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ISRO अगले साल बहुत बड़े प्रोजेक्ट को लांच करेगा, यह देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा

ISRO Mission 2023: अगले साल यानि के वर्ष 2023 में Indian Space Research Organization (ISRO) अबतक के इतिहास में सबसे बड़ा मिशन लांच करने वाला है, अगले साल इसरो देश का पहला अंतरिक्ष मनाव मिशन लांच करेगा जो भारतीय वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष के बारे में और भी जानकारी जुटाने में मदद करेगा। यह निश्चित रूप से देश के लिए एक बहुत बड़ी सफलता होगी।
वैसे तो अमेरिका ने आज से 50 साल पहले से ही अंतरिक्ष में यहां तक की चांद में भी अपने वैज्ञानिकों को उतार दिया था वहीं, NASA से लेकर रूस, चाइना, इटली, ब्रिटेन, फ़्रांस जैसे देशों के वैज्ञानिक स्पेस में जाते रहते हैं. उन्होंने ने तो अंतरिक्ष में एक इंटरनेशनल स्पेस सेंटर बनाया हुआ है। इस मामले में भारत काफी पीछे हैं लेकिन अब भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्था यानी के ISRO भी अब वैज्ञानिकों को स्पेस में भेजने वाला है।
क्या है गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission)
इसरो ने अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन को गगनयान मिशन नाम दिया है, जिसमे भारतीय खगोल वैज्ञानिक पहली बार ISRO द्वारा लांच राकेट में बैठ कर अंतरिक्ष की सैर करेंगे और वहीं रिसर्च करेंगे। अंतरिक्ष में जाने के बाद वह सफलतापूर्वक वापस पृथ्वी में लौट आएं इसके लिए इसरो ने 2 स्थानों का चयन किया है, जिसमे से एक को फाइनल किया जाएगा।
भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष में एक सप्ताह तक रहेंगे और उसके बाद गगनयान वापस धरती में लौटेगा। ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (Human Space Flight Centre -HSFC) के निदेशक "डॉ उन्नीकृष्णन नायर" ने बताया कि 2023 में जब गगनायन धरती पर लैंड करेगा तो अरब सागर (Arabian Sea) इसकी पहली प्राथमिकता होगी. हालांकि बैकअप प्लान के लिए बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) पर भी विचार किया जा रहा है. दोनों में से एक को लैंडिंग के लिए सेलेक्ट किया जाएगा।
2 से 3 वैज्ञानिक जाएंगे
ISRO के मिशन में 2 या 3 अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जाएगा। जो एक हफ्ते तक वहीं रहकर रिसर्च करेंगे और वापस धरती में लौट आएंगे। इसके लिए वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। बता दे कि गगनयान कीरफ़्तार 7.8 किलोमीटर प्रति सेकेण्ड होगी। अंतरिक्ष यात्रियों को 15 महीने तक रूस में प्रशिक्षण दिया गया है। और अब बेंगलुरु में ट्रेनिंग चल रही है। अंतरिक्ष यात्रियों में पहले धरती में अंतरिक्ष में रहने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इस मिशन की शुरुआत इस साल के बीच में होगी। और अगले साल इसरो इतिहास रचने के लिए तैयार हो जाएगा।




