मनगवां तहसीलदार और नायब तहसीलदार को 25 हजार का जुर्माना, जानिए वजह...

रीवा। सूचना आयोग के निर्देश पर आरटीआई आवेदन में जानकारी न देना मनगवां तहसीलदार व नायब तहसीलदार को मंहगा पड़ सकता है। 28 जनवरी 2021 को एक सु

Update: 2021-02-16 06:46 GMT

रीवा। सूचना आयोग के निर्देश पर आरटीआई आवेदन में जानकारी न देना मनगवां तहसीलदार व नायब तहसीलदार को मंहगा पड़ सकता है। 28 जनवरी 2021 को एक सुनवाई में कृष्ण कुमार पटेल तहसील कार्यालय मनगवां के एक मामले में तत्कालीन नायब तहसीलदार सर्किल गढ़ पारसनाथ मिश्रा एवं तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सुश्री दीपिका पाव पर बड़ी कार्यवाही करते हुए 25 हज़ार प्रत्येक के हिसाब से दोनों अधिकारियों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया है और 8 फरवरी 2021 तक जवाब देने के लिए कहा है।

मामला एक सरकारी जमीन से संबंधित है जो आम रास्ता के लिए चिन्हित किया गया था परंतु गांव के ही कुछ दबंगों उस जमीन को अपने नाम करवा लिया। आवेदक कृष्ण कुमार पटेल निवासी अमिलिया ने जानकारी चाही कि जमीन कब तक सरकारी थी और कब प्राइवेट कब्जे में चली गई और उससे संबंधित नशा खसरा आदि दस्तावेज और उस आदेश की प्रमाणित प्रति चाही थी। लेकिन क्योंकि तहसील स्तर के अधिकारियों द्वारा मामले में घोटाला किया गया था इसलिए जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं करवाई गई और आवेदक को इधर से उधर राजस्व न्यायालय की तरह घुमाते रहे।

आरटीआई आवेदक कृष्ण कुमार पटेल द्वारा 5 सितंबर 2020 को नायब तहसीलदार सर्किल गढ़ पारसनाथ मिश्रा के समक्ष प्रस्तुत की गई जिसे 23 सितंबर 2020 को नायब तहसीलदार पारसनाथ मिश्रा ने तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सुश्री दीपिका पाव को अंतरित किया। इसके बाद पुन: उसी आरटीआई आवेदन को जानकारी देने के लिए तत्कालीन तहसीलदार दीपिका पाव ने नायब तहसीलदार सर्किल गढ़ पारसनाथ मिश्रा को 24 सितंबर 2020 को वापस कर दिया। इस प्रकार आरटीआई आवेदन एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय पोस्ट ऑफिस की तरह घूमता रहा और आवेदक को कोई जानकारी उपलध नहीं हो पाई।

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इसके उपरांत आवेदक ने एक माह की समय सीमा व्यतीत होने के बाद प्रथम अपील प्रस्तुत कर दी तब जाकर 11 नवंबर 2020 को अपीलार्थी कृष्ण कुमार पटेल को कुछ अधूरी जानकारी उपलब्ध करवाई गई जो कि पर्याप्त नहीं थी और मामले से संबंधित भी नहीं थी।

इससे व्यथित होकर आवेदक कृष्ण कुमार पटेल ने मामले की द्वितीय और अंतिम अपील मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत कर दी। 28 जनवरी 2021 को मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के समक्ष की गई सुनवाई में न तो तत्कालीन नायब तहसीलदार सर्किल गढ़ पारसनाथ मिश्रा और न ही तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सुश्री दीपिका पाव ही जानकारी उपलब्ध न करवाए जाने के पीछे कोई ठोस कारण दे पाए। जिसके चलते आयोग ने दोनों के ऊपर 25 हज़ार प्रत्येक के हिसाब से जुर्माने का कारण बताओ सूचना पत्र दोनो को जारी कर दिया है और 8 फरवरी 2021 को मामले की अंतिम तिथि निर्धारित कर दी है।

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बाबू ने भी लिए एक हजार

सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि आवेदक से मनगवां तहसील के बाबू नृपेंद्र तिवारी ने ऑनलाइन ट्रांजैशन के जरिए 1000 रुपए लिए थे जिसके एवज में जानकारी उपलध करानी थी। हांलाकि बाद में उसे उधार लेना बताया गया। पर ऐसा नहीं है। शिकायत कर्ता द्वारा रिसीप्ट भी प्रस्तुत की गई।

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