List of Mughal Emperors: भारत में किस मुगल शासक ने कब से कब तक राज किया, देखें पूरी लिस्ट....

List of Mughal Emperors Who ruled in India: 1526 से 1857 यानि 331 सालों तक भारत में मुगल सम्राटों का शासन रहा. इसके बाद भारत में 1947 तक अंग्रेजों ने राज किया था.

Update: 2022-10-12 07:58 GMT

List of Mughal Emperors Who Ruled in India: अक्सर UPSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुगल शासकों से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं. भारत जैसे हिन्दू राष्ट्र में 1526 से 1857 यानि 331 सालों तक भारत में मुगल सम्राटों का शासन रहा. भारत का पहला मुग़ल शासक बाबर थे, जबकि आखिरी बहादुर शाह जफ़र (द्वितीय). 1857 के बाद भारत में 1947 तक अंग्रेजों ने राज किया था. आज हम आपको भारत में 3 शताब्दी तक राज करने वाले मुग़ल शासकों की लिस्ट दिखा रहें हैं. 

List of Mughal Emperors Who Ruled in India: 

बाबर (1526–1530)

बाबर भारतवर्ष में शासन करने वाला पहला मुग़ल सम्राट था. जो तैमूर के माध्यम से चंगेज खान का प्रत्यक्ष वंशज था और पानीपत की लड़ाई (1526) और खानवा की लड़ाई में अपनी जीत के बाद भारत में मुगल साम्राज्य का संस्थापक था.

हुमायूं (1530-1540) 

सूरी राजवंश द्वारा बाधित शासन. युवा और अनुभवहीन होने के कारण उन्हें शेर शाह सूरी की तुलना में हुमायूं को कम प्रभावी शासक माना जाने लगा, जिन्होंने हुमायूं को हरा दिया और सूरी राजवंश की स्थापना की. इसके बाद हुमायूं फिर सत्ता में लौटा (1555-1556) लेकिन 1530-1540 के प्रारंभिक शासन की तुलना में बहाल शासन अधिक एकीकृत और प्रभावी था. उसने एकीकृत साम्राज्य अपने बेटे अकबर के लिए छोड़ दिया. 

अकबर (1556–1605) - सबसे कम उम्र के शासकों में से एक. 13 साल की उम्र में बने शासक.

हुमायूं के बेटे अकबर और बैरम खान ने पानीपत की दूसरी लड़ाई के दौरान हेमू को हराया और बाद में चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी और रणथंभौर की घेराबंदी के दौरान प्रसिद्ध जीत हासिल की. अकबर के सबसे प्रसिद्ध निर्माण चमत्कारों में से एक लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) का किला था. अकबर ने हिंदुओं को लुभाने के लिए उन पर लगाए गए जजिया कर को समाप्त कर दिया.

जहांगीर (1605–1627)

जहांगीर के साम्राज्य में सबसे ख़ास था ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ खुले संबंध. Jahangir का शासनकाल 22 वर्षों का रहा.

शाहजहां (1628–1658)

1592 में जन्में शाहजहां को मुग़ल कलाओं के लिए जाना जाता है. शाहजहां के अधीन मुगल कला और स्थापत्य कला अपने चरम पर पहुंच गई. उन्होंने ताजमहल, जामा मस्जिद, लाल किला, जहांगीर मकबरे और शालीमार गार्डन का निर्माण किया. अपने बेटे औरंगजेब की कैद में मृत्यु हो गई.

औरंगजेब (1658–1707) 

औरंगजेब 31 जुलाई 1658 को गद्दी पर बैठा. इस्लामी कानून की पुनर्व्याख्या की और फतवा-ए-आलमगिरी पेश की. गोलकुंडा सल्तनत की हीरे की खदानों पर कब्जा कर लिया और अपने पिछले 27 वर्षों का अधिकांश समय मराठा विद्रोहियों के साथ युद्ध में बिताया और साम्राज्य का सबसे बड़ा विस्तार किया.

बहादुर शाह-I (1707–1712)

उनके शासनकाल के बाद, उनके तत्काल उत्तराधिकारियों के बीच नेतृत्व गुणों की कमी के कारण साम्राज्य लगातार गिरावट में चला गया. उन्होंने शंभुजी के पुत्र शाहूजी को रिहा कर दिया, जो शिवाजी के बड़े पुत्र थे.

जहांदार शाह (1712–1713)

जहांदार शाह एक अलोकप्रिय अक्षम नामधारी व्यक्ति था.

फ़र्रुख़ सियर (1713–1719)

अब्बुल मुज़फ़्फ़रुद्दीन मुहम्मद शाह फ़र्रुख़ सियर एक मुग़ल बादशाह था जिसने 1713 से 1719 तक हिन्दुस्तान पर हुकूमत की. अंग्रेजों को भारत में कहीं भी व्यापार करने की अनुमति तथा अंग्रेज़ों द्वारा बनाऐ गए सिक्के को भारत में सभी जगह मान्यता प्रदान कर करने की अनुमति फ़र्रुख़ सियर ने दी थी.

रफी उद-दर्जत (1719)

रफी उद-दर्जत (Rafi-ud-Darjat) 1719 में थोड़े समय के लिए मुगल सम्राट था. रफ़ी-उस-शहान का कनिष्ठ पुत्र (अज़ीम उश शान का भाई) दसवां मुगल सम्राट था. यह फर्रुख्शियार के बाद 28 फ़रवरी 1719 को सैयद भ्राता द्वारा बादशाह घोषित किया गया. रफी-उद-दर्जत को सैयद भाइयों ने 1719 में मार डाला था.

मुहम्मद इब्राहिम (सिंहासन का दावेदार - 1720)

मुहम्मद इब्राहिम (Muhammad Ibrahim) रफी उल-दर्जत और रफी उद-दौलत का भाई था और 1720 में फ़र्रुख़ सियर के बाद गद्दी पर बैठा. 1744 में इसकी मृत्यु हो गई.

मुहम्मद शाह (1719–1720, 1720–1748)

नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह (Nasiruddin Muhammad Shah) 1719 से 1748 तक मुग़ल बादशाह था. मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी जाना जाता है. यह बड़े ही रंगीन तबके का मुगल सम्राट था. नाच गाने का बड़ा शौक था, उस वक्त कई विदेशी शक्तियों की नजर मुगल सल्तनत पर पड़ी थी क्योंकि उस वक्त भारत में मुगल काफी कमजोर थे. पिछले कई वर्षों में कई सारे सम्राटों के गद्दी पर बैठने के कारण मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ गया था. जिसके कारण कई विदेशी शक्तियां भारत पर अपने पांव पसार रही थी.

मुहम्मद शाह का राज्याभिषेक 1719 इसी में सैयद बंधुओं की सहायता से हुआ. परंतु मोहम्मद शाह को सैयद बंधु से काफी खतरा पैदा हो गया था क्योंकि उन्होंने पहले भी कई सारे मुगल सम्राटों का कत्ल करवाया था. जिसके कारण उन्होंने सर्वप्रथम आसफ जा प्रथम जो कि आगे चलके हैदराबाद के निजाम बने उनकी सहायता से सैयद बंधुओं को खत्म करवा दिया.

अहमद शाह बहादुर (1748–1754)

अहमद शाह बहादुर (Ahmad Shah Bahadur) मुहम्मद शाह (मुगल) का पुत्र था और अपने पिता के बाद 1748 में 23 वर्ष की आयु में मुगल सम्राट बना. अहमद शाह बहादुर के मंत्री सफदरजंग मुगल गृहयुद्ध के लिए जिम्मेदार थे. सिकंदराबाद में उन्हें मराठा संघ द्वारा पराजित किया गया था.

आलमगीर-II (1754–1759)

इमाद-उल-मुल्क और उनके मराठा सहयोगी सदाशिवराव भाऊ की साजिश से आलमगीर II (Alamgir) की हत्या कर दी गई थी. यह वक़्त तबका था जब मुग़ल साम्राज्य कमजोर पड़ने लगा था, और हिन्दुओं पर हो रहें अत्याचार के खिलाफ मराठा उनके साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के लिए मजबूत हो रहें थे. 

शाहजहाँ-III (1759-1760)

पानीपत की तीसरी लड़ाई के बाद राजकुमार मिर्जा जवान बख्त द्वारा Shah Jahan III को उखाड़ फेंका गया था. 

शाह आलम-II (1760–1806)

शाह आलम II को बक्सर की लड़ाई के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ने और मिर्जा नजफ खान की कमान के तहत मुगल सेना में सुधार करने के लिए जाना जाता है, इस प्रकार उन्हें अंतिम प्रभावी मुगल सम्राटों में से एक के रूप में जाना जाता है.

अकबर शाह-II (1806–1837)

उन्होंने मीर फतेह अली खान तालपुर को सिंध के नए नवाब के रूप में नामित किया. यद्यपि वह ब्रिटिश संरक्षण में था, उसका शाही नाम ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक संक्षिप्त विवाद के बाद आधिकारिक सिक्के से हटा दिया गया था.

बहादुर शाह-II (1837–1857)

बहादुर शाह II अंतिम मुगल बादशाह था. 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद उन्हें अंग्रेजों द्वारा अपदस्थ कर दिया गया और बर्मा में निर्वासित कर दिया गया.

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