नेपाल बॉर्डर पर मिली नर्मदा एक्सप्रेस ट्रेन से लापता हुई अर्चना तिवारी, 13 दिन तक कहां थी; ग्वालियर के आरक्षक का क्या कनेक्शन है

नर्मदा एक्सप्रेस से 7 अगस्त को लापता हुई अर्चना तिवारी अब उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मिली है। भोपाल जीआरपी उसे वापस ला रही है।;

Update: 2025-08-20 08:50 GMT

नर्मदा एक्सप्रेस से लापता महिला UP के लखीमपुर खीरी में मिली: कटनी की रहने वाली अर्चना तिवारी, जो 7 अगस्त को इंदौर से कटनी जाते समय नर्मदा एक्सप्रेस के बी-3 कोच से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के पास से रहस्यमय तरीके से लापता हो गई थीं, आखिरकार मिल गई हैं। लापता होने के 13 दिन बाद मध्य प्रदेश जीआरपी की टीम ने लोकेशन के आधार पर उन्हें उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में नेपाल सीमा के पास से ढूंढ निकाला है। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि वह इन 13 दिनों तक कहां थीं और क्या उनका अपहरण हुआ था या वह अपनी मर्जी से गई थीं। इन सभी सवालों के जवाब भोपाल में उनके बयान दर्ज होने के बाद ही सामने आएंगे।

पुलिस ने वीडियो जारी कर दी जानकारी

भोपाल रेल एसपी राहुल लोढ़ा ने एक वीडियो जारी कर इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि अर्चना तिवारी को लखीमपुर खीरी जिले में नेपाल सीमा के पास से सुरक्षित बरामद कर लिया गया है। जीआरपी की टीम उन्हें लेकर भोपाल के लिए रवाना हो चुकी है और उम्मीद है कि बुधवार दोपहर तक वह भोपाल पहुंच जाएंगी। इस खबर के बाद कटनी में मौजूद उनके परिजन भी उनसे मिलने के लिए भोपाल रवाना हो गए हैं।

सामने आया ग्वालियर कनेक्शन

अर्चना की तलाश के दौरान, पुलिस ने उनके मोबाइल की जांच की, जिसमें एक नंबर से लगातार बातचीत का पता चला। उस नंबर को ट्रेस करने पर ग्वालियर के एक थाने में तैनात आरक्षक राम तोमर का नाम सामने आया। पूछताछ में राम तोमर ने माना कि वह अर्चना को जानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि यह बातचीत सिर्फ केस के सिलसिले में हुई थी और उसके लापता होने में उनका कोई हाथ नहीं है। राम तोमर को हिरासत में लेने के बाद ही अर्चना ने मंगलवार सुबह अपने परिजनों को फोन कर बताया था कि वह सुरक्षित हैं। इसके बाद पुलिस ने उनकी लोकेशन ट्रेस कर उन्हें लखीमपुर खीरी से बरामद किया। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आरक्षक राम तोमर या किसी अन्य व्यक्ति का इस मामले में कोई रोल है या नहीं।

क्या है पूरा मामला?

कटनी की रहने वाली अर्चना तिवारी इंदौर के एक हॉस्टल में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थीं। रक्षाबंधन पर अपने घर जाने के लिए वह इंदौर से नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच में सवार हुई थीं। भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के पास तक वह अपनी सीट पर थीं, लेकिन उसके बाद उनका पता नहीं चला और उनका फोन भी बंद हो गया। जब ट्रेन कटनी पहुंची और वह उसमें नहीं थीं, तो उनके मामा को सूचित किया गया। ट्रेन में जांच करने पर उनका पर्स और कपड़ों से भरा बैग सुरक्षित मिला, लेकिन अर्चना अपनी सीट पर नहीं थीं।

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