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अब बच्चा गोद लेना है तो पत्नी की परमीसन जरूरी, हाई कोर्ट ने दिया फैसला
अब बच्चा गोद लेना है तो पत्नी की परमीसन जरूरी, हाई कोर्ट ने दिया फैसला
प्रयागराज। पत्नी के परमीसान के बगैर अगर कोई पुरूष बच्चा गोद लेता है तो वह वैध नही माना जायेगा। इसके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कही है। हाईकोर्ट का कहना है कि अगर कोई हिंदू पति संतान लेता है तो उसके पूर्व उसे अपनी पत्नी से भी सहमति लेनी होगी। यह स्थिति तब भी लागू होगी जाब कि पति पत्नी अलग रह रहे हों लेकिन तलाक नही हुआ हो। एसे मे ंभी अलग रह रही पत्नी से पति को बच्चा गोद लेने से पहले परमीसन लेनी हेागी।
इस मामले की सुनवाई कर दिया गया फैसला
जानकारी के अनुसार मऊ निवासी भानु प्रताप सिंह द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने फैसला दिया कि दत्तक ग्रहण वैध तरीके से नहीं हुआ है। हिंदू दत्तक ग्रहण कानून के मुताबिक संतान गोद लेने के लिए पत्नी की सहमति आवश्यक है। याचिका लगातंे हुए भानु प्रताप सिह ने न्यायालय को बताया कि उनके चाचा राजेंद्र सिंह वन विभाग में नौकरी करते थे।
नैाकरी में रहते हुए उनकी मौत हो गई। राजेद्र सिंह की कोई औलाद नही होने से वह भानु प्रताप को गोद लिए थे। राजेद्र सिंह की और उनकी पत्नी का संबंध विच्छेद हो गया था। और दोनो अलग रह रहे थे। वन विभाग ने याची का आवेदन जब खारिज कर दिया, तो उसने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने दिया निर्णय
कोर्ट ने कहा है कि याचिका कर्ता का दत्तक ग्रहण वैध तरीके से नहीं हुआ है तो वह मान्य नही होगा। न्यायालय ने कहा कि अगर पत्नी जीवित है और अलग रह रही है तो भी गोद लेने में उसके सहमति की आवश्यकता होती है। वही कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी के जीवित न रहेने और किसी न्यायलय द्वारा मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित करने जैसी दो परिस्थियों पर पत्नी की अनुमति आवश्यक नही होगी।
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