विंध्य की सीटों में सट्टा बाजार ने लगा दिया भाव, भाजपा-कांग्रेस को मिलेंगी इतनी सीट तो वही मध्यप्रदेश में ये रहा अनुमान.....
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प्रदेश में पारे का प्रहार बरकरार है। वहीं, चुनाव के अंतिम दौर में पहुंचने से सियासी गर्मी भी बढ़ती जा रही है। चुनाव को लेकर रोजाना सट्टा बाजार के भाव उमीदवारों और उनके समर्थकों की धडक़न ऊपर-नीचे किए हुए हैं। इसके साथ ही राजनीतिक विश्लेषक भी इन भावों पर निगाह जमाए बैठे हैं। विंध्य की रीवा, सीधी और सतना संसदीय सीट को लेकर सट्टा बाजार पर भी ‘सियासी’ बुखार चढ़ा है। इन सीटों पर स्टोरिये जहां प्रत्याशियों की हार-जीत पर गेम खेल रहे हैं, वहीं प्रदेश में कौन पार्टी कितनी सीटें जीतेगी और देश में कौन पार्टी सरकार बनाएगी पर भी सट्टा लगाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सट्टा बाजार का एक ट्रेंड होता है कि जो पार्टी जितनी कमजोर होती है या जिसके जीतने की संभावनाएं जितनी कम होती हैं, उसका भाव उतना ही अधिक होता है। कुछ ऐसा ही इन दिनों प्रदेश की राजनीति में भी देखने को मिल रहा है। चुनावों के मौसम में सट्टा बाजार में हलचल बढऩे लगी हैं।
देश की सबसे बड़ी सट्टा मार्केट महाराष्ट्र के नागपुर को जाना जाता है। यहां से सट्टा का गंदा खेल शुरू होकर मध्यप्रदेश के इन्दौर, भोपाल से होकर विंध्य तक पहुंच चुका है। इस सट्टा बाजार में फिलहाल भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने अपने भाव जारी किए हैं। अब बारी है जनता की ओर से बोलियां लगने यानी वोट देने की, विंध्य की सभी लोकसभा सीटों में मतदान सपन्न हो चुका है, लेकिन अभी प्रदेश की कई महत्वपूर्ण सीटों में मतदान होना अभी शेष है। राजनीतिक दलों के मुखिया हो या फिर कोई अन्य नेता, आजकल सट्टा बाजार के घटत-बढ़त भी उनके मुंह पर आ ही जाते हैं। टिकट वितरण, नाम वापसी के साथ बड़े नेताओं की सभाओं और उनके भाषणों के चलते बाजार में उतार-चढ़ाव आता रहा है।
सूत्रों के अनुसार सट्टा बाजार में कांग्रेस और भाजपा को लेकर उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। विंध्य में सपन्न हुई मतदान के बाद अब सट्टा बाजार के भाव लगने लगे है, सट्टा बाजार में भी विंध्य में कांग्रेस व भाजपा के बीच जबरदस्त टकर है। सट्टा बाजार में विंध्य की सियासत पर कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है, चूंकि कांग्रेस का ााव भाजपा से कम है। किस पार्टी का कितना भाव भाजपा की 200 सीटों का भाव 11 पैसे चल रहा है। इसका मतलब है अगर आप एक लाख रुपये लगाते हैं और अगर भाजपा की 200 सीटें आ जाती हैं तो 11 हजार रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। जबकि 200 सीटें नहीं आती हैं तो आपको एक लाख रुपये खोने पड़ेंगे। कुल मिलाकर सट्टा बाजार में जिस पार्टी के भाव कम होते हैं, उसकी जीत की संभावना अधिक होती है।