Tourism

बिना ईंट-सीमेंट के पहाड़ में बना सबसे विशाल 'यदाद्री मंदिर' तैयार, 125 किलो सोने का बना गुंबद, देखें तस्वीरें

बिना ईंट-सीमेंट के पहाड़ में बना सबसे विशाल यदाद्री मंदिर तैयार, 125 किलो सोने का बना गुंबद, देखें तस्वीरें
x
Sri Lakshmi Narasimha Swamy Temple, Yadadri Temple: इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे पूरी तरह शास्त्रों के अनुसार बनाया गया है, यह मंदिर 1200 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद बनाया गया है

Sri Lakshmi Narasimha Swamy Temple, Yadadri Temple: देश के तेलंगाना में आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर की तरह श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी का भव्य मंदिर निर्माण पूरा हो गया है, यह बीते 10 वर्षों में ब्लैक ग्रेनाइट से बनने वाला दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर को 1200 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है।

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत तो यह है कि इसका निर्माण सनातनी शास्त्रों के अनुसार किया गया है। मॉर्डन आर्किटेक्चर इंजीनियरिंग से बना यह मंदिर इतना खूबसूरत है कि ताज महल इसके सामने कुछ भी नहीं है। अयोध्या में बन रहे भगवान श्री राम के मंदिर में सरकार 1100 करोड़ रुपए खर्च कर रही है जबकि यादाद्रि मंदिर के निर्माण में 1200 करोड़ रुपए खर्च होने हैं जिनमे से 1000 करोड़ रुपए पहले से ही खर्च हो चुके हैं।

मंदिर का काम पूरा हो गया

नए साल से यदाद्रि मंदिर का द्वार भक्तों के लिए खोल दिया गया। आपको बता दें कि तेलंगना में बना भगवान नृसिंह का यह मंदिर 1000 साल से भी ज़्यादा पुराना है। पहाड़ में 510 फ़ीट की ऊंचाई पर यह मंदिर यदाद्रिगुट्टा पहाड़ में बनाया गया है। यहां पर 12 फ़ीट ऊंची और 30 फ़ीट लम्बी गुफा है। गुफा में ज्वाला नृसिंह, गंधभिरंधा, और योगनंदा की मूर्तियां हैं।

जैसा शास्त्रों में लिखा वैसा मंदिर बनाया

यदाद्रि टेम्पल ऑथोरिटी ने ठीक वैसे ही मंदिर का निर्माण किया है जैसा शास्त्रों में लिखा गया है। इस मंदिर में ईंट और सीमेंट का इस्तेमल नहीं किया गया है, सिर्फ ब्लैक ग्रेनाइट के इस्तेमाल से इस मंदिर को आकार दिया गया है। मंदिर का निर्माण आगम, वास्तु, और पंचरथ शास्त्रों के मुताबिक हुआ है, क्योंकि यह वैष्ण्व पंथ का मंदिर है।

इस मंदिर के निर्माण में सबसे ज़्यादा चुनौती भरा काम यह था कि प्राचीन गर्भ ग्रह को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए और ना ही कोई बदलाव होने चाहिए, इसी लिए आर्किटेक्चर ने यह निर्णय लिया कि गर्भगृह को टच भी नहीं करेंगे बाकी पुरे इलाके को बदल दिया जाएगा।

2016 में डला था पहला स्तम्भ

अप्रेल 2016 में इस मंदिर का पहला स्तम्भ डाला गया था, तेलंगना के सीएम ने ठेका कंपनी को मंदिर का निर्माण करने के लिए 5 साल का समय दिया था। मंदिर में नक्काशी के लिए ऐसे लोगों को चुना गया जिनके पूर्वज यही साम सदियों से करते आये हैं।

सीमेंट नहीं तो कैसे मंदिर तैयार हुआ

इस मंदिर में सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया ना ही ईंट लगाई गई। तो फिर यह विशालकाय मंदिर कैसे बना? इसका जवाब है,' लाइम मोर्टार मैथड" यह ऐसी तकनीक है जिसमे गुड़, एलोवेरा, चूना, नारियल के जूट, से तैयार 10 हज़ार मेट्रिक टन से ज़्यादा लाइम मोर्टार बनाया गया। यह सिंनेंट से कई गुना ज़्यादा मजबूत और 40% सस्ता पड़ा। यह मंदिर अगले 1000 साल तक खड़ा रहेगा।

गर्भ गृह में 125 किलो सोना है

मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद गुंबद (विमान गोपुरम) पर 125 किलो सोना लगने का काम चल रहा है। मंदिर के ध्वजस्तंभ में भी सोने का कलश लगेगा, यह 34 फ़ीट ऊँचा होगा। मंदिर के मुख्य द्वार की ऊंचाई 84 फ़ीट है इसे राजगोपुरम कहते हैं। गर्भ ग्रह में प्रवेश के लिए चरों दिशाओं में द्वार बनाए गए हैं। मंदिर जाने के लिए 400 सीढिया चढ़नी होंगी, 15 से 20 मिनट में आपको भगवान के दर्शन हो जाएंगे, VIP लोगों के लिए लिफ्ट लगी है।

Next Story