजपा का आलाकमान भी विंध्य और महाकौशल से ही विस अध्यक्ष पद के लिए चेहरा देख रही है.

विंध्य से राजेंद्र शुक्ल प्रबल दावेदार

राजेंद्र शुक्ल शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं. क्षेत्र में लोकप्रिय होने के साथ साथ साफ़ सुथरी छवि वाले नेताओं में उनकी गिनती होती है. वे रीवा से चौथी वार विधायक चुने गए हैं. मंत्री पद में रहते हुए उन्होंने विंध्य के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. हांलाकि क्षेत्र के लोग उन्हें केबिनेट मंत्री के तौर पद एक बार फिर देखना चाहते हैं, पर वे विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए भी अच्छे दावेदार हो सकते हैं. राजेंद्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की टीम का अहम हिस्सा रहें हैं, इसलिए सीएम उन्हें केबिनेट में ही देखना चाहेंगे.

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केदार शुक्ला

सीधी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक केदार शुक्ला का नाम भी विधानसभा अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है. उनके मंत्री बनने की चर्चा भी हैं. लेकिन वरिष्टता के आधार पर केदार शुक्ला को विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है.

नागेंद्र सिंह

सतना जिले की नागौद विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक नागेंद्र सिंह भी विधानसभा अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं. नागेंद्र सिंह इससे पहले शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं. 2014 में वे खजुराहो लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं. विंध्य में जातिगत समीकरण साधने के लिए उन्हें इस पद का दावेदार माना जा रहा है.

महाकौशल से अजय विश्नोई

जबलपुर जिले की पाटन विधानसभा सीट से पांचवीं बार विधायक बने अजय विश्नोई का नाम भी विधानसभा अध्यक्ष की रेस में आगे चल रहा है. विश्नोई मंत्री न बनाए जाने से नाराज भी बताए जा रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार पर बयान देते हुए सीएम शिवराज को क्षेत्रीय सतुलंन बनाए रखने की बात कही थी. माना जा रहा है कि महाकौशल से ज्यादा मंत्री न होने की वजह से अजय विश्नोई को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है.

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सीतासरन शर्मा

होशंगाबाद से छटवीं बार विधायक चुने गए सीतासरन शर्मा का नाम भी इस रेस में शामिल हैं. वे पंद्रहवी विधानसभा में अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी होने के चलते उन्हें पार्टी एक बार फिर से इस पद पर बैठा सकती है.

यशपाल सिंह सिसोदिया

मंदसौर सीट से विधायक बने यशपाल सिंह सिसोदिया के नाम की चर्चा भी विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चल रही है. सिसोदिया को मंत्री बनाए जाने की बात भी सामने आई थी. लेकिन जगदीश देवड़ा और हरदीप सिंह डंग के मंत्री बनने से उनका पत्ता कट गया. लिहाजा अब जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उनके नाम की चर्चा भी इस पद के लिए चल रही है.

गिरीश गौतम या गौरीशंकर बिसेन

वही रीवा जिले की देवतालाब सीट से विधायक गिरीश गौतम और बालाघाट सीट से विधायक गौरीशंकर बिसेन को भी विधानसभा अध्यक्ष पद का दावेदार माना जा रहा है. गिरीश गौतम विंध्य से आते हैं तो बिसेन महाकौशल अंचल से आते हैं. लिहाजा क्षेत्रीय समीकरण और वरिष्टता के अधार पर दोनों में से किसी एक नेता को यह पद दिया जा सकता है.

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फिलहाल रामेश्वर शर्मा है सामयिक विधानसभा अध्यक्ष

बीजेपी की सरकार बनने के बाद भोपाल की हुजूर सीट से बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा प्रोटेम स्पीकर के तौर पर विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. माना जा रहा है कि शिवराज सरकार अब जल्द ही इस पद के लिए स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी.

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