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DPDP एक्ट 2023 के नियम हुए लागू: भारत में डिजिटल डेटा प्राइवेसी अब और मजबूत

मुख्य बातें (Top Highlights)
- भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट 2023 के नियम अब आधिकारिक रूप से लागू।
- यूज़र्स की प्राइवेसी को प्राथमिकता, कंपनियों पर स्पष्ट जिम्मेदारियां तय।
- बच्चों और दिव्यांगों के डेटा उपयोग के लिए अनिवार्य पैरेंटल कंसेंट।
- डेटा ब्रेक की स्थिति में कंपनियों को तुरंत सूचना देना अनिवार्य।
DPDP एक्ट 2023 क्या है? What is Digital Personal Data Protection Act 2023
भारत सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 को अब पूरी तरह लागू कर दिया है। 14 नवंबर को जारी नियमों के बाद यह कानून अब देश में हर उस संस्था, कंपनी और प्लेटफॉर्म पर लागू होगा जो भारतीय यूज़र्स का पर्सनल डेटा इकट्ठा करता है या प्रोसेस करता है। यह एक्ट यह सुनिश्चित करता है कि डिजिटल दुनिया में आम नागरिकों की प्राइवेसी और सुरक्षा को मजबूत आधार मिले। इंटरनेट पर बढ़ते डेटा कलेक्शन और तकनीक के विस्तार के बीच यह कानून यूज़र्स के अधिकारों को बचाने के लिए अहम कदम माना जा रहा है।
नियम क्यों बनाए गए? Why These Rules Are Necessary
भारत तेजी से डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। करोड़ों लोग रोजाना मोबाइल ऐप्स, सोशल मीडिया, डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करते हैं। ऐसे में कंपनियों के पास विशाल मात्रा में डिजिटल डेटा पहुंचता है। यही वजह है कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए यह कानून लागू किया कि किसी भी व्यक्ति का डेटा उसकी अनुमति के बिना उपयोग न हो। कंपनी को यह स्पष्ट बताना अनिवार्य होगा कि किस उद्देश्य से वह आपका डेटा ले रही है और उसे किस तरह इस्तेमाल करेगी।
बच्चों और दिव्यांगों के लिए कड़े नियम Parental Consent for Minors & Disabled Users
DPDP एक्ट में बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष सुरक्षा दी गई है। कानून कहता है कि अगर किसी प्लेटफॉर्म को 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे का डेटा चाहिए, तो माता-पिता या कानूनी अभिभावक की सहमति अनिवार्य होगी। इसके अलावा दिव्यांग व्यक्तियों के लिए, जिनकी ओर से कानूनी निर्णय लेने की क्षमता सीमित होती है, उनके लीगल गार्जियन से अनुमति लेना जरूरी होगा। ऐसे लोगों की पहचान भी कानून के तहत वेरिफाइड तरीके से ही होगी।
कंपनियों के लिए 5 सबसे जरूरी प्रावधान Five Most Important Provisions for Companies
यह एक्ट कंपनियों को कई जिम्मेदारियां सौंपता है ताकि यूज़र्स के डेटा का सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित हो सके। यहां इस कानून की पांच सबसे महत्वपूर्ण बातें दी जा रही हैं:
1. कंसेंट के बिना कोई भी डेटा कलेक्ट नहीं Consent Mandatory
कोई भी ऐप, वेबसाइट या कंपनी अब आपकी स्पष्ट सहमति के बिना आपका डेटा नहीं ले सकती। यूज़र को यह भी बताया जाएगा कि डेटा किस उद्देश्य के लिए लिया जा रहा है। यदि आप डेटा नहीं देना चाहते हैं, तो यह आपका पूर्ण अधिकार है और कंपनी इसे मजबूरी नहीं बना सकती। यह कदम डिजिटल पारदर्शिता का एक बड़ा हिस्सा है।
2. डेटा का उपयोग केवल बताए गए कार्य के लिए Purpose Limitation
कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आपका डेटा केवल उसी काम के लिए इस्तेमाल हो, जिसके बारे में आपको पहले बताया गया है। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी शॉपिंग ऐप पर ऑर्डर करते हैं, तो वह आपका डेटा केवल डिलीवरी के लिए उपयोग कर सकती है, न कि मार्केटिंग के लिए। गलत उपयोग होने पर यूज़र्स शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
3. यूज़र को अपने डेटा पर पूरा नियंत्रण Data Access, Update & Delete Rights
इस कानून में नागरिकों को अपने डेटा पर पूर्ण नियंत्रण दिया गया है। कोई भी व्यक्ति कभी भी अपनी जानकारी देख सकता है, गलतियों को सुधार सकता है, अपडेट कर सकता है या पूरा डेटा हटाने की मांग कर सकता है। कंपनियों को 90 दिनों के भीतर इसका जवाब देना अनिवार्य होगा। इससे यूज़र्स को अपने डिजिटल फूटप्रिंट पर बेहतर पकड़ मिलेगी।
4. डेटा लीक होते ही तुरंत सूचना Mandatory Notification on Data Breach
अगर किसी कंपनी का सिस्टम हैक हो जाता है या डेटा लीक होने जैसी स्थिति बनती है, तो कंपनी को इसे छुपाना नहीं होगा। बल्कि उसे तुरंत, कुछ ही घंटों के भीतर, प्रभावित यूज़र्स को सरल भाषा में बताना होगा कि—क्या हुआ, क्या नुकसान हो सकता है और उन्हें कौन से कदम उठाने चाहिए। यह पारदर्शिता यूज़र्स की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।
5. ऑनलाइन शिकायत का आसान समाधान Digital Complaint System
DPDP एक्ट के तहत एक डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनाया जाएगा। यदि किसी यूज़र की शिकायत है, तो वह मोबाइल ऐप या वेबसाइट के जरिए सीधे शिकायत दर्ज कर सकता है। यह प्रक्रिया बिल्कुल फ्री है। अगर किसी निर्णय से असंतुष्टि होती है, तो व्यक्ति TDSAT कोर्ट में अपील भी कर सकता है।
छोटे व्यवसायों के लिए राहत Provisions for Small Businesses
सरकार ने छोटे और मध्यम उद्यमों की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए नियमों को कम जटिल बनाया है। ताकि उनका खर्च न बढ़े और वे डिजिटल दुनिया में बिना किसी अतिरिक्त बोझ के कार्य कर सकें। इस कदम से भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा।
डेटा ब्रेक की स्थिति में क्या होगा? What Happens During Data Breach
अगर किसी संस्था के सिस्टम में सेंध लगती है और आपका डेटा जोखिम में आता है, तो कानून कंपनियों को आदेश देता है कि यूज़र्स को बिना देरी के सूचित किया जाए। उन्हें बताया जाए कि डेटा किस तरह लीक हुआ, उसका कारण क्या है, संभावित प्रभाव क्या हैं और यूज़र्स को क्या सुरक्षा कदम उठाने चाहिए। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता और भरोसा बढ़ाती है।
यूज़र्स को मिले नए अधिकार New Rights for Data Users
इस एक्ट में आम नागरिकों को कई नए अधिकार दिए गए हैं। इनमें से प्रमुख हैं—डेटा एक्सेस, डेटा करेक्शन, डेटा अपडेट, डेटा इरेज़र और नॉमिनी को भी अधिकार देना। यूज़र की किसी भी रिक्वेस्ट का जवाब 90 दिनों के भीतर देना कंपनियों के लिए अनिवार्य किया गया है। यह नियम यूज़र्स को डिजिटल दुनिया में सशक्त बनाते हैं।
FAQs: डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023
DPDP एक्ट कब लागू हुआ?
इसके नियम 14 नवंबर 2024 को नोटिफाई हुए और अब पूरे देश में लागू हैं।
क्या कंसेंट जरूरी है?
हाँ, आपकी स्पष्ट अनुमति के बिना कोई भी कंपनी आपका डेटा नहीं ले सकती।
क्या कंपनियों को डेटा लीक की जानकारी देनी होगी?
हाँ, प्रभावित यूज़र्स को तुरंत सरल भाषा में सूचित करना अनिवार्य है।
क्या शिकायत ऑनलाइन की जा सकती है?
हाँ, डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के ऐप और वेबसाइट पर आसानी से शिकायत दर्ज की जा सकती है।




