MP हाईकोर्ट का सख्त रुख: कैसे खुल गईं हाईवे में शराब दुकानें? सरकार से मांगा जवाब

MP High Court News: नेशनल और स्टेट हाईवे से 500 मीटर के भीतर शराब दुकानों की अनुमति पर जबलपुर हाईकोर्ट ने हैरानी जताई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन का आरोप। कोर्ट ने केंद्र, राज्य, आबकारी आयुक्त और सचिव को नोटिस जारी किया।;

Update: 2025-11-21 08:10 GMT

Top Highlights

  • जबलपुर हाईकोर्ट ने NH और SH से 500 मीटर के भीतर शराब दुकानों को अनुमति देने पर सवाल उठाए।
  • केंद्र सरकार, MP सरकार, आबकारी आयुक्त और आबकारी सचिव को तलब किया।
  • सुप्रीम कोर्ट के 2017 के आदेश के बावजूद नई आबकारी नीति 2025–26 में कई दुकानों का नवीनीकरण।
  • जनहित याचिका में मांग – शराब दुकानों को बंद या शिफ्ट किया जाए।
  • याचिकाकर्ता का तर्क – NH किनारे शराब दुकानों से दुर्घटनाएं बढ़ती हैं, संविधान के अनुच्छेद 21 और 47 का उल्लंघन।

एमपी हाईकोर्ट ने जताई हैरानी — हाईवे के पास शराब दुकानों की अनुमति कैसे?

जबलपुर. मध्यप्रदेश में लागू नई आबकारी नीति 2025–26 के तहत कुछ स्थानों पर राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से 500 मीटर के दायरे में शराब दुकानों का नवीनीकरण और संचालन की अनुमति मिलने पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।

चीफ जस्टिस संजेव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश – 500 मीटर के भीतर शराब दुकान प्रतिबंधित

याचिका में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल 2017 को स्पष्ट आदेश दिया था कि –

• किसी भी नेशनल हाईवे (NH) या स्टेट हाईवे (SH) से 500 मीटर के अंदर शराब दुकान नहीं हो सकती।

• दुकान सीधे सड़क से दिखनी नहीं चाहिए।

• दुकान तक पहुंचने का रास्ता हाईवे से डायरेक्ट नहीं होना चाहिए।

• 1 जून 2017 को केंद्र सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी किया।

इसके बावजूद MP की नई आबकारी नीति में कई ऐसी दुकानों को नवीनीकरण देकर संचालित किया जा रहा है जो सीधे राज्य और केंद्र के निर्देशों का उल्लंघन है।

याचिका में क्या कहा गया?

यह याचिका भोपाल के सामाजिक कार्यकर्ता नूर खान की ओर से दायर की गई है। अधिवक्ता आर्यन उरमलिया ने अदालत में दलील दी कि —

• हाईवे के पास शराब दुकानें होने से लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं।

• इससे सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती हैं।

• यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है।

• मादक पदार्थों पर नियंत्रण रखने का दायित्व अनुच्छेद 47 के तहत राज्य का है।

याचिका में हाईवे से लगे सभी शराब दुकानों को बंद करने या दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग की गई है।

सरकारें जवाब दें — हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

हाईकोर्ट ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्पष्ट है, फिर MP में ऐसी अनुमति कैसे दी जा सकती है? अदालत ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, आबकारी आयुक्त और आबकारी सचिव को पक्षकार बनाते हुए विस्तृत जवाब तलब किया है।

मामले की अगली सुनवाई निर्धारित समय पर होगी, जहां अदालत सरकारों से विस्तृत पक्ष प्रस्तुत करने को कहेगी।

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FAQs – MP High Court Liquor Shop Case

1. सुप्रीम कोर्ट ने शराब दुकानों के लिए क्या नियम बनाए हैं?

कोई भी शराब दुकान NH/SH से 500 मीटर के भीतर नहीं हो सकती। दुकान रोड से दिखाई भी नहीं देनी चाहिए।

2. हाईकोर्ट ने नोटिस किसको जारी किया है?

केंद्र सरकार, मध्यप्रदेश सरकार, आबकारी आयुक्त और आबकारी सचिव को नोटिस भेजा गया है।

3. याचिका किसने दाखिल की?

भोपाल के सामाजिक कार्यकर्ता नूर खान ने जनहित याचिका दायर की है।

4. याचिका में मांग क्या है?

हाईवे के 500 मीटर दायरे में आने वाली सभी शराब दुकानों को बंद या शिफ्ट किया जाए।

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