नकल के लिये तीन साल से तहसील का चक्कर लगा रहा किसान

रीवा। राजस्व विभाग भ्रष्टाचार के मामले में सबसे आगे है। पटवारी से लेकर कार्यालय में बैठा बाबू यहां तक की अधिकारीभी भ्रष्टाचार की आगोश में समाये हुये हैं। आश्चर्य की बात यह है कि लोकायुक्त द्वारा गिद्ध की भांति झपट्टा मार कर भ्रष्टाचारियों को आये दिन सबक सिखाते हैं उसके बावजूद भी राजस्व विभाग से भ्रष्टाचार का अंत नहीं हो रहा है। कोई किसान फैसले के लिए भटक रहा है तो कोई नकल के लिए। कुर्सी में बैठा बाबू जेब गरम करने के लिए किसानों को पेशी पर पेशी देते जाते है।

Update: 2021-03-10 00:06 GMT

रीवा। राजस्व विभाग भ्रष्टाचार के मामले में सबसे आगे है। पटवारी से लेकर कार्यालय में बैठा बाबू यहां तक की अधिकारीभी भ्रष्टाचार की आगोश में समाये हुये हैं। आश्चर्य की बात यह है कि लोकायुक्त द्वारा गिद्ध की भांति झपट्टा मार कर भ्रष्टाचारियों को आये दिन सबक सिखाते हैं उसके बावजूद भी राजस्व विभाग से भ्रष्टाचार का अंत नहीं हो रहा है। कोई किसान फैसले के लिए भटक रहा है तो कोई नकल के लिए। कुर्सी में बैठा बाबू जेब गरम करने के लिए किसानों को पेशी पर पेशी देते जाते है।

ऐसा ही मामला गुढ़ तहसील का आया है कि वृद्ध किसान अपने फैसले की नकल के लिए तीन साल से तहसील का चक्कर काट रहा है। लेकिन उसके हाथ आज तक फैसले की नकल नहीं लगी। यहां तक कि नकल दिये जाने के लिए तहसीलदार से लेकर एसडीएम तक ने आदेशित किया। लेकिन राजस्व अधिकारियों को आदेश का असर गुढ़ तहसील में बैठे बाबू पर नहीं पड़ा। तहसील क्षेत्र के ग्राम खजुहा निवासी 76 वर्षीय वृद्ध किसान जगदीश प्रसाद पांडेय ने हल्का पटवारी और तहसील के लिपिक पर विरोधियों को जमीनी लाभ दिलाये जाने का आरोप लगाया है। कृषक जगदीश प्रसाद पांडेय ने बताया कि गांव के आराजी नबंर 1467 एंव 1468 कुल रकवा 17 डिसमिल का विवाद अवधेश पांडेय पिता उमाशंकर से तहसील न्यायालय में चल रहा था। जिसका निर्णय 23 अगस्त 2017 को उनके पक्ष में हुआ था।

उक्त फैसले की नकल लेने के लिए बीते तीन साल से भटक रहा। जिसके लिए आवेदन तहसील से लेकर एसडीएम तक गुहार लगाई। लेकिन मठाधीश की तरह कुर्सी में बैठे बाबू को कोई असर नहीं पड़ा। आखिरकार पीडि़त किसान को कलेक्टर का दरवाजा खटखटाना पड़ गया।

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