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IMF Loan To Pakistan: IMF ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की अगली किस्त दी, आर्थिक संकट से उबरने की नई उम्मीद

IMF Loan To Pakistan:  IMF ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की अगली किस्त दी, आर्थिक संकट से उबरने की नई उम्मीद
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IMF Loan To Pakistan पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 7 अरब डॉलर पैकेज की पहली समीक्षा में 1 अरब डॉलर की किस्त मिली है। जानिए इस आर्थिक राहत के पीछे की पूरी कहानी और भारत की प्रतिक्रिया।

MF loan to Pakistan 2025 latest update, IMF approved $1 billion for Pakistan, IMF Pakistan news today in Hindi, India reaction to IMF Pakistan loan, Pakistan economy crisis and IMF funding: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2025 में पाकिस्तान के लिए 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की समीक्षा पूरी करने के बाद 1 अरब डॉलर की अगली किस्त जारी कर दी है। इस फैसले के तहत पाकिस्तान को अपने डिफॉल्ट से उबरने में मदद मिलेगी, जो पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

🏦 नई सहायता के तहत कुल पैकेज और समयसीमा

IMF के मुताबिक, यह पैकेज दो वर्षों में चरणबद्ध तरीके से जारी किया जाएगा। इसके तहत कुल 1.3 अरब डॉलर की सहायता भी शामिल है, जिसे "सस्टेनेबिलिटी एंड रेजिलिएंस ट्रस्ट" के तहत दिया जा रहा है। इस ऋण का उद्देश्य पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता को बहाल करना और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करना है।

🇮🇳 भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

भारत ने इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। हाल ही में कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने IMF से अनुरोध किया है कि वह पाकिस्तान को दिए जा रहे ऋणों की समीक्षा करे। भारत का कहना है कि पाकिस्तान इन फंड्स का दुरुपयोग कर सकता है, और आतंकवाद को प्रोत्साहित कर सकता है।

📊 पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर

IMF द्वारा दी गई यह आर्थिक सहायता पाकिस्तान की गिरती जीडीपी, बढ़ती महंगाई और विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट को रोकने की दिशा में अहम मानी जा रही है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे ‘पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने की दिशा में बड़ा कदम’ बताया है।

🌐 अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और भविष्य की रणनीति

IMF की इस पहल को वैश्विक आर्थिक हलकों में सकारात्मक रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, पाकिस्तान को अभी कई आर्थिक सुधार करने होंगे—जैसे टैक्स बेस का विस्तार, ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और सरकारी खर्चों में पारदर्शिता बढ़ाना।

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