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शीतलाष्टमी आज, जानें इससे जुडी रोचक जानकारियां

Sheetala Ashtami 2022
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शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन को शीतलाष्टमी कहा गया है।

Sheetala Ashtami KI Jankari Hindi Mei: शीतलाष्टमी शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन को शीतलाष्टमी (Sheetala Ashtami) कहा गया है। इस दिन माता शीतला की पूजा करने पर विशेष फल प्राप्त होता है। माता शीतला के संबंध में कई सारी बातें प्रचलन में है। वही कहा गया है कि माता शीतला की पूजा करने से कई तरह के कष्टों का नाश हो जाता है। आइए जाने माता शीतला से जुड़ी कुछ विशेष बातें।

देवलोक से आई शीतला माता

माता शीतला देवलोक से ज्वारासुर के साथ आई थी। जरा सूर्य की उत्पत्ति भगवान शंकर के पसीने की जड़ से हुआ था। लेकिन पृथ्वी लोक पर आने के बाद राजा विराट ने उन्हें अपने राज्य में स्थान नहीं दिया। जिसके परिणाम स्वरूप राजा विराट के पूरे राज्य के नागरिकों में चेचक जैसे लाल दाने निकलने लगे। यह सब माता शीतला के क्रोध से हुआ था। राजा को इस बात की जानकारी होने के बाद माता के क्रोध को शांत करने के लिए विधि विधान से पूजा की गई। उन्हें स्थान दिया गया। साथ ही ठंडा दूध और कच्ची लस्सी उन पर चढ़ाई गई।

और भी कुछ बातें

  • स्कंद पुराण के अनुसार बताया गया है कि माता शीतला को चेचक जैसे रोगों के निदान की देवी कहा गया है। चेचक निकलने पर माता शीतला की पूजा करने से चेचक दूर हो जाते हैं।
  • शीतला माता की छवि बहुत ही मनभावन है। शीतला माता हाथों में कलश, सूप, मार्जन तथा नीम के पत्ते धारण किए हुए हैं।
  • माता शीतला की उत्पत्ति कौन ब्रह्मा जी से हुई है। ऐसा पौराणिक कथाओं में बताया गया है।
  • स्कंद पुराण में शीतला अष्टक नाम से स्त्रोत मिलता है। मान्यता है कि शीतला अष्टक स्त्रोत की रचना भगवान शंकर ने की थी।
  • गुड़गांव गुरुग्राम में शीतला माता का प्राचीन मंदिर स्थित है। दूर-दूर से लोग यहां माता शीतला का दर्शन करने और मन्नत मांगने आते हैं। मान्यता है कि शीतला माता का दर्शन करने उनकी पूजा करने से चेचक जैसे रोग नहीं निकलते हैं।
  • शीतला अष्टमी के दिन घर में प्राप्त करने वाले लोगों को ताजा भोजन नहीं करना चाहिए। 1 दिन पूर्व ही भोजन बना लिया जाता है और दूसरे दिन बासी भोजन करने पर शीतला माता प्रसन्न होती हैं।
  • कहा गया है कि जिस घर में चेचक के बीमार व्यक्ति हो उस घर में शीतला माता का व्रत नहीं करना चाहिए।
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