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UP में लागू हुआ POLICE COMMISSIONER SYSTEM, जानिए क्या होगी पावर...

उत्तर प्रदेश में आज से Police Commissioner System लागू हो गया है। सोमवार को हुई योगी कैबिनेट की बैठक में Lucknow और Noida (गौतमबुद्ध नगर) के लिए Police Commissioner System पर मुहर लगा दी गई। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका ऐलान किया और बताया कि अब Lucknow और Noida पुलिस में एडीजी रेंज का अधिकारी Police Commissioner होगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश की पुलिस व्यवस्था में सुधार के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे पुलिस के प्रति जनता में विश्वास और प्रगाढ़ होगा और सभी के मन में सुरक्षा का भाव पैदा होगा। इसके थोड़ी देर बाद ही दोनों शहरों के नए पुलिस कमिश्नर का ऐलान भी कर दिया गया। सुजीत पांडे को लखनऊ तो आलोक सिंह को नोएडा का पहला Police Commissioner बनाया गया है। बहरहाल, बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है।
कितना पड़ेगा IAS- IPS की पॉवर में फर्क भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट (जो कि एक IAS अफसर होता है) के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार होते हैं. लेकिन पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने से ये अधिकार पुलिस अफसरों को मिल जाते हैं. सरल भाषा में कहा जाए तो जिले की बागडोर संभालने वाले आईएएस अफसर डीएम की जगह पॉवर कमिश्नर के पास चली जाती है.
दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को भी कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां प्रदान करता है. इसके अनुसार पुलिस अधिकारी सीधे कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, आम तौर से IPC और CRPC के सभी अधिकार जिले का DM वहां तैनात PCS अधिकारियों को दे देता है.
पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है
कमिश्नर व्यवस्था में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद है. ये व्यवस्था कई महानगरों में है. दरअसल हमें ये व्यवस्था आजादी के बाद विरासत में मिली. वास्तव में ये व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने की है. तब ये सिस्टम कोलकाता, मुंबई और चेन्नई (तब के कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास) में थी.
कमिश्नरी सिस्टम में पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पावर भी होती हैं. बता दें कि इन महानगरों के अलावा पूरे देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों की पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है. इसे लागू करने के पीछे एक वजह ये होती है कि अक्सर बड़े महानगरों में क्राइम रेट ज्यादा होता है. एमरजेंसी हालात में भी पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते. इससे ये स्थितियां जल्दी नहीं संभल पातीं.
कमिश्नरी सिस्टम से पुलिस कमिश्नर के पास CRPC के तहत कई अधिकार आ जाते हैं. इस व्यवस्था में पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाती है. ऐसा माना जाता है कि पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई खुद कर सकेगी तो अपराधियों के मन में डर जगेगा और क्राइम रेट घटेगा.
महिला सुरक्षा के लिए भी बड़ा फैसला योगी सरकार ने महिला सुरक्षा की दिशा में भी अहम कदम बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए लखनऊ और नोएडा के पुलिस कमिश्नर कार्यालयों में पुलिस अधीक्षक (एसपी) और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) रैंक की दो महिला अधिकारी भी तैनात की जा रही हैं।
मायावती ने बोला हमला योगी सरकार के इस फैसले पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने हमला बोला है। मायावती ने ट्वीट किया कि उत्तर प्रदेश में केवल कुछ जगह पुलिस व्यवस्था बदलने से नहीं बल्कि आपराधिक तत्वों के विरुद्ध दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सख़्त कानूनी कार्रवाई करने से ही प्रदेश की बदहाल कानून-व्यवस्था में सही सुधार आ सकता है जिसकी तरफ सरकार को जरूर ध्यान देना चाहिये।
