हरतालिका तीज कब मनाई जाएगी ? इस बार क्‍या होने जा रहा है खास, महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत

हरतालिका तीज कब मनाई जाएगी ? इस बार क्‍या होने जा रहा है खास, महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रतरीवा सौभाग्‍य की कामना और पति की दीर्घायु

Update: 2021-02-16 06:28 GMT

हरतालिका तीज कब मनाई जाएगी ? इस बार क्‍या होने जा रहा है खास, महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत

रीवा (विपिन तिवारी) : सौभाग्‍य की कामना और पति की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला व्रत हरतालिका तीज भाद्र मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस साल यह व्रत 21 अगस्‍त को है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने के बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत तोड़ती हैं और पति का आशीर्वाद लेकर इस व्रत को पूर्ण करती हैं। कुछ स्‍थानों पर कुंवारी कन्‍याएं भी सुयोग्‍य वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और राजस्थान में खास तौर पर मनाया जाता है।

आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी परंपराएं और मान्‍यताएं…

गौरी-शंकर की होती है पूजा

इस व्रत में मुख्‍य रूप से भगवान शंकर और माता पार्वती की संयुक्‍त रूप से पूजा होती है। व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्‍नान करने के बाद 16 श्रृंगार करती हैं। मान्‍यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए भी कठोर तपस्‍या की थी, तब जाकर भगवान शिव उन्‍हें पति के रूप में प्राप्‍त हुए थे। सबसे पहले माता पार्वती ने यह व्रत किया था और इसके प्रभाव से शिवजी उन्‍हें पति के रूप में प्राप्‍त हुए थे।

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हरतालिका तीज की कथा

हरतालिका तीज के व्रत की कथा भी माता पार्वती और शिवजी से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि पिता द्वारा कराए गए यज्ञ में जब माता पार्वती से शिवजी का अपमान बर्दाश्‍त नहीं हुआ तो उन्‍होंने उसी यज्ञ की अग्नि में कूदकर आत्‍मदाह कर लिया। फिर अगले जन्‍म में वह राजा हिमाचल की पुत्री उमा के रूप में जन्‍मी और इस जन्‍म में भी उन्होंने भगवान शिव को मन ही मन अपना पति मान लिया।
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पिता को पसंद नहीं थे शिवजी

शिवजी का रहन-सहन और वेशभूषा राजा हिमाचल को पसंद नहीं था। इस संबंध में उन्‍होंने नारदजी से चर्चा की तो नारदजी ने उन्‍हें उमा का विवाह विष्‍णुजी से करने की सलाह दी। मगर पार्वतीजी तो शिवजी को अपना पति मान चुकी थीं। उन्‍होंने विष्‍णुजी से विवाह करने से इनकार कर दिया। तब उनकी सखियों ने इस विवाह को रोकने के लिए विशेष योजना बनाई।

इसलिए इस व्रत का नाम पड़ा हरतालिका

पार्वती की सखियों ने उनकी मदद करने के लिए एक विशेष योजना बनाई। सखियां उनका अपहरण करके उन्‍हें जंगल में ले गईं ताकि उन्‍हें विष्‍णुजी से विवाह न करना पड़े। सखियों ने उनका हरण किया इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ गया। जंगल में जाकर पार्वतीजी ने शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए उनकी तपस्‍या करना शुरू कर दिया। फिर शिवजी ने उन्‍हें दर्शन दिए और उन्‍हें पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया। पार्वतीजी इस तपस्‍या को देखकर ही महिलाओं को हरतालिका तीज का व्रत करने की प्रेरण मिली। माना जाता है कि कुंवारी कन्‍याएं भी शिवजी जैसा सुयोग्‍य वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं।

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ऐसे किया जाता है व्रत

व्रत वाले दिन महिलएं सुहाग की सारी वस्‍तुएं माता पार्वती को अर्पित करती हैं। सुबह पूजा के बाद महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत करती हैं। पूजन के लिए गौरी-शंकर की मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है। रात में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है।
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पूजन मुहूर्त

हरितालिका तीज शुक्रवार, अगस्त 21, 2020 को प्रातःकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त – 05 बजकर 54 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक।
प्रदोषकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त – 6 बजकर 54 मिनट से 9 बजकर 6 मिनट तक।

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