गुजरात में 'आप से डरी भाजपा'? सीएम के इस्तीफे के बाद राज्य में जल्द चुनाव कराने की फिराक में, वजहें कुछ ऐसी...

शनिवार को अचानक गुजरात के मुख्यमंत्री पद से विजय रुपाणी ने इस्तीफा दे दिया. इसे भाजपा का एक बड़ा दांव भी समझा जा रहा है.

Update: 2021-09-12 06:55 GMT
नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, अरविन्द केजरीवाल

अहमदाबाद. शनिवार को गुजरात में अचानक से मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के इस्तीफे के बाद सियासी उथल-पुथल मच गई है. अब सवाल उठता है कि क्या भाजपा नए चेहरे को सीएम की कुर्सी में बैठाएगी या फिर दिसंबर 2022 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को 10 माह पहले कराने की फिराक में है. 

शनिवार को गुजरात सीएम विजय रुपाणी के अचानक इस्तीफे ने सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं. राजनितिक विद्वान इसे भाजपा का बड़ा दांव भी मान रहें हैं. उनकी मानें तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) गुजरात में आम आदमी पार्टी (AAP) की बढ़ती पैठ से परेशान है. इसलिए वह आप को गुजरात में मौक़ा नहीं देना चाहती है. साथ ही कांग्रेस राज्य में बहुत कमजोर है इसका फायदा भाजपा विधानसभा चुनाव में लेना चाह रही है.

जल्द चुनाव चाह रही भाजपा? 

अगर भाजपा जल्द विधानसभा चुनाव की चाह रख रही है तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण आम आदमी पार्टी ही है. चुनाव के पहले जितना ज्यादा आम आदमी पार्टी को राज्य में समय मिलेगा, उतना ही आप मजबूत होती जाएगी. मोदी के गढ़ में वैसे भी आप ने नगरीय निकाय चुनावों में उम्दा प्रदर्शन कर दिल्ली तक को हिला दिया है. इस पर भाजपा गहनता से मंथन में जुटी हुई है. 

गुजरात में बहुमत वाली भारतीय जनता पार्टी यानी BJP सरकार के 5 साल 2022 के दिसंबर में पूरे होंगे, लेकिन जिस तरह अचानक मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस्तीफा दे दिया उससे तरह-तरह की कयासबाजियां शुरू हो गई हैं. इसमें भाजपा के दो दांव हो सकते हैं. पहला दांव पाटीदार चेहरे को सीएम बनाने का तो दूसरा समय पहले चुनाव करके फायदा उठाने का. 

पहला दांव: सीएम के लिए पाटीदार चेहरा 

CM रुपाणी के इस्तीफा देते ही उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल, पूर्व गृहमंत्री गोरधन झडफिया और पुरुषोत्तम रुपाला के नाम टीवी पर फ्लैश होने लगे, लेकिन तभी गुजरात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक सपने का जिक्र हुआ. प्रदेश प्रमुख सीआर पाटील ने कहा कि मोदीजी का सपना है कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 150 से ज्यादा सीटें मिलें और गुजरात भाजपा नया रिकॉर्ड बनाए.

गुजरात में PM मोदी के इस सपने को पूरा करने वाला फिलहाल एक ही नाम नजर आता है, जो मोदी और अमित शाह दोनों की गुड-बुक में शामिल है. गुजरात के पाटीदार समाज से आने वाले नेता मनसुख मांडविया. जब कोरोना के समय चारों ओर से मोदी सरकार घिर रही थी तब डॉ. हर्षवर्धन को हटाकर मनसुख को स्वास्‍थ्य मंत्रालय दिया गया था.

अब एक बार फिर BJP के सामने चुनौती है. गुजरात का पाटीदार समाज BJP से खासा नाराज है. मनसुख मांडविया यहां भी सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि पाटीदार समाज के अलावा कडवा और लेउआ पटेल समुदाय में भी उनकी अच्छी पैठ है. मृदुभाषी होने के साथ-साथ मांडविया की छवि एक ईमानदार नेता की है. इनके अलावा गुजरात भाजपा में उनके लगभग सभी नेताओं से अच्छे संबंध हैं.

दूसरा दांव: आप को रोकना और कांग्रेस की कमजोरी का फायदा उठाना 

पिछले तीन चुनाव में BJP की सीटें लगातार कम हो रही हैं और कांग्रेस बढ़त हासिल कर रही है. 2007 में BJP ने 117 सीटें जीती थीं, जो 2017 के चुनाव में घटकर 99 बचीं. वहीं, कांग्रेस ने 2007 के चुनाव में 59 सीटें जीती थी, जो 2017 के चुनाव में बढ़कर 77 हो गईं. लेकिन स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जिसका फायदा भाजपा विधानसभा चुनावों में भी उठाना चाह रही है. 

वहीं राज्य में आप की बढ़त को रोकना भाजपा के लिए जरूरी है. स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा ने भले ही गुजरात में ऐतिहासिक जीत दर्ज की हो, लेकिन भाजपा और आरएसएस के आतंरिक सर्वे ने चिंता बढ़ा दी है. इसमें दो बातें निकली हैं. आम आदमी पार्टी गुजरात में आ गई है और स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की तुलना में उसका प्रदर्शन भी बेहतर रहा है. चुनाव दिसंबर 2022 में होते हैं तो 'आप' को कुछ बड़े नेताओं को अपने पाले में लेकर संगठन को मजबूत करने का काफी समय मिल जाएगा.

दूसरी बात कि कांग्रेस में अभी भी संगठन, समन्वय और सक्रियता का अभाव है. इतना ही नहीं, कांग्रेस आंतरिक लड़ाई से ही जूझ रही है. पार्टी 6 महीने से राज्य में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का चुनाव ही नहीं करा पाई है. ऐसे में 6 महीने पहले जिस कांग्रेस के पास 234 पदाधिकारी थे, फिलहाल महज 3 कार्यकारी अध्यक्ष के दम पर चल रही है. ये बातें इस ओर इशारा करती हैं कि BJP जल्दी चुनाव कराती है तो उसे ज्यादा फायदा मिल सकता है.


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