- Home
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- विंध्य
- /
- रीवा लोकसभा सीट: भाजपा...
रीवा लोकसभा सीट: भाजपा का गढ़ भेदने कांग्रेस ने फेंका पांसा, ऐसी है यहाँ की स्थिति...
आर्यन द्विवेदी, रीवा। विन्ध्य की राजनीति के केन्द्र रीवा लोकसभा सीट में पिछले 15 साल से कांग्रेस सत्ता हासिल करने को तरस रही है। जबकि विन्ध्य के विधानसभा चुनावों के परिणाम से हौसला बुलंद भाजपा अपने हाई प्रोफाईल गढ़ रीवा को बचाने के लिए फिर एक बार कांग्रेस एवं बसपा को शिकस्त देने के लिए तैयार हो चुकी है। चुनावी दंगल शुरू होते ही अब उन कामों का लेखा-जोखा फिर शुरू हो जाएगा जो शहर हित में हुए हैं और जिनकी घोषणाएं तो हुईं लेकिन अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाए हैं।
लोकसभा चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा, अभी कहना मुश्किल है लेकिन मतदाताओं ने अपना-अपना गुणा भाग लगाना शुरू कर दिया है। रीवा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत गड़रिया निवासी लक्षपति मिश्रा का कहना है कि पिछले 4 साल में शहर में कई विकास काम हुए हैं जिनसे रीवा की अलग पहचान बनती जा रही है। सिरमौर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बैकुण्ठपुर निवासी दीपक गुप्ता का कहना है कि पिछले 4 साल में देश का नेतृत्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर में बेहतर काम किया।
गुढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत महसांव निवासी राकेश सिंह का कहना है कि लोकसभा चुनाव स्थानीय नहीं राष्ट्रीय मुद्दों पर होता है इसलिए अभी से कुछ कहना संभव नहीं है। सांसद के जो काम होते हैं वह उन्होंने बखूबी किया है। वहीं मऊगंज विधानसभा निवासी हीरालाल साहू का कहना है कि रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने सिर्फ शहरी क्षेत्रों में ध्यान दिया है जबकि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अभी भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं।
इन मुद्दों पर होगा चुनाव
- रीवा नगर निगम सीमा को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अभी भी विकास से कहीं दूर हैं। देवतालाब, मऊगंज, त्योंथर विधानसभा में गर्मी शुरू होने से काफी पहले ही पानी के लिए लोग भटकने लगते हैं।
- रीवा में विश्वविद्यालय तो हैं इसके बावजूद यहां के बच्चों को बेहतर पढ़ाई के लिए इंदौर, बेंगलुरू या पुणे जैसे बढ़े शहरों में जाना पड़ता है। रीवा को एजुकेशन हब बनाने एवं आईटी पार्क देने की घोषणा तो कई बार की गई लेकिन शिक्षा का स्तर ही नहीं सुधरा। यह चुनावी मुद्दा हो सकता है।
- रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा हो सकता है। जनसंख्या में इजाफा होता जा रहा है पर रोजगार घटते जा रहे हैं। यहां के लोगों को रोजगार मिले उद्योग लगाने की मांग लंबे समय से उठ रही है। रीवा में जो विश्वस्तरीय सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किया गया है, उसमें भी स्थानियों के लिए रोजगार का टोंटा देखा जा रहा है।
- रीवा में रोजाना नशा एवं अपराध चरम सीमा पर पहुंच रहा है। युवा पीढ़ी नशे में लिप्त है, यह भी चुनावी मुद्दा बन सकते हैं।
8 विधानसभा से मिलकर बनी लोकसभा
रीवा लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीट हैं। सभी विधानसभा क्षेत्र रीवा जिले की सीमा में ही हैं। वर्तमान में इनमें सभी में भाजपा का कब्जा है। इसलिए कांग्रेस की नजर खासतौर पर रीवा सीट पर बनी हुई है। कांग्रेस हर हाल में रीवा फतह करना चाहेगी। क्योंकि रीवा समेत पूरे विन्ध्य से ही कांग्रेस को निराशाजनक परिणाम भुगतने पड़े हैं। वहीं विन्ध्य की पूरी राजनीति भी रीवा के भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के इशारों पर ही चलती है। इसलिए इस बार मुकाबला भी कांटे का होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
बहरहाल कांग्रेस की ओर से सिंगल नाम पूर्व सांसद स्व. सुंदरलाल तिवारी के पुत्र सिद्धार्थ तिवारी का गया है, जो लगभग तय माना जा रहा है। हाल ही में कांग्रेस के कद्दावर नेता सुंदरलाल तिवारी की सीने में दर्द उठने की वजह से मृत्यु हो गई थी। इसी वजह से उनके पुत्र सिद्धार्थ को चुनावी मैदान में उतारने की कांग्रेस ने लगभग तैयारी कर ली है। यहां बसपा से कांग्रेस में आएं देवराज सिंह पटेल एवं महाराजा पुष्पराज सिंह भी कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार के तौर पर देखे जा रहें हैं। परंतु स्क्रीनिंग कमेटी के सामने सिद्धार्थ के अलावा किसी अन्य का नाम नहीं प्रस्तुत किया गया।
वहीं अभी तक भाजपा ने अपना पत्ता नहीं खोला है। माना जा रहा है भाजपा रीवा सीट से पुनः सिटिंग एमपी जनार्दन मिश्र को ही चुनावी मैदान में उतार सकती है। इधर भाजयुमो के राष्ट्रीय महामंत्री गौरव तिवारी भी रीवा लोकसभा सीट से उम्मीदवारी पेश कर चुके हैं।