
रूस में यात्री विमान क्रैश: चीन सीमा के पास 49 लोगों की मौत, 63 साल पुराना था विमान

रूस में यात्री विमान क्रैश, चीन सीमा के पास 49 लोगों की मौत: रूस में एक बड़ी और दुखद खबर सामने आई है. रूस का एक यात्री विमान चीन की सीमा के पास क्रैश हो गया है, जिसमें विमान में सवार सभी 49 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में 43 यात्री और 6 क्रू मेंबर शामिल थे. यात्रियों में 5 बच्चे भी थे, जिससे यह हादसा और भी हृदयविदारक हो गया है. बचाव दल को रूसी यात्री विमान का मलबा टिंडा (Tynda) से लगभग 16 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर मिला है, जिससे हादसे की पुष्टि हुई. यह घटना रूस के पूर्वी अमूर क्षेत्र (Amur region) में हुई, जिसने इलाके में हड़कंप मचा दिया है.
रूसी विमान कैसे क्रैश हुआ?
अमूर के गवर्नर वासिली ओरलोव ने टेलीग्राम पर बताया कि लापता विमान अंगारा एयरलाइंस (Angara Airlines) का था. लोकल इमरजेंसी मिनिस्ट्री ने जानकारी दी कि यह विमान खाबरोवस्क (Khabarovsk) और ब्लागोवेशचेंस्क (Blagoveshchensk) होते हुए टिंडा जा रहा था. टिंडा शहर रूस की राजधानी मॉस्को से लगभग 6,600 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है और चीन की सीमा के पास है.
इंटरफैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, विमान टिंडा पहुंचने से पहले ही रडार से गायब हो गया और उसका संपर्क टूट गया. बताया जा रहा है कि विमान पहले टिंडा एयरपोर्ट पर उतरने की कोशिश में नाकामयाब रहा. जब उसने दूसरी बार लैंडिंग करने की कोशिश की, तभी वह रडार से गायब हो गया. तास समाचार एजेंसी ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि यह विमान टिंडा एयरपोर्ट से कुछ किलोमीटर पहले एक तय चेकपॉइंट पर भी संपर्क नहीं कर पाया था, जिससे संदेह और बढ़ गया था.
क्रैश हुआ विमान था 63 साल पुराना
जो विमान इस हादसे का शिकार हुआ है, वह An-24 मॉडल का था और यह 63 साल पुराना बताया जा रहा है. यह विमान सोवियत संघ द्वारा छोटे और दुर्गम इलाकों में उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया था. जब इसे बनाया गया था, तब इसमें 32 सीटें होती थीं और यह 450 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 400 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता था.
An-24 विमान की खासियत यह थी कि यह 4 टन तक का वजन (पेलोड) ले जा सकता था. इसे ऐसे रनवे से भी उड़ान भरने लायक बनाया गया था जो केवल 1200 मीटर लंबे हों और पक्के न हों (यानी कच्ची पट्टियों पर भी उतर सकता था). इतना ही नहीं, इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि अगर विमान का एक इंजन भी खराब हो जाए, तो भी यह सुरक्षित रूप से टेकऑफ कर सके. अप्रैल 1962 में इसकी टेस्टिंग सफल रही, जिसके बाद अक्टूबर 1962 से इस विमान ने यात्रियों को ले जाना शुरू कर दिया. An-24 के कुल 1367 विमान बनाए गए थे. सोवियत संघ में इस विमान का निर्माण 1979 तक जारी रहा, लेकिन इसके बाद भी ये विमान कई सालों तक सेवा में बने रहे. आज भी An-24 का इस्तेमाल दुनिया के कुछ हिस्सों में हो रहा है, खासकर ऐसे इलाकों में जहां बड़े रनवे उपलब्ध नहीं होते.
पिछले साल भी अमूर में हुआ था हवाई हादसा
अमूर इलाका पहले भी हवाई हादसों का गवाह रहा है. पिछले साल सितंबर में भी इसी अमूर इलाके में एक हवाई हादसा हुआ था. तब 3 लोगों को लेकर उड़ रहा एक रॉबिन्सन R66 हेलिकॉप्टर उड़ान के दौरान लापता हो गया था. उस हेलिकॉप्टर को उड़ान भरने की अनुमति नहीं मिली थी. इमरजेंसी सिग्नल मिलने के एक दिन बाद, टोही दलों ने सुबह जोलोटोया गोरा के पास इसका मलबा ढूंढा. इस हादसे में हेलिकॉप्टर में सवार एक पायलट सहित तीनों लोगों की मौत हो गई थी. इन घटनाओं ने रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्रों में हवाई सुरक्षा के मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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