Kohinoor Diamond: 800 साल पुरानी कहानी, जानिए कौन था कोहिनूर हीरे का पहला मालिक
दुनिया के सबसे मशहूर कोहिनूर हीरे की 800 साल पुरानी कहानी. जानें कैसे यह हीरा गोलकुंडा की खदान से निकलकर कई साम्राज्यों से होते हुए आज ब्रिटेन के ताज में जा पहुंचा.;
Kohinoor Diamond
कोहिनूर हीरा: गोलकुंडा की खदान से शुरू हुई यात्रा कोहिनूर हीरा सिर्फ एक बेशकीमती रत्न नहीं, बल्कि 800 साल का इतिहास समेटे हुए है. इसकी कहानी भारत के आंध्र प्रदेश में स्थित गोलकुंडा की खदान से शुरू हुई थी. यह हीरा सबसे पहले काकतिय राजवंश के पास था, जिन्होंने इसे अपनी कुलदेवी भद्रकाली की बाईं आंख में लगाया था. इसके बाद, इस हीरे को कई राजवंशों और साम्राज्यों ने अपने कब्जे में लिया, जिससे इसकी कहानी और भी दिलचस्प हो गई.
कोहिनूर हीरे का 800 साल पुराना इतिहास
कोहिनूर हीरा दुनिया के सबसे मशहूर और बहुमूल्य रत्नों में से एक है। इसका इतिहास लगभग 800 साल पुराना है। आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले स्थित गोलकुंडा की खदान से निकला यह हीरा कई बार हाथ बदला और आज ब्रिटेन के शाही ताज में अपनी जगह बनाए हुए है।
भारत में इन शासकों के पास रहा कोहिनूर
14वीं सदी में दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने काकतिय राजवंश से यह हीरा छीन लिया था. इसके बाद, पानीपत की लड़ाई में जीत के बाद मुगल शासक बाबर ने इसे अपने कब्जे में लिया. यह हीरा मुगल साम्राज्य के ताज की शोभा बढ़ाता रहा.
नादिर शाह ने दिया नाम, फिर गया ब्रिटेन
1738 में ईरानी शासक नादिर शाह ने भारत पर हमला किया और मुगलों से यह हीरा छीन लिया. वही वह पहला शासक था, जो इस हीरे को भारत से बाहर ले गया. उसी ने इसे "कोहिनूर" नाम दिया, जिसका मतलब होता है 'रोशनी का पहाड़'. नादिर शाह के बाद यह हीरा अफगानी शासक अहमद शाह दुर्रानी के पास पहुंचा, जहां से 1813 में महाराजा रणजीत सिंह इसे वापस भारत ले आए. इसके बाद 1849 में सिखों और अंग्रेजों के बीच हुए युद्ध में अंग्रेजों ने यह हीरा जीत लिया. इसे महारानी विक्टोरिया के ताज में जड़ा गया और यह आज भी इंग्लैंड में है.
भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान का दावा
कोहिनूर हीरे पर आज भी कई देशों का दावा है. भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस पर अपना अधिकार जताते हैं, लेकिन फिलहाल यह लंदन के टॉवर में सुरक्षित है. भारत सरकार लगातार इसकी वापसी के लिए प्रयास कर रही है.
आज भी विवाद का विषय
भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस हीरे पर अपना दावा करते हैं, लेकिन वर्तमान में यह लंदन के टॉवर में सुरक्षित रखा गया है। भारत लगातार इसके वापसी की मांग करता रहा है, लेकिन अब तक इसे लौटाया नहीं गया।