अध्यात्म

युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं स्वामी विवेकानंद के कर्म और विचार

युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं स्वामी विवेकानंद के कर्म और विचार
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स्वामी विवेकानंद इस देश के नहीं पूरे विश्व के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका मत है कि अगर युवाओं की शक्ति का इनही उर्जा का सही दिशा में उपयोग किया जाय तो राष्ट्र का विकास नये आयाम तक जायेगा। इसे दुनिया की कोई शक्ति रोक नहीं सकती है। आज भी हमारे देश को युवाओं का देश कहा जाता है। देश में सर्वाधिक आवादी में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। 

स्वामी विवेकानंद इस देश के नहीं पूरे विश्व के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका मत है कि अगर युवाओं की शक्ति का इनही उर्जा का सही दिशा में उपयोग किया जाय तो राष्ट्र का विकास नये आयाम तक जायेगा। इसे दुनिया की कोई शक्ति रोक नहीं सकती है। आज भी हमारे देश को युवाओं का देश कहा जाता है। देश में सर्वाधिक आवादी में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है।

स्वामी जी के विचार और कर्म युवाओं के लिए सदैव प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे। स्वामी जी के विचारों की महत्ता इस आधुनिकता में भी समाप्त नहीं होगी। इनके विचार हमेशा युवाओं को ऊर्जा देते रहेंगे।

देश में ही नहीं विदेशों में भी स्वामी विवेकानंद के विचारों का सम्मान किया जाता है। माना जाता है कि स्वामी जी के विचार जीवन में आशा की एक अखंड किरण है। जो युवाओं के साथ ही सभी का मार्गदर्शन करती है। जीवन जीने की कला सिखाती है। स्वामी जी के विचारों को अपनाकर हम जिवन में सफलता के चरम तक पहुंच सकते हैं

स्वामी जी ने कभी यह नही चाह कि उनका विकास हो। वह न तो कभी अर्थ की तरफ भागे और नही कभी मोह ने सताया। वह निर्मल जलधारा की भाति बहते रहे और अपने ज्ञान से सभी को सिंचित करते रहे।

आज भी स्वामी विवेकानंद की कई पुस्तके जिसमें कर्म योग, राज योग, ज्ञान योग, भक्ति योग है जो हमें आज भी विकास की ओर ले जाने में सहायक है।

स्वामी विवेकानंद की कही बाते आज भी अमिट हैं और युवाओ के लिए प्रेरणास्रोत हैं। स्वामी जी युवाओ के आह्वान की लाइन जिसमें उन्होने कहा है कि उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो।

स्वामी विवेकानंद जी वेदों दृ उपनिषदों के महान ज्ञाता और एक प्रखर वक्ता रहे हैं। उनका सनातन धर्म और संस्कृति के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने विश्वभर में वेदांत दर्शन का प्रसार किया और पूरे विश्व को सनातन धर्म और संस्कृति से परिचित कराया।

स्वामी जी की शिक्षा का ही असर था कि भारत की गुलामी के समय में युवाओ में वह जोश पैदा किया किया। देश के युवाओं में राष्ट्रवाद जगी और वह भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए आगे आए। इनके विचारो का ही असर है कि युवाओं ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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