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पेरोव्स्काइट γ-रे कैमरा: SPECT स्कैन में क्रांति एक ऐसा कैमरा जो शरीर के अंदर की भी फोटो खींच सकता है देखिए?

नॉर्थवेस्टर्न और सूझो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित दुनिया का पहला पेरोव्स्काइट-बेस्ड गामा रे डिटेक्टर, जो SPECT स्कैन को सस्ता और 10X साफ़ बना सकता है.
पेरोव्स्काइट γ-रे कैमरा: SPECT स्कैन में क्रांति
न्यूक्लियर मेडिसिन (Nuclear Medicine) के उपकरण जैसे SPECT (Single-Photon Emission Computed Tomography) आज भी डॉक्टरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये दिल की धड़कन, खून का प्रवाह (blood flow), और शरीर के अंदर छिपी बीमारियों (hidden diseases) को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं। लेकिन इस तकनीक के लिए उपयोग होने वाले पारंपरिक डिटेक्टर्स और क्रिस्टल्स — जैसे कि CZT (Cadmium Zinc Telluride) और NaI (Sodium Iodide) — महंगे, भारी-भरकम और इमेज की तीक्ष्णता (image sharpness) में सीमित होते हैं।
पेरोव्स्काइट क्या है और क्यों है खास?
पेरोव्स्काइट (Perovskite) एक क्रिस्टलीय पदार्थों का समूह है जिसका उपयोग सोलर सेल्स (solar cells) में पहले ही व्यापक रूप से हो रहा है। हाल ही में Northwestern University (USA) और Soochow University (चीन) के शोधकर्ताओं ने पहला perovskite-based γ-ray detector बनाया है जो SPECT imaging में record-breaking precision प्रदान करता है। :contentReference[oaicite:0]{index=0}
इस शोध में खास बात ये है कि उन्होंने perovskite crystals को pixelated sensor की तरह बनाया है — बिल्कुल वैसे जैसे मोबाइल फोन कैमरे में पिक्सेल्स होते हैं। इस पिक्सेल संरचना ने energy resolution और spatial resolution दोनों में सुधार किया है। :contentReference[oaicite:1]{index=1}
पारंपरिक डिटेक्टर्स की चुनौतियाँ
- CZT डिटेक्टर: बहुत सटीक होते हैं, लेकिन कांच के जैसे नाज़ुक, बनाने में कठिन और बहुत महंगे। :contentReference[oaicite:2]{index=2}
- NaI क्रिस्टल: सस्ते तो हैं, लेकिन bulky (भारी), इमेज की तीक्ष्णता कम, धुंधली/blurred इमेज जैसा लगता है। :contentReference[oaicite:3]{index=3}
- दोनों में manufacturing cost और maintenance का बोझ भी ज्यादा। छोटे-अस्पतालों या कम संसाधन वाले क्लीनिकों के लिए अनुपयुक्त।
नया perovskite-based γ-ray detector और उसकी विशेषताएँ
निचे दी गई विशेषताएँ इस तकनीक को पारंपरिक डिटेक्टरों से अलग और बेहतर बनाती हैं:
- उच्च ऊर्जा रेज़ोल्यूशन (High Energy Resolution) — परीक्षणों में γ-रे की अलग-अलग ऊर्जा को स्पष्ट पहचान पाया गया, जैसे कि Technetium-99m द्वारा उत्सर्जित γ-रे से। :contentReference[oaicite:4]{index=4}
- बेहतर स्पैटियल resolution (सटीक स्थान की पहचान) — छोटे स्त्रोतों (few millimeters apart) के बीच अंतर दिखाया गया है। :contentReference[oaicite:5]{index=5}
- कम रेडिएशन डोज़ — चूंकि detector ज्यादा संवेदनशील है, मरीज को कम रेडिएशन exposure होगा। स्कैन समय भी घट जाएगा। :contentReference[oaicite:6]{index=6}
- कम लागत और अधिक सुलभता — perovskite crystals बनाने की प्रक्रिया आसान और पारंपरिक CZT की तुलना में कम expensive है। Hospitals और क्लीनिकों में इस तकनीक की पहुंच बढ़ेगी। :contentReference[oaicite:7]{index=7}
- स्थिरता (Stability) — परीक्षणों में detector ने signal-loss या distortion बहुत कम किया; संचार (signal) बहुत विश्वसनीय रूप से कैप्चर हुआ। :contentReference[oaicite:8]{index=8}
- single photon imaging का समर्थन — बच्चों व बूढ़ों सहित सभी के लिए क्लीनर डायग्नोसिस संभव। :contentReference[oaicite:9]{index=9}
किस तरह किया गया शोध — तकनीकी विवरण
शोधकर्ताओं ने निम्नलिखित तरीके अपनाए:
- उच्च-गुणवत्ता (high-quality) single crystals तैयार किए गए CsPbBr₃ यौगिक से। :contentReference[oaicite:10]{index=10}
- crystal growth और surface engineering की तकनीक अपनाई गयी ताकि defects और दरारें कम हों। :contentReference[oaicite:11]{index=11}
- pixelated architecture डिज़ाइन किया गया — एक 4×4 पिक्सेल सरणी, हर पिक्सेल लगभग 7 mm चौड़ा, लगभग 3 mm मोटा। :contentReference[oaicite:12]{index=12}
- multi-channel readout electronics इस्तेमाल की गयी ताकि हर पिक्सेल से सिग्नल सही से पढ़ा जा सके। :contentReference[oaicite:13]{index=13}
- परीक्षण (experiments) में Technetium-99m जैसे radiotracer का उपयोग हुआ, साथ ही अलग-अलग γ-रे स्रोतों के बीच अंतर दिखाया गया। :contentReference[oaicite:14]{index=14}
मरीजों को क्या-क्या लाभ होंगे
- कम स्कैन समय: संवेदनशील detector होने से कम photon लेने पर भी इमेज पर्याप्त हो सकती है, जिससे समय बचेगा।
- कम रेडिएशन exposure: कम dose radiotracer की आवश्यकता होगी। विशेष रूप से vulnerable समूहों (बच्चे, गर्भवती महिलाएँ) के लिए सुरक्षित।
- बेहतर डायग्नोसिस: छिपी हुई बीमारी जैसे कैंसर, हृदय रोग आदि की पहचान पहले से अधिक स्पष्ट होगी। छोटे-छोटे अलावें (lesions) भी दिख सकेंगी।
- अस्पतालों में लागत में कमी: CZT जैसे महंगे डिटेक्टर्स की तुलना में perovskite उपकरण सस्ते होंगे, maintenance और निर्माण खर्च भी कम।
- विस्तारित पहुँच (Accessibility): अधिक क्लीनिकों और ग्रामीण अस्पतालों में इस तकनीक का इस्तेमाल संभव होगा, जिससे मेडिकल इमेजिंग की गुणवत्ता में समानता आयेगी।
चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
हर नई तकनीक की तरह, इस perovskite-based detector को भी कुछ चुनौतियाँ पार करनी होंगी:
- स्केल-अप (Scale-up): प्रयोगशाला स्तरीय प्रोटोटाइप बहुत अच्छा काम कर चुका है, लेकिन बड़े डिटेक्टर बनाने पर consistency और defect-मुक्तता सुनिश्चित करना ज़रूरी है।
- दीर्घकालिक स्थिरता (Long-term stability): environmental प्रभाव (आर्द्रता, तापमान परिवर्तन) से performance पर असर पड़ सकता है, इसलिए encapsulation या surface protection की ज़रूरत पड़ेगी।
- रिपोर्टिंग और क्लिनिकल परीक्षण: प्रयोगशाला में promising results हैं, लेकिन अस्पतालों में क्लिनिकल trails, regulatory approvals चाहिए होंगे।
- उत्पादन लागत & सप्लाई चेन: सामग्री की उपलब्धता, क्रिस्टल ग्रोथ मशीनरी, readout electronics आदि की लागत और संसाधन प्रबंधन।
निष्कर्ष (Conclusion)
पेरोव्स्काइट-आधारित γ-ray detector ने दिखा दिया है कि SPECT और अन्य न्यूक्लियर मेडिसिन इमेजिंग कितनी तेजी से और स्पष्ट रूप से संभव है, जब हम पारंपरिक डिटेक्टर्स की सीमाओं से बाहर निकल कर नयी सामग्री (new material) और उन्नत डिज़ाइन (advanced design) अपनाते हैं। तकनीकी सफलता, कम रेडिएशन, बेहतर spatial और energy resolution, और लागत में कमी — ये सभी मिलकर इस खोज को मेडिकल इमेजिंग की दुनिया में गेम-चेंजर बनाती हैं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1.Perovskite detector kya hai?
Perovskite Detector एक नई तरह की मेडिकल डिवाइस टेक्नोलॉजी है, जो Perovskite Crystal से बनी होती है। यह क्रिस्टल गामा-रे (γ-ray) और एक्स-रे जैसे रेडिएशन को बहुत ही सटीक तरीके से पकड़ता है। पुराने CZT या NaI डिटेक्टर्स की तुलना में यह ज्यादा सेंसिटिव, सस्ता और क्लियर इमेज देने वाला है। इस डिटेक्टर की मदद से डॉक्टर मरीज के शरीर के अंदर हो रही सूक्ष्म गतिविधियों को बहुत स्पष्ट रूप से देख सकते हैं, जिससे कैंसर, हार्ट डिज़ीज़ और अन्य छिपी बीमारियों का जल्दी पता लगाया जा सकता है।
Q2. Perovskite detector kaise kaam karta hai?
Perovskite γ-ray Camera बिल्कुल एक स्मार्ट कैमरे की तरह काम करता है, लेकिन यह लाइट नहीं बल्कि γ-rays को कैप्चर करता है। जब किसी मरीज को रेडियो-ट्रेसर (जैसे Technetium-99m) दी जाती है, तो यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों से गामा-रे उत्सर्जित करती है। यह कैमरा उन किरणों को पिक्सेल-आधारित Perovskite Sensor से पकड़ता है, और कंप्यूटर उन सिग्नलों को 3D इमेज में बदल देता है। इससे डॉक्टर को शरीर के अंदरूनी हिस्सों की सटीक और क्लियर तस्वीर मिलती है।
Q3. Perovskite γ-ray camera kya karta hai?
SPECT स्कैनिंग एक बेहतरीन तकनीक है, लेकिन इसमें इस्तेमाल होने वाले पुराने CZT और NaI डिटेक्टर्स बहुत महंगे और भारी होते हैं। इनसे बनी इमेज कभी-कभी धुंधली दिखती है, जिससे छोटे ट्यूमर या सूक्ष्म बदलाव पहचानना मुश्किल हो जाता है। वहीं दूसरी ओर, इन डिटेक्टर्स का निर्माण भी जटिल और समय-साध्य है। इसलिए वैज्ञानिक अब Perovskite Detector पर भरोसा कर रहे हैं जो कम खर्च, बेहतर क्लैरिटी और तेज़ स्कैन देता है।
Q4. Perovskite detector se imaging kaise better hoti hai?
Perovskite Detector बहुत ज्यादा संवेदनशील है, यानी इसे सही इमेज बनाने के लिए कम गामा-रे की जरूरत होती है। इसका मतलब ये है कि मरीज को पहले जितना रेडिएशन देना पड़ता था, अब उसकी मात्रा काफी कम हो जाएगी। कम डोज़ का मतलब है कम साइड-इफेक्ट, ज्यादा सुरक्षा, और तेज़ रिजल्ट। इससे बुजुर्गों, बच्चों और कमजोर मरीजों को बहुत फायदा होगा क्योंकि अब स्कैन करवाना पहले से कहीं सुरक्षित हो गया है।
Q5. Kya perovskite γ-ray camera patient ke liye safe hai?
CZT जैसे पुराने डिटेक्टर्स लाखों डॉलर में आते हैं, लेकिन Perovskite Detector बनाने की लागत बहुत कम है क्योंकि इसमें उपयोग होने वाला Perovskite Crystal आसानी से तैयार हो जाता है। इसे low-temperature solution process से बनाया जा सकता है। इसका फायदा यह है कि अब छोटे-मोटे अस्पताल या क्लीनिक भी SPECT स्कैन जैसी तकनीकें लगा पाएंगे। यानी उच्च-स्तरीय मेडिकल इमेजिंग अब हर किसी की पहुंच में होगी।
Q6. Perovskite detector aur purane detectors me kya difference hai?
CZT Detector पुराने समय से SPECT में सबसे ज्यादा उपयोग होता आया है, लेकिन यह महंगा और नाजुक है। वहीं Perovskite Detector हल्का, मजबूत, और सस्ता है। CZT से बनी इमेज में शोर (noise) ज्यादा आता है, जबकि Perovskite Detector बेहतर energy resolution देता है। इसका मतलब है कि यह बहुत हल्की सिग्नल को भी पकड़ सकता है। लागत के मामले में भी Perovskite तकनीक लगभग 10 गुना तक सस्ती पड़ सकती है।
Q7. Perovskite γ-ray detector se kya fayda hoga?
NaI (Sodium Iodide) क्रिस्टल का इस्तेमाल सालों से डिटेक्टरों में किया जा रहा है, लेकिन इसमें कई सीमाएँ हैं। यह बहुत बड़ा और भारी होता है, जिससे स्कैनर का डिज़ाइन जटिल बनता है। साथ ही, NaI क्रिस्टल से बनी इमेज की resolution कम होती है और signal clarity कमजोर रहती है। इसके अलावा, ये नमी और तापमान के प्रति संवेदनशील भी हैं। यही वजह है कि अब वैज्ञानिक Perovskite Crystal की तरफ बढ़ रहे हैं जो स्थिर और स्पष्ट इमेज देता है।
Q8. Kya perovskite detector future me CT aur MRI me bhi use hoga?
Technetium-99m न्यूक्लियर मेडिसिन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला radio-tracer है। Perovskite Detector इस isotope से निकलने वाली γ-rays को बेहद सटीकता से पकड़ता है। इसका energy resolution इतना अच्छा है कि यह अलग-अलग टिश्यू या ऑर्गन के बीच सूक्ष्म फर्क दिखा देता है। यानी जहाँ पहले इमेज धुंधली दिखती थी, अब डॉक्टर को साफ-सुथरी और गहरी जानकारी मिलती है, जिससे बीमारी का पता बहुत जल्दी चल जाता है।
Q9. Perovskite γ-ray detector ka cost kya hoga?
Pixelated Sensor असल में एक miniature camera chip की तरह होता है। वैज्ञानिक Perovskite Crystal को छोटे-छोटे pixels में काटते हैं ताकि हर पिक्सेल एक γ-ray सिग्नल पकड़ सके। फिर इन पिक्सल्स को इलेक्ट्रॉनिक रीडआउट से जोड़ा जाता है। इस तरह हर पिक्सल अपनी जगह का डेटा देता है, जिससे कंप्यूटर को शरीर की बहुत ही fine-detail 3D इमेज मिलती है। इसे ही कहते हैं pixel-based gamma camera।
Q10. Kya perovskite γ-ray camera market me available hai?
Perovskite Crystal को उगाने की प्रक्रिया को Crystal Growth कहते हैं। इसमें वैज्ञानिक chemical solution से crystal को धीरे-धीरे solid रूप में बढ़ाते हैं ताकि उसकी संरचना पूरी तरह एकसमान (uniform) बने। इस प्रक्रिया में temperature और pressure का सटीक नियंत्रण रखा जाता है। ऐसा करने से crystal में कोई दरार या defect नहीं आता, और detector का performance बहुत स्थिर और सटीक रहता है।
Q11.Surface Engineering kyu jaruri hai?
Perovskite Crystals की सतह को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए Surface Engineering की जाती है। इससे crystal पर नमी या ऑक्सीजन का असर नहीं होता। यह उसकी उम्र बढ़ाता है और डिटेक्टर के सिग्नल की क्वालिटी भी बनाए रखता है। Surface coating से crystal में signal loss नहीं होता और वह लंबे समय तक स्थिर प्रदर्शन देता है। यही कारण है कि नए डिटेक्टर्स में Surface Engineering को खास महत्व दिया जा रहा है।
Q12.hospital me kaise laagu hoga Perovskite Detector?
Northwestern और Soochow University के वैज्ञानिकों ने इसका प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है और अब इसे commercial scale पर लाने की तैयारी चल रही है। आने वाले वर्षों में यह तकनीक अस्पतालों में SPECT और PET स्कैन में इस्तेमाल की जाएगी। इससे अस्पतालों का खर्च घटेगा और मरीजों को ज्यादा सुरक्षित और तेज़ डायग्नोसिस मिलेगा। यह मेडिकल इमेजिंग में एक नई क्रांति साबित होने जा रही है।
Q13. Scan samye kaise ghatega?
Perovskite Detector बहुत संवेदनशील है, इसलिए इसे इमेज कैप्चर करने के लिए कम photons चाहिए। इसका मतलब है कि स्कैनर को ज्यादा देर तक डेटा इकट्ठा नहीं करना पड़ेगा। इससे स्कैन टाइम 40–50% तक घटाया जा सकता है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह बहुत राहत भरा है क्योंकि अब उन्हें लंबे समय तक मशीन में नहीं रहना होगा।




