Bhopal ki Curfew Wali Mata: सोने के सिंहासन पर विराजमान है मां दुर्गा, लोग कहते हैं कर्फ्यू वाली माता

भोपाल (Bhopal) में मां दुर्गा का मंदिर कर्फ्यू वाली माता (Curfew Wali Mata) के नाम से विख्यात हैं।

Update: 2021-10-10 06:10 GMT

Bhopal Ki Curfew Wali Mata: जगत जननी मां जगदंबा के प्रभाव को हम भलीभांति जानते हैं। कलयुग मां दुर्गा साक्षात देवता मानी गई है। नवरात्रि के समय मां दुर्गा की स्थापना कर माता की पूजा की जाती है। मां के अनेकों रूप अपने भक्तों की रक्षा और सुख संपन्नता प्रदान करती हैं। नवरात्रि का प्रथम दिन है ऐसे में दुर्गा के विशेष मंदिर के संबंध में जानकारी दे रहे हैं।

1981 में हुआ मंदिर का निर्माण

यह मंदिर भोपाल (Bhopal) में वर्ष 1981 में बना। मंदिर निर्माण के समय कई बाधाएं आई। काफी दिन तक कर्फ्यू लगा रहा। जिससे लोग दुर्गा मंदिर को ''कर्फ्यू वाली माता'' (Curfew Wali Mata) के मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर में मां दुर्गा सोने के सिंहासन पर विराजमान है। मंदिर का कलश भी सोने का लगा हुआ है। मंदिर का गर्भ गृह भी स्वर्ण जड़ित है।

मंदिर निर्माण के समय हुआ था विवाद

बताया जाता है प्रदेश की राजधानी भोपाल में कर्फ्यू वाली माता (Bhopal Curfew Wali Mata) का स्वर्ण जड़ित मंदिर है। मंदिर निर्माण के समय काफी विवाद हुआ था प्रशासन और आमजन आमने सामने आ गए थे। एहतियात के तौर पर प्रशासन को काफी दिनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था। मंदिर निर्माण के पश्चात प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए मां दुर्गा के मूर्ति की स्थापना नहीं करने दी। मंदिर निर्माण के समय काफी दिनों तक कर्फ्यू लगा होने से इस मंदिर का नाम कर्फ्यू वाली माता मंदिर पड़ गया। मंदिर निर्माण के समय विवाद होने से यह काफी चर्चाओं में रहा।

प्रशासन ने मूर्ति को जब्त कर लिया था

विवाद की वहज से प्रशासन ने मूर्ति स्थापना नही करने दी। मूर्ति को जप्त कर शीतलदास की बगिया में रखवा दिया था। जिसके पश्चात विरोध और तीव्र हुए और अंततः उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को झुकना पड़ा। बाद में उक्त जमीन का पट्टा मंदिर के नाम किया गया। विधि विधान से मां दुर्गा की स्थापना की गई।

भव्य है माता का मंदिर


मंदिर को भव्यता देने के लिए भक्तों ने मंदिर के गम्मत बर स्वर्ण कलश लगाया गया साथ ही मंदिर के गर्भ ग्रह को सोने से अलंकृत किया गया है। मां दुर्गा की प्रतिमा जी जहां स्थापित है उस पर बना सिंहासन भी स्वर्ण जड़ित है। इस दुर्गा मंदिर की तुलना अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से करते है।

प्रतिदिन पहुंचते हैं हजारों भक्त

नवरात्रि के समय मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग रानी का दर्शन करने पहुंचते हैं। वही नवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में भी मंदिर की भव्यता सुनकर लोग खींचे चले आते हैं। वहीं प्रशासन द्वारा भी नवरात्रि के समय मंदिर में विशेष व्यवस्था बनाने में सहयोग करती है। मंदिर आने वाले आने जाने वालों को परेशानी ना हो इसके लिए मार्ग निर्धारित कर मंदिर सेवादारों के साथ पुलिस प्रशासन भी सहयोग करती है।

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