बड़ी खबर : सभी मोबाइल खुद बनाएगा भारत, प्लांट लगाने की तैयारी में कंपनिया

बड़ी खबर : सभी मोबाइल खुद बनाएगा भारत, प्लांट लगाने की तैयारी में कंपनिया नई दिल्ली: कोरोनावायरस ( coronavirus ) की

Update: 2021-02-16 06:23 GMT

बड़ी खबर : सभी मोबाइल खुद बनाएगा भारत, प्लांट लगाने की तैयारी में कंपनिया

नई दिल्ली: कोरोनावायरस ( coronavirus ) की वजह से हमारी अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है लेकिन जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ( pm modi ) ने कहा है कि आपदा को अवसर में बदलना होगा । हालिया डेवलपमेंट्स को देखकर ये बात सच होती नजर आ रही है। दरअसल खबर है कि Samsung, Foxconn, Wistron जैसी कई कंपनियां 41000 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक इंसेटिव स्कीम के लिए अप्लाई कर सकती हैं। जिसका मतलब है कि ये कंपनियां भारत में मैनुफैक्चरिंग शुरू कर सकती हैं। मोबाइल निर्माता कंपनियों के लिए भारत हमेशा से ही एक बड़ा बाजार रहा है यही वजह है कि अब कंपनियां यहां परमानेंट यूनिट बनाने की सोच रही है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारत में अब तक 300 मोबाइल मौनुफैक्चरिंग यूनिट ( mobile manufacturing unit ) लग चुकी हैँ।

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आईटी और टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से बातचीत के दौरान इस बात के बारे में बताते हुए कहा कि सरकार PRODUCTION LINKED INCENTIVE SCHEME ( PLI SCHEME ) तहत 5 ग्लोबल स्तर की स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों को भारत में प्लांट लगाने के लिए सहायता देना चाहती है। हालंकि मंत्री जी ने किसी भी कंपनी का नाम तो नहीं लिया लेकिन खबर है कि Apple, Samsung, Oppo, Vivo, Xiaomi, Foxconn, Wistron, Flex जैसे नाम इस लिस्ट में शामिल हो सकते हैं।

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आपको बता दें कि इसस पहले प्रसाद नेट्वीट कर भारत की मोबाइल सेक्टर में इस उन्नति को बताया था । जिसमें उन्होनें प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप में टेलीकॉम सेक्टर की उपलब्धियों को गिनवाते हुए भारत में अभी तक 330 मिलियन मोबाइल हैंडसेट्स बनने की बात कही थी। साल 2014 में देश में 60 मिलियन स्मार्टफोन का निर्माण किया गया था और उस समय भारत में केवल दो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट थे। 2014 में बने मोबाइल फोन की वैल्यू 3 बिलियन डॉलर थी जबकि 2019 में यह वैल्यू बढ़कर 30 बिलियन डॉलर हो गई है।

मोबाइल इंडस्ट्रीज के एसोसिएशन इंडिया सेल्लुर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक सरकार का यह कदम टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। साथ ही इसके जरिए भारत को विश्वपरिदृश्य पर पहचान मिल सकती है।

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