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₹1 करोड़ के पार पहुंचा Bitcoin: इसे बनाने वाला गुमनाम, 2009 में 'शून्य' थी कीमत, 2010 में 10,000 बिटकॉइन में दो पिज्जा; जानिए बिटकॉइन के सफर के बारे में...

Rewa Riyasat News
16 Aug 2025 5:37 PM IST
₹1 करोड़ के पार पहुंचा Bitcoin: इसे बनाने वाला गुमनाम, 2009 में शून्य थी कीमत, 2010 में 10,000 बिटकॉइन में दो पिज्जा; जानिए बिटकॉइन के सफर के बारे में...
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बिटकॉइन की कीमत पहली बार ₹1.08 करोड़ के पार, क्या आप जानते हैं कि 2010 में 10,000 बिटकॉइन से सिर्फ दो पिज्जा खरीदे गए थे? जानें गुमनाम फाउंडर की कहानी और कैसे काम करती है ये तकनीक।

गुमनाम शुरुआत से बिटकॉइन की अरबों तक की छलांग: साल 2009 में जब बिटकॉइन आया, तो उसकी कीमत लगभग शून्य थी, लेकिन आज यह ₹1.08 करोड़ के पार पहुंच चुका है। बिटकॉइन की कहानी किसी रहस्यमयी उपन्यास से कम नहीं है। इसका कोई मालिक नहीं, कोई सरकार नहीं और इसका पहला लेनदेन दुनिया का सबसे महंगा पिज्जा बना। आइए, 5 अध्यायों में समझते हैं बिटकॉइन की इस दिलचस्प दुनिया को और जिस ब्लॉकचेन तकनीक में यह काम करती है उसके बारे में. ..

अध्याय 1: बिटकॉइन की दिलचस्प शुरुआत

2008 में दुनिया एक बड़े आर्थिक संकट से जूझ रही थी। बैंकों और सरकारों पर लोगों का भरोसा हिल गया था। लोग अपनी जमा-पूंजी खो रहे थे और एक नए, भरोसेमंद विकल्प की तलाश में थे। इसी समय, खुद को सतोशी नाकामोतो कहने वाले एक अनजान शख्स ने एक डिजिटल करेंसी का कॉन्सेप्ट सामने रखा। यह एक ऐसी करेंसी थी, जिस पर किसी बैंक या सरकार का नियंत्रण नहीं था। 3 जनवरी 2009 को, बिटकॉइन का पहला 'जेनिसिस ब्लॉक' बनाया गया। यहीं से एक नई दुनिया की शुरुआत हुई। इसका मकसद एक 'डिसेंट्रलाइज्ड' यानी, विकेन्द्रीकृत करेंसी देना था, जिस पर किसी एक संस्था का कंट्रोल न हो।

अध्याय 2: दुनिया का सबसे महंगा पिज्जा, पहला बिटकॉइन ट्रांजेक्शन

आज 22 मई को 'बिटकॉइन पिज्जा डे' के नाम से जाना जाता है। इसकी कहानी 2010 की है, जब फ्लोरिडा में रहने वाले लास्जलो हैन्येज ने एक ऑनलाइन फोरम पर 10,000 बिटकॉइन के बदले दो पिज्जा खरीदने की इच्छा जताई। उस समय 10,000 बिटकॉइन की कीमत केवल 41 डॉलर थी। जेरेमी स्टर्डिवेंट नाम के एक शख्स ने यह ऑफर स्वीकार किया और लास्जलो को दो पिज्जा भेजे। बदले में, लास्जलो ने जेरेमी को 10,000 बिटकॉइन दिए। यह बिटकॉइन का पहला 'रियल-वर्ल्ड' लेनदेन था। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि ये 10,000 बिटकॉइन आज 10 हजार करोड़ रुपए से ज़्यादा के हो जाएंगे। लोग मज़ाक में कहते हैं कि वो दुनिया के सबसे महंगे पिज्जा थे, जिसकी एक स्लाइस की कीमत 833 करोड़ रुपए से भी ज़्यादा थी।

अध्याय 3: बिटकॉइन का गुमनाम फाउंडर: सतोशी नाकामोतो

बिटकॉइन का सबसे बड़ा रहस्य इसके फाउंडर सतोशी नाकामोतो की पहचान है। कोई नहीं जानता कि सतोशी कौन हैं, वह एक व्यक्ति हैं या एक समूह। 2008 में उन्होंने बिटकॉइन पर एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया और 2009 में इसका पहला सॉफ्टवेयर लॉन्च किया। वह कुछ सालों तक बिटकॉइन कम्युनिटी के साथ सक्रिय रहे, लेकिन 2011 में अचानक गायब हो गए। उनका आखिरी ईमेल था, "मैं अब दूसरी चीजों पर काम कर रहा हूँ। बिटकॉइन अच्छे हाथों में है।" सतोशी की गुमनामी ने बिटकॉइन को और भी रहस्यमयी बना दिया। उनके पास लगभग 10 लाख बिटकॉइन हैं, जिनकी कीमत आज अरबों डॉलर है, लेकिन उन्हें कभी खर्च नहीं किया गया। उनकी गुमनामी की तीन मुख्य वजहें मानी जाती हैं: सुरक्षा की चिंता, बिटकॉइन को विकेन्द्रीकृत रखना, और साजिशों से बचना।

अध्याय 4: बिटकॉइन की तकनीक: ब्लॉकचेन का जादू

बिटकॉइन सिर्फ एक डिजिटल कोड है, जो आपके वॉलेट में रहता है। इसकी कुल संख्या 21 मिलियन है, इससे ज़्यादा बिटकॉइन कभी नहीं बनेंगे। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करता है। आप इसे एक डिजिटल बहीखाते की तरह समझ सकते हैं, जहाँ दुनिया भर के सभी बिटकॉइन लेनदेन दर्ज होते हैं। यह बहीखाता हजारों कंप्यूटरों पर एक साथ मौजूद रहता है, जिससे इसे बदलना या हैक करना लगभग नामुमकिन है। जब आप किसी को बिटकॉइन भेजते हैं, तो यह लेनदेन ब्लॉकचेन में दर्ज होता है। इस लेनदेन को सत्यापित करने का काम माइनर्स करते हैं, जो अपनी कंप्यूटर शक्ति का उपयोग करके जटिल गणितीय समस्याओं को हल करते हैं। बदले में उन्हें नए बिटकॉइन मिलते हैं।

अध्याय 5: सबसे ज्यादा बिटकॉइन किसके पास?

माना जाता है कि सतोशी ने शुरुआती दिनों में करीब 11 लाख बिटकॉइन बनाए थे। ये कॉइन आज भी उनके 22,000 वॉलेट्स में रखे हुए हैं, जिनकी कीमत 11 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा है। ब्लूमबर्ग की दिसंबर 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी स्पॉट ETFs के पास भी लगभग इतने ही बिटकॉइन हैं। हालांकि, यह तय कर पाना मुश्किल है कि इन दोनों में से किसके पास ज़्यादा बिटकॉइन हैं, लेकिन एक बात तय है कि बिटकॉइन की कहानी में सतोशी का रहस्य और ब्लॉकचेन की तकनीक इसे भविष्य की करेंसी बना रही है। अब ब्लॉकचेन के बारे में विस्तृत रूप से समझते हैं. ..

क्रिप्टोकरेंसी में ब्लॉकचेन क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी में ब्लॉकचेन एक डिसेंट्रलाइज्ड (विकेंद्रीकृत) और डिस्ट्रीब्यूटेड (वितरित) डिजिटल लेजर (बहीखाता) है। यह लेनदेन (ट्रांज़ैक्शन) का रिकॉर्ड रखता है, जिसे ब्लॉक नामक यूनिट्स में व्यवस्थित किया जाता है। ये ब्लॉक एक-दूसरे से क्रिप्टोग्राफिक हैश के ज़रिए जुड़े होते हैं, जिससे एक चेन बनती है।

ब्लॉकचेन की कार्यप्रणाली

ब्लॉकचेन तकनीक को समझना काफी सरल है। जब कोई लेनदेन होता है, तो उसकी जानकारी को एक नए ब्लॉक में जोड़ा जाता है। इस ब्लॉक की जानकारी को सुरक्षित करने और पिछले ब्लॉक से जोड़ने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग किया जाता है। एक बार जब कोई ब्लॉक चेन में जुड़ जाता है, तो उसे बदला या हटाया नहीं जा सकता। इससे सिस्टम में पारदर्शिता और सुरक्षा बनी रहती है।

  • विकेंद्रीकृत (Decentralized): ब्लॉकचेन को किसी एक संस्था या सर्वर द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है। इसकी कई प्रतियां दुनिया भर के अलग-अलग कंप्यूटरों (नोड्स) पर संग्रहीत होती हैं। इससे सिस्टम को किसी भी प्रकार की हैकिंग या विफलता से सुरक्षा मिलती है।
  • सुरक्षित (Secure): क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करने के कारण, ब्लॉकचेन में संग्रहीत डेटा को बदलना या उससे छेड़छाड़ करना लगभग असंभव है।
  • पारदर्शी (Transparent): सभी लेनदेन सार्वजनिक रूप से दिखाई देते हैं, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है। हालाँकि, लेनदेन करने वाले व्यक्तियों की पहचान गुमनाम रहती है।

ब्लॉकचेन के लाभ

  • विश्वसनीयता: यह लेनदेन को विश्वसनीय और पारदर्शी बनाता है।
  • लागत में कमी: यह बिचौलियों को हटा देता है, जिससे लेनदेन की लागत कम हो जाती है।
  • तेज़ लेनदेन: यह लेनदेन को तेज़ी से पूरा करने में मदद करता है।
  • सुरक्षा: यह डेटा को सुरक्षित और अपरिवर्तनीय बनाता है।
  • स्वचालन (Automation): यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स (Smart Contracts) के उपयोग से कई प्रक्रियाओं को स्वचालित कर सकता है।

क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन का संबंध

ब्लॉकचेन क्रिप्टोकरेंसी की आधारशिला है। बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके ही काम करती हैं। ब्लॉकचेन वह तकनीक है जो क्रिप्टोकरेंसी को सुरक्षित, पारदर्शी और विकेंद्रीकृत बनाए रखती है। क्रिप्टोकरेंसी को ट्रांसफर करने के लिए ब्लॉकचेन पर लेनदेन रिकॉर्ड करना ज़रूरी होता है। सरल शब्दों में, अगर क्रिप्टोकरेंसी पैसे हैं, तो ब्लॉकचेन वह बहीखाता है जहाँ इन पैसों का हिसाब-किताब रखा जाता है।

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