विंध्य

जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी: आज शहीदी दिवस है आइये विंध्य के वीरों की शहादत को नमन करें

जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी: आज शहीदी दिवस है आइये विंध्य के वीरों की शहादत को नमन करें
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चाहे पाकिस्तान हो या चीन विंध्य के शेरों ने हमेशा देश की रक्षा के लिए बलिदान किया है. इस धरती को अपने लहू से सींचा है।

आज शहीदी दिवस है, वैसे तो भारत माँ की रक्षा करने वाले जवानों के बलिदान को याद करने के लिए किसी खास मौके की ज़रूरत नहीं है वो सदैव स्मरणीय हैं. लेकिन शहीदी दिवस का देश की जनता के दिल में अलग महत्त्व है। आज के दिन भारत की जनता उन वीर सपूतों को याद करती है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बदिलादन कर दिया इस देश की धरती को अपने लहू से सींच दिया। ऐसे वीरों को रीवा रियासत सलाम करता है। देश की रक्षा करने में विंध्य के सपूतों का नाम सबसे आगे रहा है चाहें पाकिस्तान हो या चीन विंध्य की माटी में जन्मे शेरों ने अपना घर, परिवार, बच्चे , पत्नी ,माँ-बाप दोस्त, और अपनी ज़िन्दगी के पहले देश को चुना उन्होंने देश और हम जनता के जो किया है देश की जनता उस उपकार की हमेशा कर्जदार रहेगी।

शोपिया में शहीद हुए कर्णवीर सिंह


देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले सतना के कर्णवीर सिंह 20 अक्टूबर 2021 की अलसुबह चार बजे आतंकियों का सामना कर रहे थे। इस दौरान आतंकियों ने उन्हें निशाना बना दिया और कर्णवीर के सिर और सीने में गोली लग जाने के कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गए, उनकी अस्पताल में मौत हो गई। कश्मीर के शोपिया में आतंकवादियों से लड़ते हुए उन्होंने 2 आतंकियों को जहन्नुम भेज दिया। गुरुवार को अमर शहीद कर्णवीर सिंह का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा। वो सिर्फ 26 साल के थे, उनके जाने के बाद उस माँ के अरमान पिता की उम्मीदें उस भाई का साथ सब कुछ ख़त्म हो गया लेकिन उनकी शाहदत से परिवार सहित पूरा विंध्य और देश गौरवान्वित हुआ। शहीद कर्णवीर सिंह हमेशा विंध्यवासियों के दिल में जीवित रहेंगे और युवा को देश की रक्षा करने प्रेरणा देते रहेंगे।

गलवान में शहीद हुए थे दीपक सिंह
पिछले साल भारत चीन बॉर्डर में चीनी सैनिकों ने अचानक भारतीय फ़ौज की एक बटालियन में हमला कर दिया जिसमे देश ने 20 वीर जवानों को खो दिया। उस दौरन भारतीय सैनिकों ने चीनी सिपाहियों को पछाड़ कर रख दिया और ऐसा मारा की चीन बिलबिलाने लगा। चीनी सैनिकों को देश की सीमा में घुसने से रोकते हुए रीवा के फरेंदा गाँव के रहने वाले जवान दीपक सिंह शहीद हो गए थे। उनकी शहादत से विंध्यवासियों का सर फर्क से ऊँचा कर दिया।


शहीद सुधाकर सिंह ने पाकिस्तानियों से लोहा लिया


बात 2013 की है जब सीढ़ी जिले के चुरहट के नज़दीक डिढिया गांव के जवान सुधाकर सिंह जम्मू कश्मीर के मेंढर सेक्टर की गश्त में थे। इस दौरन पाकिस्तानी सेना से उनका सामना हो गया. शहीद सुधाकर सिंह के साथ शहीद हेमराज भी थे और उधर ढेरों पाकिस्तानी सिपाही इन पर गोलियां बरसा रहे थे। फिर भी इन दोनों वीरों का साहस कम न हुआ। दोनों जवान पाकिस्तानियों से लड़ते रहे करीब घंटे भर की मुठभेड़ के बाद दोनों जवान शहीद हो गए। ज़ाहिल और बेशर्म पाकिस्तानी सैनिको ने दोनों जवानों के शहीद होने के बाद उनके शवों के साथ बर्बरता की उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। उस वक़्त पूरा देश इन दोनों जवानों के साथ हुई बर्बरता में रोया था और पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सरकार से मांग कर रहा था।

इन वीर जवानों ने भी हमारे लिए दिए प्राण



  • 18 नवंबर 1962 में इंडो चीन वार में शहीद हुए एलएन तिवारी ओझा पुरवा गाँव के रहने वाले थे। जब भारत की सीमा में चीन ने घुसपैठ की थी तब भारत की तरफ से चंद सैनिक थे जबकि चीन की सेना विशाल थी। फिर भी जवानों ने हिम्मत बांधी रखी और लड़ते रहे।
  • 20 नवंबर 1965 को भारत पाकिस्तान के युद्ध में खड़ा गांव के रहने वाले रामचरण को शहादत की प्राप्ति हुई थी। रामचरण ने पाकिस्तानियों का डट कर सामना किया और दुश्मन की गोली लगने से वो शहीद हो गए।
  • 1971 में पुरवा गांव के शहीद राम खेलावन खैर के जयपाल सिंह भी पाकिस्तानी सैनिकों का सामना करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।
  • 1988 में ऑपरेशन पवन में गडरपुरवा के शहीद पीके गौतम, 1989 में गाज़ीपुर हमले में मऊगंज के बसंत लाल भगदेवा, आरएन मिश्रा शहीद हुए
  • 1989 में ऑपरेशन मेघदूत के दौरन गहिरा के राम भुवन पटेल, 1090 में मोहरिया के वीपी चतुर्वेदी, 1992 में तोमरपुरवा के वीर अवधेश सिंह तोमर, साल 1992 में ऑपरेशन रक्षक में लौआ के सुखेन्द्र सिंह बधेल, 1994 ऑपरेशन सोमालिया में देवरी बघेलान के रामलाल पटेल, नैकिन के रामपाल गुप्ता, ऊँची के रामशरण जायसवाल शहीद हुए थे।
  • 1999 कारगिल के दौरन देवरा के कालू प्रसाद पांडेय, ऑपरेशन रक्षक में भेर्रहा खैरन के चंद्रचूर्ण प्रसाद, 2001 में गढ़वा के शुभाष त्रिपाठी, 2003 में लभौली के पुष्पराज सिंह , 2020 में रीवा सिटी के आशीष कुमार दुबे, म्यांमार बॉर्डर पर फरहदी के जीतेन्द्र कुमार कुशवाहा
  • 6 नवंबर 2019 को गोदरी के अखिलेश कुमार पटेल, 9 मार्च 2020 को मझगवां के वीरेंद्र कुमार कुशवाहा शहीद हुए। इसके अलावा चीन बॉर्डर में लालमणि सिंह, रामविश्वास सिंह, सिपाही अंझा, लक्षमण निवास, दीपक सिंह को शहादत मिली, जबकि अर्धसैनिक बल में शामिल जवान नायक छोटे लाल, सीआरपीएफ के जवान नारायण सोनकर जैसे दर्जनों ऐसे वीर सपूत रहे हैं जिन्होंने विंध्य का सिर फर्क से ऊँचा किया है।

ऐसे वीर जवानों को और उनके परिवार को रीवा रियासत सलाम करता है।




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