पीएम की दो टूक- व्यर्थ नहीं जाएगी शहादत, जबाव मिलेगा, सेनाओं की मोर्चाबंदी बढ़ाई गयी

लद्दाख. चीन 43 सैनिक मारे गए हैं. इधर, देश के पीएम ने चीन को दो टूक में कहा है की 'हमारे सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाने देंगे, उन्हें माकू

Update: 2021-02-16 06:24 GMT

लद्दाख. चीन ने एक बार फिर बातचीत के बहाने भारत की पीठ में छूरा घोंपा है. 15-16 जून की दरम्यानी रात चीन ने भारत के 20 सैनिकों को मार दिया. वहीँ जबावी हमले में चीन को भी बड़ा नुकसान हुआ है. उसके 43 सैनिक मारे गए हैं. इधर, देश के पीएम ने चीन को दो टूक में कहा है की 'हमारे सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाने देंगे, उन्हें माकूल जबाव देंगे. 

बता दें एलएसी पर बढ़ रहे भारत-चीन सैन्य तनाव के बीच भारत ने सभी सीमाओं पर सेनाओं की मोर्चाबंदी बढ़ा दी है. तीनों सेना प्रमुखों को अलर्ट रहने के निर्देश हैं. पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में चीनी आर्मी के साथ खूनी झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की गंभीर घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश को भरोसा देते हुए चीन को आगाह किया कि चाहे कोई भी हालात हो भारत अपनी हर इंच जमीन की रक्षा करेगा. 

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प्रधानमन्त्री ने कहा है की- मैं देश को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. हमारे लिए भारत की अखंडता और संप्रभुता सर्वोच्च है और इसकी रक्षा करने से हमें कोई भी रोक नहीं सकता. भारत शांति चाहता है, लेकिन भारत उकसाने पर हर हाल में माकूल जवाब देने में सक्षम है. इस बारे में किसी को भी जरा भी भम्र या संदेह नहीं होना चाहिए.

भारत ने सैन्य और सामरिक मोर्चेबंदी बढ़ाई

गलवन घाटी में चीनी सैनिकों की चालबाजी को देखते हुए भारत ने भी चीन से लगी सभी सीमाओं पर अपनी सामरिक और रणनीतिक मोर्चेबंदी मजबूत करने की गति तेज कर दी है. इस लिहाज से लद्दाख समेत तमाम अग्रिम मोर्चे पर फौज की तैनाती पर्याप्त संख्या में सुनिश्चित करने के लिए इन इलाकों में सैनिकों को भेजा जा रहा है.

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कई सैन्य कमांड में बटालियनों को त्वरित संदेश मिलते ही तैनाती के लिए जाने को तैयार रहने को कहा गया है. सूत्रों का यह भी कहना है कि सामरिक चौकसी के मकसद के लिए किए जा रहे इन प्रयासों के तहत सेना के अलावा वायुसेना और नौसेना के कमानों को भी सतर्क कर दिया गया है.

संप्रभुता से समझौता नहीं 

पीएम मोदी ने चीन को कड़ा का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि भारत सांस्कृतिक रुप से एक शांति प्रिय देश है और हमारा इतिहास शांति का रहा है. सबके सुख-समृद्धि की कामना ही भारत का वैचारिक मंत्र रहा है. हमने हर युग में पूरे संसार में शांति की पूरी मानवता के कल्याण की कामना की है और अपने पड़ोसियों के साथ तरीके से मिलकर काम किया है. जहां कहीं हमारे मतभेद भी रहे हैं, हमने हमेशा ही ये प्रयास किया है कि मतभेद विवाद में न बदलें.

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