अगर आप लड़के है और आपने कान छिदवाना है तो ये खबर पढ़ रह जाएंगे हैरान
वैसे तो कान का छेदवाना सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है।
वैसे तो कान का छेदवाना सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। यहां हमारे 16 संस्कारों में से एक है। लड़कियां कान छिदवाने के बाद आभूषण धारण करती हैं। यह चलन कई धर्मो में है। ज्यादातर धर्म की महिलएं कान तथा नाक में बाली धारण करती है। लेकिन यह संस्कार बालाकों के लिए भी बनाया गया हैं जिसमें लडकों का कान उनकी छोटी उम्र में छिदवा दिया जाता है। कुछ दिनों बाद पहनी गई बाली उतार देते हैं और कान वापस से भर जाता है। लेकिन आज के चलन में कई लड़के कानों में बाली पहनने लगे हैं।
राजा धारण करते थे बाली
वही बता दें कि पूर्व काल में राजा तथा उसके बड़े मंत्रीगण भी कानों में बालियां तथा अन्य रत्न धारण करते थे। अगर ऐसा है तो आज हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि कानों में बाली धारण करना पुरुषों के लिए कितना लाभप्रद है।
वैज्ञानिक मान्यता
- कर्णभेदन के संबंध में हमारे धर्म शास्त्र इसे बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। तभी तो इसे एक संस्कार के रूप में संपन्न करवाया जाता है। कई सारी प्रचलित मान्यताओं पर वैज्ञानिकों ने उनकी प्रमाणिकता जाची परखी है।
- कर्ण भेदन के संबंध में हमारे वैज्ञानिकों का भी कहना है कि इससे पैरालिसिस नहीं होती है। बताया गया है कि 6 दिन से चेहरे पर ग्लो आता है युवावस्था वह दौर बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है।
- बताया गया है कि कर्ण भेदन संस्कार करने से मस्तिष्क में रक्त का संचार बढ़ा। इसीलिए रतन धर्म में 8 वर्ष की उम्र में बच्चे का कर्ण भेदन करवाया जाता है। माना जाता है कि करण आवेदन के बाद बच्चे की बौद्धिक क्षमता तेजी से विकसित होती है।
फैशन बना कर्णभेदन
सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक कर्ण भेदन संस्कार आज फैशन बनकर रह गया है। देश के बड़े शहरों से लेकर फिल्म इंडस्ट्री के कई अभिनेता कानों में बाली पहने नजर आते हैं। वही इस संस्कार का अपभ्रंश रूप यह है कि जहां संस्कार के अनुसार दोनों कानों में बालियां रत्न धारण करना चाहिए वहां लोग एक कानों पर रत्न दिया वाली धारण कर रहे हैं। जो उनके स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक नुकसान दे होता है।
नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।