अध्यात्म

मीठा बोलने से जहां लाखों फायदे हैं, तो वहीं ज्यादा परिचय से होता है नुकसान बताते है आचार्य चाणक्य....

वर्तमान ही नही आचार्य चाणक्य सदियों से हमारे मार्गदर्शक रहे हैं। आचार्य के बताए नीति और सिद्धांत हमारे लिए कितने उपयोगी है इसके बारे मेें हम आज चर्चा करने जा रहे हैं। जीवन के छोटे-छोटे विषयों में भी आचार्य के मार्गदर्शन उपयोगी सिद्ध होते हैं।

वर्तमान ही नही आचार्य चाणक्य सदियों से हमारे मार्गदर्शक रहे हैं। आचार्य के बताए नीति और सिद्धांत हमारे लिए कितने उपयोगी है इसके बारे मेें हम आज चर्चा करने जा रहे हैं। जीवन के छोटे-छोटे विषयों में भी आचार्य के मार्गदर्शन उपयोगी सिद्ध होते हैं।

आचार्य चाणक्य का कहना है कि जीवन में मीठा बोलना सदैव फायदेमंद होता है। चाणक्य कहते हैं कि हर व्यक्ति को सदैव मीठा बोलना सबके लिए हितकर होती है। मीठा बोलने के लिए तो कई विचारकों लेखकों ने कहा है। मीठा बोलने के लिए कहा गया है कि

ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय।
औरों को शीतल करे आपहु शीतल होय।।

आमतौर पर देखा गया है कि एक अंजान व्यक्ति भी अगर किसी से मिलता है तो वह सिर्फ दो मीठे बोले ही चाहता है। आचार्य चाणक्य का मानना है कि हमारी एक मीठी बोली बडे से बडा बिगडे काम को बना सकता है। तो वहीं व्यक्ति को प्रसन्न करने वाली होता है।

आचार्य चाणक्य की नीतियों से जीवन की अहम समस्याओं का हल मिलता है। आचार्य कहते है कि हमें राजा, अग्नि, धर्म गुरू और स्त्री से ज्यादा परिचय नहीं बढ़ाना चाहिए। वहीं अगर बात देशी बातों हो तो कहा गया है कि घोडे की पछाडी और राजा की अगाडी हमेंशा घातक होती है।

वही आग से भी बराबर की एक निश्चित दूरी बनाकर ही उपयोग करना चाहिए। वही राजा की ज्यादा नजदीकी कभी-कभी नुक्सान देह होता है इसलिए राजा से भी एक निश्चिम दूरी बनाकर रखना चाहिए। जैसे आग के नजदीक जाने से हमारे जलने की सम्भावना बनी रहती हैं। वही स्त्री से जो बहुत परिचय बढ़ाता है वह भी घातक होता। इसलिए संबंध को सीमा पर रहकर रखना चाहिए।

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