अमरनाथ यात्रा रजिस्ट्रेशन 2025: क्या पहलगाम अटैक के बाद सुरक्षित है रास्ता? कैसे जाएं, कहां ठहरें, कितना खर्च आएगा; जानिए सब कुछ...

अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है, लेकिन रजिस्ट्रेशन पिछले साल से कम हैं। पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा बढ़ी, जानें यात्रा का पूरा रूट, खर्च और इंतजाम।;

Update: 2025-07-02 03:52 GMT

अमरनाथ यात्रा 2025: इस साल की अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस बार काफी कम रजिस्ट्रेशन हुए हैं। जम्मू-कश्मीर के सोशल एक्टिविस्ट राकेश कौल बताते हैं कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उत्तराखंड में हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं ने भी यात्रियों के मन में डर पैदा कर दिया है। हालांकि, राकेश कौल खुद भी इस साल यात्रा पर जा रहे हैं और उन्हें प्रशासन के सुरक्षा इंतजामों पर पूरा भरोसा है। यह 38 दिन की यात्रा 9 अगस्त, यानी रक्षाबंधन तक चलेगी।

यात्रा की शुरुआत और रूट का विवरण

जम्मू से अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था 2 जुलाई (आज) को निकल रहा है। 3 जुलाई को यह जत्था पहलगाम और बालटाल से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अपनी यात्रा शुरू करेगा।

अमरनाथ गुफा तक पहुँचने के लिए दो मुख्य रास्ते हैं:

  • पहलगाम रूट: यह 48 किलोमीटर लंबा पारंपरिक मार्ग है। इसमें चढ़ाई कम है, इसलिए इसे अपेक्षाकृत आसान माना जाता है, लेकिन यह लंबा होने के कारण यात्रा में 3 से 5 दिन लगते हैं। श्रीनगर से 92 किलोमीटर दूर पहलगाम बेस कैंप से यह यात्रा शुरू होती है और इस रूट पर सबसे ज़्यादा भीड़ रहती है।
  • बालटाल रूट: यह श्रीनगर से 95 किलोमीटर दूर बालटाल से शुरू होता है। यह सिर्फ 14 किलोमीटर की चढ़ाई वाला छोटा रास्ता है, जिसमें 1 से 2 दिन लगते हैं। यह छोटा होने के बावजूद खड़ी चढ़ाई के कारण ज़्यादा जोखिम भरा माना जाता है।

यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया: ऑनलाइन और ऑफलाइन

अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, और इसे ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया जा सकता है:

  • ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन: यह सबसे आसान तरीका है, जिसे श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (SASB) की आधिकारिक वेबसाइट jksasb.nic.in से किया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल 2025 से शुरू हुए हैं और एक दिन में 15,000 रजिस्ट्रेशन हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन से पहले आपको यात्रा का एक रूट चुनना होगा। इसके लिए आईडी कार्ड (आधार, पासपोर्ट, वोटर आईडी या पैन कार्ड), पासपोर्ट साइज़ फोटो और 8 अप्रैल 2025 या उसके बाद जारी किया गया कंपलसरी हेल्थ सर्टिफिकेट (CHC) ज़रूरी है। रजिस्ट्रेशन के बाद, जम्मू या कश्मीर में बने सेंटरों से RFID कार्ड लेना होगा, जिसके लिए बायोमेट्रिक eKYC वेरिफिकेशन होगा। इस कार्ड के बिना आप एक्सेस कंट्रोल गेट्स से नहीं गुज़र पाएंगे।
  • ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन: श्रद्धालुओं के पास ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का भी विकल्प है, जो 30 जून से शुरू हो गए हैं। इसके लिए देशभर में पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, जम्मू-कश्मीर बैंक और यस बैंक की 533 से ज़्यादा शाखाएँ तय की गई हैं। जम्मू में भी तत्काल रजिस्ट्रेशन काउंटर बनाए गए हैं, जो रेलवे स्टेशन के पास, सरस्वती धाम, वैष्णवी धाम और पंचायत भवन महाजन में स्थित हैं। भगवती नगर बेस कैंप में सिर्फ साधु-संतों के लिए विशेष रजिस्ट्रेशन सेंटर है। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए भी वही दस्तावेज़ लगेंगे जो ऑनलाइन में लगते हैं।

भारतीय नागरिकों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन फीस प्रति व्यक्ति 120 रुपये है, जबकि ऑनलाइन फीस 220 रुपये प्रति व्यक्ति है।

अमरनाथ यात्रा के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन

  • देशभर में कुल सेंटर: 533 से ज्यादा
  • रजिस्ट्रेशन फीस: 120 रुपए

बैंक की ब्रांच में बनाए गए सेंटर

  1. पंजाब नेशनल बैंक - 309 ब्रांच
  2. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया - 99 ब्रांच
  3. जम्मू-कश्मीर बैंक - 91 ब्रांच
  4. यस बैंक - 34 ब्रांच

जम्मू में बने तत्काल रजिस्ट्रेशन काउंटर

  • जम्मू रेलवे स्टेशन
  • सरस्वती धाम
  • वैष्णवी धाम
  • पंचायत भवन महाजन

साधु-संतों के लिए स्पेशल रजिस्ट्रेशन सेंटर

  • भगवती नगर बेस कैंप

जरूरी डॉक्यूमेंट्स

  • आईडी कार्ड जैसे आधार, वोटर आईडी, पैन या पासपोर्ट
  • 4 पासपोर्ट साइज फोटो
  • अनिवार्य हेल्थ सर्टिफिकेट

यात्रा का अनुमानित खर्च और रहने के इंतजाम

अगर आप दिल्ली से बालटाल रूट से यात्रा करते हैं, तो कुल खर्च लगभग 15,000 से 20,000 रुपये प्रति व्यक्ति आ सकता है। पहलगाम रूट से यह खर्च 20,000 से 25,000 रुपये तक हो सकता है। इस खर्च में दिल्ली से बेस कैंप तक पहुँचना, होटल में रुकना और खाने-पीने का खर्च शामिल है। गुफा तक ट्रैकिंग के दौरान पालकी या पोनी लेने का खर्च (2,000 से 5,000 रुपये) अलग से देना होगा।

पहलगाम और बालटाल में रहने के लिए श्राइन बोर्ड ने टेंट की व्यवस्था कर रखी है, जिसका किराया 500 रुपये से शुरू होता है। लंगरों में खाना मुफ्त मिलता है। यदि आप यात्रा की तय तारीख से पहले पहुँच रहे हैं, तो जम्मू या श्रीनगर में होटल लेकर रुक सकते हैं, क्योंकि बेस कैंप में आपको तय तारीख पर ही प्रवेश मिलेगा।

लंगर व्यवस्था और भोजन

इस साल जम्मू-कश्मीर के लखनपुर एंट्री गेट से लेकर अमरनाथ गुफा तक करीब 139 लंगर लगाए गए हैं, जहाँ तीर्थयात्रियों को मुफ्त भोजन मिलेगा। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के लंगर संगठन इस बार रसोई चला रहे हैं। जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप में 5 लंगर और राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगभग 50 लंगर होंगे। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने लंगर संगठनों के लिए खाने का मेन्यू भी तय किया है।

रजिस्ट्रेशन में कमी और कारण

यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ था। शुरुआती 6 दिनों में 2.36 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया था। लेकिन 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम हमले के बाद रजिस्ट्रेशन की रफ्तार घट गई। 30 जून तक सिर्फ 3.50 लाख लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। पिछले साल (2024) 5.12 लाख से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने यात्रा की थी, जो पिछले 12 सालों में सबसे ज़्यादा थी। इस साल लगभग 20% कम रजिस्ट्रेशन हुए हैं। राकेश कौल बताते हैं कि लोग पहलगाम हमले की वजह से डरे हुए हैं।

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी यात्रा में घटी श्रद्धालुओं की संख्या को पहलगाम हमले का असर मानते हैं। उन्होंने कहा, "इसमें कोई शक नहीं कि आतंकी घटना ने जम्मू-कश्मीर का माहौल प्रभावित किया है।"

सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उम्मीद जताई है कि यात्रा का सफल आयोजन लोगों का भरोसा बहाल करेगा। उन्होंने बताया कि सुरक्षा के लिए मल्टी-लेयर सिक्योरिटी के इंतजाम किए गए हैं, जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और सेना मिलकर काम कर रहे हैं। गृह मंत्रालय ने यात्रा के रूट और आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती को मंज़ूरी दी है।

कश्मीर ज़ोन के आईजी वीके बिरधी ने बताया कि इस बार फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) और अन्य आधुनिक गैजेट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें कानून तोड़ने वाले और शरारती तत्वों का डेटाबेस फीड है, जिससे ऐसे किसी भी व्यक्ति के दिखने पर सिस्टम तुरंत अलर्ट जारी करेगा। हाई-राइज सर्विलांस सिस्टम और अन्य तकनीकी उपकरणों की मदद से पूरे इलाके पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।

जम्मू ज़ोन के आईजी भीम सेन तूती ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा और मज़बूत की गई है। इस बार 40,000 से ज़्यादा जवान, हाई-डेफिनेशन सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन तैनात किए गए हैं। मेडिकल और आपदा प्रबंधन की सुविधाएँ भी हर कदम पर मौजूद हैं।

यात्रियों के लिए सलाह और पैकेज

आईजी भीम सेन तूती ने यात्रियों से काफिले में यात्रा करने और निजी गाड़ियों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। वहीं, गांदरबल के SSP खलील पोसवाल ने सभी तय समय-सारिणी का पालन करने, सुरक्षा नीतियों के अनुसार चलने और अकेले या सुनसान रूट्स पर जाने से बचने की अपील की है। उन्होंने पर्यटकों को सिंध नदी के किनारे जाने से भी बचने की सलाह दी है।

अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू-कश्मीर में टूरिज्म पैकेज भी उपलब्ध हैं। राज्य टूरिज्म एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट फारुख कुथु बताते हैं कि पहलगाम हमले के बाद काम हल्का होने के कारण ज़्यादातर पैकेज पर इस बार 50% तक की छूट मिल रही है। हालांकि, हेलिकॉप्टर सेवा बंद होने से बुजुर्ग और अमीर वर्ग के यात्री कम आए हैं।

स्वास्थ्य का रखें विशेष ध्यान

अमरनाथ गुफा 3,888 मीटर की ऊँचाई पर है, जहाँ ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है और ठंड भी ज़्यादा होती है। इसलिए, यात्रा से 2-3 सप्ताह पहले से रोज़ाना 4-6 किमी पैदल चलने और प्राणायाम करने की सलाह दी जाती है ताकि सेहत दुरुस्त रहे। यात्रा के लिए गर्म कपड़े (थर्मल इनर, जैकेट, दस्ताने), ट्रैकिंग वाले जूते, रेनकोट, टॉर्च और ज़रूरी दवाइयाँ साथ रखें। सिरदर्द, जी मचलने जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लें। यात्रा के रूट में हर 2 किलोमीटर पर मेडिकल सुविधाओं का इंतजाम किया गया है।

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