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Gyanwapi ASI Survey: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे में रोक लगा दी, मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी

Gyanwapi ASI Survey: काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में मौजूद ज्ञानवापी मंदिर है या मस्जिद (Is Gyanvapi a temple or a mosque?) इसका पता जल्द चल जाएगा। सावन के तीसरे सोमवार को ज्ञानवापी का ASI सर्वे शुरू हो गया. मुस्लिम पक्ष ने इसका बहिष्कार किया और वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चला गया. जहां सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे में रोक लगा दी है. अदालत ने कहा है कि 27 जुलाई की शाम 5 बजे तक सर्वे ना किया जाए.
मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यहां पहले कोई मंदिर नहीं था लेकिन वह ASI सर्वे नहीं होने देना चाहते। लोगों का सवाल है कि अगर ज्ञानवापी को लेकर मुस्लिम पक्ष इतना ही कॉंफिडेंट है तो फिर ASI सर्वे होने से तकलीफ क्या है. आखिर पूरे देश के सामने ये सच सामने आना चाहिए कि ज्ञानवापी असल में है क्या?
ज्ञानवापी का ASI सर्वे
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम यानी ASI सोमवार सुबह 6:30 बजे ज्ञानवापी पहुंच गई. सुबह 7 बजे ASI टीम ज्ञानवापी का सर्वे करने के लिए अंदर गई. शिवलिंग वाले क्षेत्र को छोड़कर बाकी पूरे परिसर का सर्वे शुरू किया गया. पहले पूरे ज्ञानवापी की नपाई हुई, चारों तरफ कैमरा लगाए गए और परिसर को 4 हिस्सों में बांटकर 4 टीमों ने सर्वे शुरू किया
ASI सर्वे टीम ने ज्ञानवापी की नीव के पास से मिट्टी के सैम्पल लिए, ज्ञानवापी के दीवारों की विडिओग्राफी हुई. सीढ़ियों में लगे पत्थरों के सैम्पल लिए.
इस दौरान ज्ञानवापी के बाहर 2000 पुलिस तैनात है, कहीं मुस्लिम पक्ष कोई बवाल ना खड़ा कर दे इसके लिए पूरी तैयारी है. मुस्लिम पक्ष इस सर्वे में शामिल नहीं हुआ है बल्कि वो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.
ज्ञानवापी के ASI सर्वे में क्या मिला
हिंदू पक्षकर एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि- ज्ञानवापी की 14 से 16 मई के बीच हुए सर्वे में 2.5 फ़ीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग नूमा आकृति दिखाई दी है जिसमे अलग से सफ़ेद पत्थर लगा है. मुस्लिम पक्ष जिसे फव्वारा कहता है वो शिवलिंग है, क्योंकी ज्ञानवापी में कथित फव्वारे के लिए कोई पाइपलाइन नहीं है. ज्ञानवापी में स्वस्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल जैसे चिन्ह मिले हैं. कौन सी मस्जिद में त्रिशूल और कमल का चिन्ह होता है?
ज्ञानवापी का सर्वे कर रही ASI टीम के पास ग्राउंड पेनिट्रटींग रडार यानी GPR है. जो बिना खुदाई किए ही 15 फ़ीट अंदर तक की इमेज निकाल देता है. GPR इमेजेस से ज्ञानवापी की नीव के अंदर देखा जा सकता है.




