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100 करोड़ में तैयार हुई आचार्य रामनुजाचार्य की सबसे बड़ी प्रतिमा, पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1400 करोड़

100 करोड़ में तैयार हुई आचार्य रामनुजाचार्य की सबसे बड़ी प्रतिमा, पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1400 करोड़
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Swami Ramanujacharya Statue: हैदराबाद में स्थापित की गई आचार्य रामानुजाचार्य की यह प्रतिमा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बैठी हुई प्रतिमा है, जिसे बनाने में 9 महीने का वक़्त लग गया

Swami Ramanujacharya Statue: देश के हैदराबाद में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा को स्थापित कर दिया गया है, विश्व की सबसे बड़ी सिटींग स्टैच्यू जो की 302 फ़ीट ऊँची है वह ग्रेट बुद्धा की है जो थाईलैंड में है. हैदराबाद में आचार्य रामानुजाचार्य की प्रतिमा 216 फ़ीट ऊंची है।

स्वामी रामनुजाचार्य की विशालकाय प्रतिमा का लोकार्पण देश के पीएम नरेंद्र मोदी इसी साल फरवरी में करेंगे, इस स्टैचू के साथ 108 मंदिर का निर्माण किया गया है, इसी के साथ आचार्य रामनुजाचार्य की एक छोटी प्रतिमा भी बनाई गई है जिसमे 120 किलो सोने (Gold) का इस्तेमाल किया गया है। इस जगह को स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी (Statue Of Equality) नाम दिया गया है. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में 1400 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।


स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी को शास्त्रों के तहत बनाया गया है

स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी को बनाने में 18 महीने का समय लगा है, इसके लिए मूर्तिकारों ने कई डिज़ाइन तैयार किए और उनकी स्कैनिंग करने के बाद सबसे बेस्ट मूर्ति को विशाल रूप दिया गया। इस प्रतिमा की ऊंचाई 108 फ़ीट है, जबकि प्रतिमा में लगे त्रिदण्डम की उंचाई 138 फ़ीट है। टोटल प्रतिमा की हाइट 216 फ़ीट है। आचार्य रामानुजाचार्य की प्रतिमा में 5 कमल पंखुडिया, 27 पद्म पीठम, 36 हाथी, और प्रतिमा तक पहुंचने के लिए 108 सीढिया बनाई गई हैं।


टीम हर 15 दिन में चीन जाती थी


कंपनी ने 2016 से प्रतिमा को बनाना शुरू किया था, थर्माकोल के जरिये अलग-अलग पार्ट्स के डिज़ाइन तैयार किए गए थे, हर 15 दिन में टीम चाइना जाती थी. इस मूर्ति के कंधे तक का काम जल्द पूरा हो गया था लेकिन चेहरे को बनाने में काफी वक़्त लग गया। मूर्ति के चेहरे को डिज़ाइन करने के लिए 1800 करेक्शन किया गया और 3 महीने सिर्फ फेशियल एक्सप्रेशन को डिज़ाइन करने में लग गए, प्रतिमा की आँखों की लंबाई 6.5 फ़ीट है। इस प्रतिमा को 1600 अलग-अलग टुकड़ों से बना कर जोड़ा गया है। इस प्रतिमा में वेल्डिंग के एक भी निशान नहीं दिखाई देते।

18 महीने लग गए


मूर्ति के पार्ट्स चीन में रेडी किए जाते थे और उन्हें वहां इ भारत लाया जाता था, जैसे-जैसे पार्ट्स बनते वैसे उन्हें भारत लेकर असेम्ब्ल कर दिया जाता। चीन की कंपनी ने इस प्रतिमा को बनाने में 18 महीने लगा दिया। इस मूर्ति का वजन 650 टन है और इसे 850 टन स्टील की इनरकोर के सहारे स्थापित किया गया है। यह प्रतिमा 82% तांबे से बनी है जबकि इसमें सोना, जिंक, टिन और सिल्वर भी लगया गया है।

सोने की एक मूर्ति भी बनाई

संत रामानुजाचार्य के लिए 108 मंदिरों का निर्माण किया गया है, जिसमे शानदार नक्काशी और कारीगरी की गई है, एक म्यूजिकल फाउंटेन भी बना है, इसके अलावा स्वामी रामानुजाचार्य की 120 किलो की सोने की प्रतिमा भी बनाई गई है जिसे मंदिर के अंदर पूजा करने के लिए स्थापित किया गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट में 1400 करोड़ रुपए अभी तक खर्च हुए हैं, जबकि 100 करोड़ सिर्फ मूर्ति बनाने में लगे हैं।

डेढ़ लाख किलो घी से होगा यज्ञ

इस प्रतिमा का अनावरण देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी में करेंगे। 2 से 14 फरवरी तक यहां पूजन कार्यक्रम होगा। देश के विभिन्न हिस्सों से डेढ़ लाख किलो देशी घी इकठ्ठा किया जाएगा और उससे हवन होगा।

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

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