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ट्रम्प के दावे को भारत ने नकारा: MEA ने कहा- रूस से तेल खरीदी जारी रहेगी, पीएम मोदी-डोनाल्ड ट्रम्प के बीच कोई बातचीत नहीं हुई; US प्रेसिडेंट ने कहा था- मोदी ने भरोसा दिया

Rewa Riyasat News
16 Oct 2025 10:41 PM IST
ट्रम्प के दावे को भारत ने नकारा: MEA ने कहा- रूस से तेल खरीदी जारी रहेगी, पीएम मोदी-डोनाल्ड ट्रम्प के बीच कोई बातचीत नहीं हुई; US प्रेसिडेंट ने कहा था- मोदी ने भरोसा दिया
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भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के दावे पर सफाई दी। भारत की ऊर्जा नीति रूसी तेल आयात, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और विपक्ष की प्रतिक्रिया सहित पूरी जानकारी।
🔹 मुख्य बिंदु (Highlights):
1️⃣ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने दावा किया कि पीएम मोदी ने उन्हें कहा कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा।
2️⃣ MEA प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्रम्प के दावे को गलत बताया और कहा कि भारत अपनी
ऊर्जा नीति
और जनता के हित में फैसले लेता है।
3️⃣ अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया है।
4️⃣ रूस ने कहा कि भारत के लिए उनकी तेल आपूर्ति फायदेमंद है। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा।

ट्रम्प के दावे पर MEA की सफाई | MEA Clarifies on Trump’s Claim

भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि बुधवार को पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच कोई प्रत्यक्ष बातचीत नहीं हुई थी। ट्रम्प ने दावा किया कि पीएम मोदी ने उन्हें कहा कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। MEA ने इसे पूरी तरह से खारिज किया और कहा कि भारत अपनी ऊर्जा नीति (Energy Policy) और जनता के हित के अनुसार ही निर्णय लेता है।

MEA प्रवक्ता ने बताया कि भारत हमेशा अपने ऊर्जा स्रोतों को विविधता देने और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करने की रणनीति अपनाता है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम जनता के हितों की रक्षा करते हुए अपनी आयात नीतियों को तैयार करते हैं और किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं आते। भारत की प्राथमिकता स्थिर कीमतें और सतत ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना है।”

अमेरिका ने भारत पर लगाए टैरिफ | US Tariffs on India

अमेरिका ने अगस्त 2025 में रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% पैनल्टी लगाई। इससे पहले जुलाई 2025 में 25% रेसीप्रोकल टैरिफ लगाया गया था। कुल मिलाकर भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ की दर 50% हो गई है। व्हाइट हाउस का कहना है कि इसका उद्देश्य रूस पर आर्थिक दबाव डालना और यूक्रेन युद्ध को रोकना है।

व्हाइट हाउस प्रेस सचिव केरोलिना लेविट ने बताया कि यह टैरिफ और पैनल्टी रूस की वैश्विक तेल बिक्री को प्रभावित करने और युद्ध के दबाव को बढ़ाने के लिए लागू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत पर टैरिफ का मकसद सीधे तौर पर भारतीय कंपनियों को प्रभावित करना नहीं है, बल्कि इसका फोकस रूस पर सेकेंडरी प्रेशर डालना है।

विपक्षी प्रतिक्रिया | Opposition Reaction

ट्रम्प के दावे के बाद विपक्षी नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मोदी अमेरिकी दबाव के कारण रूस से तेल खरीदने के मामले में पीछे हट गए हैं। उन्होंने 5 मुख्य आरोप लगाए:

  • ट्रम्प को यह फैसला करने देते कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा।
  • बार-बार अनदेखी होने के बाद भी ट्रम्प को बधाई संदेश भेजते रहे।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अमेरिका यात्रा रद्द कर दी।
  • खुद मिस्र के शर्म अल-शेख समिट में शामिल नहीं हुए।
  • ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रम्प के बयानों का विरोध नहीं किया।

रूस का दृष्टिकोण | Russia’s Perspective

भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि भारत को रूसी तेल की आपूर्ति जारी है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंधों में अमेरिका का हस्तक्षेप नहीं है। रूस का मानना है कि तेल आपूर्ति सहयोग जारी रहेगा और यह भारत के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है।

भारत की ऊर्जा नीति और रणनीति | India’s Energy Policy and Strategy

भारत अपनी ऊर्जा नीति में दो प्रमुख लक्ष्य रखता है:

1️⃣ स्थिर कीमतें सुनिश्चित करना।

2️⃣ सुरक्षित और विविध ऊर्जा आपूर्ति बनाए रखना।

इस नीति के तहत भारत रूस, अमेरिका, सऊदी अरब, इराक और अन्य देशों से तेल आयात करता है। MEA प्रवक्ता ने बताया कि अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने ऊर्जा खरीद में विविधता लाने का प्रयास जारी रखा है। सरकारी रिफाइनरी कंपनियों ने रूसी तेल आयात में कटौती की, जबकि निजी कंपनियों ने आयात बढ़ाकर कुल आपूर्ति पर असर नहीं पड़ने दिया।

रूस से सस्ता तेल क्यों महत्वपूर्ण है? | Why Cheap Russian Oil is Important

  • सस्ती कीमत: रूस भारत को अभी भी अन्य देशों की तुलना में सस्ता तेल प्रदान करता है।
  • लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट: रिलायंस और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों के साथ लंबे समझौते हैं। उदाहरण: दिसंबर 2024 में रिलायंस ने 10 साल के लिए रोजाना 5 लाख बैरल तेल खरीदी।
  • वैश्विक कीमत स्थिरता: भारत का रूसी तेल आयात वैश्विक तेल बाजार में मूल्य स्थिरता बनाए रखता है। यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो वैश्विक सप्लाई कम हो सकती है और कीमतें बढ़ सकती हैं।

भारत के तेल विकल्प | India’s Alternative Oil Suppliers

भारत अपनी कुल तेल जरूरत का 80% आयात करता है। रूस के अलावा प्रमुख सप्लायर हैं:

  • इराक: भारत का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर, लगभग 21% सप्लाई करता है।
  • सऊदी अरब: तीसरा सबसे बड़ा सप्लायर, 15% सप्लाई करता है।
  • अमेरिका: जनवरी-जून 2025 में रोजाना 2.71 लाख बैरल।
  • UAE और लैटिन अमेरिकी देश: विकल्प के रूप में सरकारी रिफाइनरी उपयोग कर रही हैं।

अमेरिकी दबाव और भारत की प्रतिक्रिया | US Pressure and India’s Response

ट्रम्प प्रशासन ने रूस से तेल लेने पर भारत के खिलाफ आर्थिक दबाव बनाने के लिए टैरिफ लगाए। लेकिन भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों और दीर्घकालिक रणनीति के अनुसार कदम उठाए। सरकारी रिफाइनरी ने रूसी तेल आयात घटाया, जबकि निजी रिफाइनरी ने संतुलन बनाए रखा। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि भारत की कुल तेल आपूर्ति प्रभावित न हो।

सितंबर 2025 में भारत का रूसी तेल आयात | Russian Oil Imports in Sept 2025

कमोडिटी ट्रैकर क्लेप्लर के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत ने आने वाले शिपमेंट का 34% हिस्सा रूस से लिया। पहले आठ महीनों में आयात में 10% की गिरावट देखी गई थी। सरकारी कंपनियों ने रूसी आयात घटाया, जबकि निजी कंपनियों ने बढ़ाकर आपूर्ति संतुलित रखी।

भारत और रूस का तेल सहयोग: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि | India-Russia Oil Cooperation History

फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाया। इसके बाद रूस ने अपनी आपूर्ति एशियाई देशों की ओर मोड़ दी। भारत ने 2021 में रूसी तेल का मात्र 0.2% आयात किया था। लेकिन 2025 में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया। औसतन 1.67 मिलियन बैरल प्रति दिन की आपूर्ति होती है, जो भारत की कुल आवश्यकता का लगभग 37% है।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या पीएम मोदी ने ट्रम्प से कहा कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा?

MEA प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई संवाद नहीं हुआ। भारत अपनी ऊर्जा नीति और जनता के हित में निर्णय लेता है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति का यह दावा पूरी तरह से विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया है।

अमेरिका ने भारत पर कितने टैरिफ लगाए हैं?

अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी और 25% रेसीप्रोकल टैरिफ लगाया, कुल 50% टैरिफ।

भारत रूस से तेल क्यों नहीं खरीदना छोड़ता?

भारत को रूस से सस्ता तेल, लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट और वैश्विक कीमत स्थिरता का लाभ मिलता है। इसे अचानक बंद करना संभव नहीं।

अन्य देशों से तेल विकल्प कौन-कौन से हैं?

भारत इराक, सऊदी अरब, अमेरिका, UAE और लैटिन अमेरिकी देशों से भी तेल आयात करता है।

MEA ने अमेरिकी दावों पर क्या प्रतिक्रिया दी?

MEA ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा नीति और जनता के हित के अनुसार निर्णय लेता है, किसी बाहरी दबाव में नहीं आता।

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