रीवा के TRS कॉलेज में 'हिन्दी पत्रकारिता दिवस' पर संगोष्ठी, राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक यथार्थ पर हुआ गहन मंथन

रीवा स्थित शासकीय ठाकुर रणमत सिंह (टीआरएस) महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा गठित 'हिंदी क्लब' के तत्वावधान में 'हिन्दी पत्रकारिता दिवस' के अवसर पर एक बौद्धिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।;

Update: 2025-05-31 03:53 GMT

मध्य प्रदेश के रीवा स्थित शासकीय ठाकुर रणमत सिंह (टीआरएस) महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा गठित 'हिंदी क्लब' के तत्वावधान में शुक्रवार, 30 मई, 2025 को 'हिन्दी पत्रकारिता दिवस' बड़े उत्साह और वैचारिक गंभीरता के साथ मनाया गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर "हिन्दी पत्रकारिता: राष्ट्रीय और साहित्यिक चेतना का संवाहक एवं सामाजिक यथार्थ की अभिव्यक्ति" विषय पर एक विचारोत्तेजक बौद्धिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण के साथ हुआ। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य हिन्दी पत्रकारिता के विभिन्न आयामों, उसके योगदान और वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डालना था।

पत्रकारिता और चेतना का अद्भुत संगम

कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह ने की। अपने सारगर्भित एवं प्रेरणादायक अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा, "पत्रकारिता के इस प्रगतिशील युग में हम यह स्पष्ट रूप से अनुभव करते हैं कि राष्ट्रीय चेतना और साहित्यिक चेतना एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर पल्लवित और पुष्पित हो रही हैं। विशेष रूप से साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात हुआ है, जो न केवल सामाजिक यथार्थ को निर्भीकतापूर्वक और सटीकता से अभिव्यक्त कर रही है, बल्कि समाज को एक सकारात्मक दिशा प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।"

पत्रकारिता समाज का सजीव प्रतिबिंब

संगोष्ठी की मुख्य वक्ता, डॉ. वंदना त्रिपाठी ने अपने गहन विचारों को साझा करते हुए कहा, "आधुनिक साहित्य की अनेक महत्वपूर्ण विधाओं की भांति ही हिन्दी पत्रकारिता भी एक नवीन और प्रगतिशील कोटि की है, जो समय के साथ निरंतर विकसित और परिष्कृत हो रही है। यह मुख्य रूप से हमारे समाज, हमारे जीवन-यापन करने वाले विभिन्न वर्गों की सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक गतिविधियों एवं हलचलों का एक सजीव और यथार्थपरक प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है। इस प्रकार, पत्रकारिता न केवल समाज का दर्पण है, बल्कि यह एक सजग प्रहरी और मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाती है।"

पत्रकारिता का नया आयाम और सामाजिक दर्पण

डॉ. विनोद विश्वकर्मा: कार्यक्रम में विशेष वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. विनोद विश्वकर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा, "पत्रकारिता आज हमारे दैनिक जीवन में एक नया और अत्यंत महत्वपूर्ण आयाम लेकर आई है। इसके सशक्त माध्यम से हम समाज के विभिन्न बिंदुओं, उसकी अनेक परतों, उसकी जटिलताओं और उसकी अच्छाइयों-बुराइयों को भली-भांति निष्पक्ष रूप से देख और समझ पाते हैं। यह हमें न केवल सूचित करती है, बल्कि विभिन्न मुद्दों पर एक सुविचारित राय बनाने के लिए जागरूक भी करती है।"

डॉ. प्रदीप विश्वकर्मा: विशेष वक्ता, डॉ. प्रदीप विश्वकर्मा ने अपने उद्बोधन में पत्रकारिता को 'सामाजिक यथार्थ का स्पष्ट आईना' की संज्ञा दी। उन्होंने कहा, "हिन्दी पत्रकारिता के निरंतर हो रहे विस्तार और उसकी बढ़ती हुई सुलभता के कारण आज संपूर्ण विश्व की महत्वपूर्ण और प्रासंगिक जानकारी प्रत्येक व्यक्ति तक अत्यंत सरलता और शीघ्रता से पहुंच रही है। यह सूचना क्रांति लोकतंत्र की मजबूती और नागरिक सशक्तीकरण के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है।"

इस ज्ञानवर्धक और विचारोत्तेजक संगोष्ठी का सफल और कुशल संचालन डॉ. अंशुला मिश्रा ने अपनी ओजस्वी वाणी से किया। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. ज्योति मिश्रा ने सभी उपस्थित अतिथियों, विद्वान वक्ताओं, सम्मानित प्राध्यापकों और बड़ी संख्या में उपस्थित छात्र-छात्राओं के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। इस महत्वपूर्ण अकादमिक कार्यक्रम में हिंदी विभाग के अन्य प्राध्यापकगण डॉ. अल्पना मिश्रा, डॉ. प्रियंका पांडेय, आरती कुशवाहा, सुदामा द्विवेदी सहित महाविद्यालय के विभिन्न संकायों के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और इस गंभीर चर्चा का लाभ उठाया।

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