सीएम बनना सपना रह गया, पर हारते हुए भी सिंधिया को उनके गढ़ में कमजोर कर गए कमल नाथ

कमल नाथ का दोबारा सत्ता में लौटने और मुख्यमंत्री बनने का सपना चकना चूर हो गया है. परन्तु हारते हारते भी कमल नाथ ने राज्यसभा सांसद सिंधिया

Update: 2021-02-16 06:38 GMT

मध्यप्रदेश में सत्ता की उठा पटक पर मंगलवार को विराम लग गया. मंगलवार को आए विधानसभा उप चुनाव के परिणाम (MP By Election Result) में भाजपा ने बहुमत हासिल कर सत्ता में बने रहने का दावा मजबूत कर लिया है. इसके साथ ही कमल नाथ (Kamal Nath) का दोबारा सत्ता में लौटने और मुख्यमंत्री बनने का सपना चकना चूर हो गया है. परन्तु हारते हारते भी कमल नाथ ने भाजपा नेता एवं राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को उनके ही गढ़ में मात दे गए.

मध्य प्रदेश में भाजपा को मिली 19 सीटें, विधानसभा में बहुमत हासिल

कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनैतिक प्रतिद्वंदिता

वर्ष 2018 में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में दोनों कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कंधे से कंधा मिलाकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता लाने के लिए मेहनत की. दोनों की मेहनत भी सफल हुई, कांग्रेस बहुमत से चंद कदम दूर जरूर रही, लेकिन निर्दलीय और बसपा के विधायकों के गठबंधन में सरकार बनाने में कामयाब हो गई. इसके बाद शुरू होता है अंतर्कलह. पार्टी के अंदर अंतर्कलह तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री पद की कमान सौपी जानी थी, इस पर कांग्रेस में टूट सामने आने लगी और यहीं से ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमल नाथ के बीच राजनैतिक प्रतिद्वंदिता भी शुरू हो गई.

सीएम का चेहरा ज्योतिरादित्य का, पर कुर्सी मिली कमल नाथ को

दरअसल, विस चुनाव 2018 में प्रचार के दौरान पूरे प्रदेश में ज्योतिरादित्य के नाम पर वोट बटोरने का काम कांग्रेस ने किया. परन्तु जब कांग्रेस सत्ता में आई उसके बाद कमल नाथ को मुख्यमंत्री बना दिया गया. यहीं से दोनों के समर्थकों और दोनों नेताओं के बीच खटास भी शुरू हो गई. इसके बाद ज्योतिरादित्य के समर्थक यह इन्तजार करते रहें की सीएम नहीं तो फिर प्रदेश अध्यक्ष ही सही. लेकिन इस पद पर भी कमल नाथ कायम रहें.

चंबल में सिंधिया समर्थक एक सीट भी जीत गए तो राजनीति छोड़ दूंगा: अजय सिंह

मार्च में सरकार ही गिरा दी

अपनी ही पार्टी में हो रही अनदेखी के चलते ज्योतिरादित्य का झुकाव भाजपा की तरफ होने लगा. भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी सिंधिया को अपने खेमे में लेने की जुगत में लग गया और आखिरकार मार्च 2020 में हुआ भी यही. सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर कमल नाथ सरकार गिरा दिया और शिवराज के नेतृत्व में भाजपा की सरकार डेढ़ साल बाद फिर सत्ता में लौट आई.

गढ़ में सिंधिया को झटका, 13 में 6 ही जीत पाएं

3 नवम्बर को मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए संपन्न हुए उप चुनाव में प्रत्याशियों के भाग्य का फैंसला जनता ने करके ईवीएम में कैद कर दिया था. सिंधिया के गढ़ में 13 विधायक उम्मीदवारों पर दाव था, लेकिन कमल नाथ ने भी बदला लेने का पूरा मन बना लिया था. 10 को आए परिणाम में कमल नाथ को दोबारा सत्ता तो नहीं मिली, पर वे हारते हारते भी सिंधिया को मात दे गए. सिंधिया के 13 में से 6 विधायक ही जीत पाएं.

6 मंत्रियों में से 3 हारें

इतना ही नहीं चुनाव मैदान में उतरे छह मंत्रियाें में से तीन काे तगड़ी हार भी झेलना पड़ी है जिसमें शिवराज सरकार में मंत्री रहीं इमरती देवी भी शामिल हैं. वहीं कुछ सीटाें पर ताे जीत का अंतर भी काफी कम रहा है. यहां बसपा प्रत्याशियाें के दम भरने से भाजपा प्रत्याशी काे संजीवनी मिली है.

यहाँ क्लिक कर RewaRiyasat.Com Official Facebook Page Like

Similar News