रीवा / खुले आसमान के तले खड़ी किसानों की फसल पर उमड़-घुमड़ रही प्राकृतिक आपदा

रीवा। किसानों की फसल लगभग पकने की कगार पर खड़ी है तो आसमान में आपदा भी उमड़-घुमड़ रही है। जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। किसानों की फसल पर प्रकृति भी आसमान से वक्र दृष्टि डालने की फिराक में है। जिससे किसान अब चिंतित हो उठा है। बुधवार को मौसम का अचानक मिजाज बदला और जिले कई क्षेत्रों में बूंदाबांदी, आधी-तूफान के साथ ओले पड़ गये। हालांकि अभी ज्यादा नुकसान की जानकारी नहीं मिली है लेकिन मौसम ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। मनगवां क्षेत्र के कई गांवों के साथ ही नईगढ़ी, त्योंथर क्षेत्रे के गांवों में ओले पड़ने की जानकारी मिली है।

Update: 2021-03-11 16:13 GMT

रीवा। किसानों की फसल लगभग पकने की कगार पर खड़ी है तो आसमान में आपदा भी उमड़-घुमड़ रही है। जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। किसानों की फसल पर प्रकृति भी आसमान से वक्र दृष्टि डालने की फिराक में है। जिससे किसान अब चिंतित हो उठा है। बुधवार को मौसम का अचानक मिजाज बदला और जिले कई क्षेत्रों में बूंदाबांदी, आधी-तूफान के साथ ओले पड़ गये। हालांकि अभी ज्यादा नुकसान की जानकारी नहीं मिली है लेकिन मौसम ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। मनगवां क्षेत्र के कई गांवों के साथ ही नईगढ़ी, त्योंथर क्षेत्रे के गांवों में ओले पड़ने की जानकारी मिली है।

किसानों ने बताया है कि अलसी, राई, मसूर की फसल पक चुकी है जिसकी कटाई की तैयारी में किसान जुटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि अभी जो ओलावृष्टि हुई है उससे ज्यादा नुकसान तो नहीं है लेकिन यदि मौसम का मिजाज आगे भी यही रहा तो किसानों को काफी नुकसान हो सकता है। 

साल दर साल खेती-किसानी पर पड़ रही प्राकृतिक आपदा की मार

देखा जा रहा है कि कुछ वर्षो से लगातार खेती-किसानी पर प्राकृतिक आपदा की मार पड़ रही है। जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कभी अतिवृष्टि तो कभी ओलावृष्टि तो कभी सूखे की मार किसान सहता आ रहा है। साल भर मेहनत करने के बाद जब खेती के पकने का समय आता है तभी प्राकृतिक आपदा आनी शुरू हो जाती है। वैसे भी किसान खाद, बीज के साथ ही बढ़ते डीजल-पेट्रोल के दाम के कारण कर्ज में डूबता जा रहा है। किसान पूरे वर्ष खेती के पकने और सलामत घर आने की आस में टकटकी लगाए बैठा रहता है, और प्राकृतिक आपदा के कारण उसके सारे अरमान मिट्टी मिल जाते हैं। एक बार फिर किसानों की पकी फसल खुले आसमान के नीचे खड़ी है तो आपदा उमड़-घुमड़ रही है। 

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