Who is Gita Gopinath: कौन हैं गीता गोपीनाथ जो IMF की पहली भारतीय फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डाइरेक्टर बन गईं हैं
Who is Gita Gopinath: कौन हैं गीता गोपीनाथ ये सवाल पूरी दुनिया के लोग पूछ रहे हैं, आखिर गीता गोपीनाथ ने ऐसा क्या कर दिया है जो इंटरनेट में ट्रेंडिंग टॉपिक बन गईं हैं। इस सवाल का जवाब आपको यहीं मिल जाएगा।
गीता गोपीनाथ एक भारतीय मूल की बहुचर्चित इकोनॉमिस्ट यानी के अर्थशास्त्री हैं, जिन्हे अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने प्रमोशन देते हुए फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डाइरेक्टर (FDMD) बना दिया गया है। यह IMF में दूसरे नंबर की रैंक है लेकिन देश के लिए यह गौरव की बात है। अब इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (International Monatory Fund) में भारत देश से संबध रखने वाली गीता गोपीनाथ (Geeta Gopinath) एक अहम अधिकारी का दाईत्व संभालेंगी। खास बात तो यह है कि यह पहला मौका है जब कोई भारतीय मूल का व्यक्ति आईएमएफ के इस पद में प्रमोट किया गया है।
आज FDMD हैं लेकिन कभी IMF छोड़ना चाहती थीं
गीता गोपीनाथ कभी आईएमएफ को छोड़ना चाहती थीं। उनकी मंशा की के वो साल 2022 में वापस हॉवर्ड विश्वविद्यालय जाकर वहां के स्टूडेंट्स को इकोनॉमिक्स पढ़ाएं लेकिन अब फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डाइरेक्टर बनने के बाद वो आईएमएफ में ही रह कर अपने कर्तव्य का निर्वहन करेगीं।
कौन हैं गीता गोपीनाथ
गीता गोपीनाथ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्री राम महाविद्यालय से साल 1992 में इकोनॉमिक्स ऑनर्स की पढाई की और दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रैजुएशन पूरा किया। इसके बाद आगे की पढाई करने के लिए गीता 1994 में अमेरिका के वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी चली गईं और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से 1996 से लेकर 2001 तक उन्होंने अर्थशास्त्र से PHD की पढाई की। गीता गोपीनाथ ने अपनी पढाई के दौरन इकबाल से शादी कर ली और दोनों का एक 18 साल का बीटा भी है जिसका नाम राहिल है।
गीता गोपीनाथ पहले इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर थीं
साल 2001 से लेकर 2005 तक उन्होइने शिकागो यूनिवर्सिटी में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर क्र रूप में काम किया इसके बाद गीता ने हावर्ड यूनिवर्सिटी में भी असिस्टेंट प्रोफेसर रह कर काम किया, 5 साल बाद गीता हावर्ड यूनिवर्सिटी में प्रमोट होकर प्रोफेसर बन गईं. उन्होंने बिज़नेस एंड इन्वेस्टमेंट, अंतरष्ट्रीय वित्तय संकट, मुद्रा निति, कर्ज और उभरते बाजार की समस्याओं पर 40 से ज़्यादा रिसर्च पेपर्स लिखें हैं।
विवादों में भी रहीं
पिछले साल गीता गोपीनाथ का सामना विवादों से भी हुआ जब एक इंटरव्यू में उन्होंने वैश्विक आर्थिक विकास में हुई गिरावट का दोषी भारत को ठहरा दिया था। उन्होंने अपने दिए इंटरव्यू में कहा था कि 80% गिरावट के लिए भारत ज़िम्मेदार है। उनके बयान का सहारा लेते हुए विपक्ष ने मोदी सरकार को खूब टारगेट किया था। गीता गोपीनाथ ने भाजपा सरकार के नोट बंदी के फैसले को भी गलत बताते हुए इसे आर्थिक विकास के लिहाज से बुरा बताया था। लेकिन उन्होंने मोदी सरकार द्वारा बनाए गए 3 कृषि कानून की तारीफ भी की थी।
पढाई में बिकुल अच्छी नहीं थीं
उनका जन्म और शुरुआती पढाई-लिखाई भारत में ही हुई है। गीता गोपीनाथ आज भले ही दुनिया की बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में गिनी जाती हैं लेकिन अपने स्कूल टाइम में उनका पढाई-लिखाई में कतई मन नहीं लगता था। एक बार The Week को दिए इंटरव्यू में गीता ने कहा था कि सातवीं क्लास तक उनके 45% ही आते थे लेकिन बाद में उन्होंने इतनी पढाई की के क्लास में 90% से ज़्यादा मार्क्स आने लगे। गीता साइंस और बायो में भी अच्छी थीं वो कोई वैज्ञानिक या फिर डॉक्टर बन सकती थीं लेकिन उन्होंने अपना करियर एक अर्थशास्त्री के रूप में बनाने का फैसला किया।
इसी साल अमेरिका के कार्गोनी कॉर्पोरेशन ने गीता गोपीनाथ को उनके योगदान और अमेरिकी समाज और लोक तंत्र को मजबूत बनाने के लिए सम्मानित भी किया था। गीता को 2021 में ग्रेट इमिग्रेंट्स की लिस्ट में भी शुमार किया गया था। 2019 में भारत सरकार ने उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान भी दिया था।