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जापान ने तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड: 10.20 लाख गीगाबिट/सेकेंड इंटरनेट स्पीड, पलक झपकते डाउनलोड होगी 10,000 4K फिल्में!

A large game like a 150 GB game will be downloaded in just 3 milliseconds.
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अगर तुलना करें तो भारत की औसत इंटरनेट स्पीड 63.55 Mbps है, जबकि अमेरिका की एवरेज स्पीड करीब 286 Mbps है। जापान की नई स्पीड भारत से लगभग 1.6 करोड़ गुना और अमेरिका से करीब 35 लाख गुना तेज है।

जापान ने 1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकंड (10.20 लाख गीगाबिट्स/सेकेंड) की इंटरनेट स्पीड हासिल कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। यह भारत की औसत स्पीड से 1.6 करोड़ गुना तेज है, जिससे 150 जीबी का गेम 3 मिलीसेकंड में डाउनलोड होगा।

जापान ने इंटरनेट स्पीड में नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है, जिसने डिजिटल दुनिया में संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी (NICT) और सुमितोमो इलेक्ट्रिक इंडस्ट्रीज की एक संयुक्त टीम ने 1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकंड (Pbps) की इंटरनेट स्पीड हासिल की है। इसे अगर गीगाबिट्स प्रति सेकंड में देखें तो यह 10.20 लाख गीगाबिट्स प्रति सेकंड है!

यह स्पीड इतनी तेज़ है कि आप नेटफ्लिक्स की पूरी लाइब्रेरी या 10,000 4K मूवीज़ को महज एक सेकंड में डाउनलोड कर सकते हैं। 150 जीबी का कोई बड़ा गेम मात्र 3 मिलीसेकंड में डाउनलोड हो जाएगा। तुलनात्मक रूप से, यह भारत की औसत इंटरनेट स्पीड (लगभग 63.55 Mbps) से करीब 1.6 करोड़ गुना तेज़ है, और औसत अमेरिकी इंटरनेट स्पीड से भी 35 लाख गुना ज़्यादा तेज़ है।

इससे पहले भी यह रिकॉर्ड जापान के ही नाम था। मार्च 2024 में जापान ने 402 टेराबिट्स प्रति सेकंड (Tbps), यानी 50,250 गीगाबिट्स प्रति सेकंड की स्पीड हासिल की थी, जो स्टैंडर्ड ऑप्टिकल फाइबर केबल्स का उपयोग करके बनाया गया था।

1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकंड कितनी तेज़ है?

  • गेमिंग में क्रांति: आप स्टीम (Steam) जैसे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सभी गेम्स, जैसे कि 'काउंटर-स्ट्राइक 2' से लेकर 'बाल्डर्स गेट 3' तक, 10 सेकंड से भी कम समय में डाउनलोड कर सकते हैं। यह गेमिंग के अनुभव को पूरी तरह बदल देगा।
  • स्ट्रीमिंग का भविष्य: किसी भी हाई-क्वालिटी वीडियो को बिना बफरिंग के स्ट्रीम करना तो दूर, पूरी लाइब्रेरी को पलक झपकते डाउनलोड किया जा सकता है।
  • म्यूजिक और डेटा: आप 1,27,500 साल के म्यूजिक को एक सेकंड में डाउनलोड कर सकते हैं। आप पूरी विकिपीडिया का सारा डेटा 10,000 बार डाउनलोड कर सकते हैं। यह डेटा ट्रांसफर और बैकअप को पूरी तरह से नया आयाम देगा।
  • AI और क्लाउड कंप्यूटिंग: यह स्पीड दुनिया भर के डेटा सेंटर्स को इतनी तेज़ी से जोड़ सकती है कि वे क्लाउड एप्लिकेशन्स, रियल-टाइम गेमिंग, मशीन लर्निंग, जनरेटिव AI, ऑटोमैटिक ट्रांसलेशन और रियल-टाइम ट्रांसफर टूल्स के लिए अत्यधिक उपयोगी होगी। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास और उसके अनुप्रयोगों को अभूतपूर्व गति देगा।

19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी का कमाल

इस रिकॉर्ड को जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी (NICT) और सुमितोमो इलेक्ट्रिक इंडस्ट्रीज की एक संयुक्त टीम ने हासिल किया है। उन्होंने जून 2025 में 1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकंड की स्पीड से डेटा भेजकर यह नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।

इस उपलब्धि के पीछे की मुख्य तकनीक है 19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी। यह फाइबर आज की स्टैंडर्ड फाइबर केबल्स जितनी ही पतली (0.125 मिमी) है, लेकिन इसमें 19 अलग-अलग कोर हैं। इसे इस तरह समझा जा सकता है:

  • सामान्य फाइबर केबल में एक कोर होता है, जो डेटा को एक सिंगल लेन में भेजता है।
  • 19-कोर फाइबर एक 19-लेन हाईवे की तरह है, जहाँ हर कोर अलग-अलग डेटा को एक साथ भेजता है, जिससे डेटा ट्रांसफर की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने खास तरह के एम्प्लिफायर्स का इस्तेमाल किया, जो सिग्नल को 1,808 किलोमीटर की दूरी तक बिना कमज़ोर हुए पहुँचाने में मदद करते हैं। जब डेटा लाइट की तरह फाइबर केबल में लंबी दूरी तक जाता है, तो सिग्नल कमज़ोर पड़ने लगता है। ये एम्प्लिफायर्स इस सिग्नल को फिर से ताकतवर बनाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे लंबी यात्रा के दौरान आपकी ऊर्जा कम होने पर आप कुछ खाकर उसे फिर से बढ़ा लेते हैं।

आम लोगों तक कब पहुंचेगी ये टेक्नोलॉजी?

फिलहाल, यह स्पीड लैब में हासिल की गई है, और इसे आम लोगों के लिए व्यावसायिक तौर पर उपलब्ध कराने में अभी समय लगेगा। इसके लिए 3 मुख्य चुनौतियां हैं:

  1. हाई कॉस्ट (उच्च लागत):
    इस तरह के हाई-स्पीड सिस्टम्स को कॉमर्शियल तौर पर लागू करने के लिए बहुत ज़्यादा निवेश चाहिए होगा, जिससे शुरुआती लागत काफी बढ़ सकती है।
  2. हार्डवेयर लिमिटेशंस (हार्डवेयर की सीमाएं): मौजूदा डिवाइस और राउटर्स इतनी उच्च स्पीड को संभालने के लिए तैयार नहीं हैं। नए और अधिक शक्तिशाली हार्डवेयर विकसित करने की ज़रूरत होगी।
  3. इंफ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढांचा): भले ही यह टेक्नोलॉजी मौजूदा फाइबर केबल्स के साथ काम करती है, लेकिन बड़े पैमाने पर इसे लागू करने के लिए पूरे नेटवर्क के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण अपग्रेड की ज़रूरत होगी।

इन चुनौतियों को पार करने में अभी कुछ साल लग सकते हैं, लेकिन यह रिसर्च भविष्य के इंटरनेट की एक झलक ज़रूर देती है।

सबसे तेज़ इंटरनेट स्पीड वाले टॉप-10 देश

Ookla के स्पीडटेस्ट ग्लोबल इंडेक्स (2025) और Cable.co.uk के अनुसार, सबसे तेज़ औसत इंटरनेट स्पीड वाले टॉप-10 देश इस प्रकार हैं:

देशइंटरनेट स्पीड (Mbps)
सिंगापुर361.40 Mbps
हॉग कांग305.31 Mbps
चिली298.50 Mbps
संयुक्त अरब अमीरात286.61 Mbps
थाईलैंड266.79 Mbps
डेनमार्क246.33 Mbps
दक्षिण कोरिया233.74 Mbps
संयुक्त राज्य230.55 Mbps
फ्रांस223.06 Mbps
स्पेन215.37 Mbps

नोट: भारत इस लिस्ट में शामिल नहीं है, क्योंकि यहाँ की औसत ब्रॉडबैंड स्पीड (63.55 Mbps) और मोबाइल स्पीड (100.78 Mbps) है, जो इन देशों की तुलना में काफी कम है।

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