अध्यात्म

वासना समाप्त करने स्वयं पर नियंत्रण आवश्यक: स्वामी विवेकानंद

वासना समाप्त करने स्वयं पर नियंत्रण आवश्यक: स्वामी विवेकानंद
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स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि सभी जीवों को परमात्मा ने इस दुनिया में भेजा हैं। परमात्मा ने मुझे ज्ञान का एहसास कराया है। यह ज्ञान है स्वयं पर नियंत्रण पा लेने का। अगर मैं अपने आप में नियंत्रण पा लू तो वासना समाप्त हो जायेगी। फिर किसी के साथ कहीं भी रहा जा सकता है। कोई भी ब्रह्मचर्य को समाप्त नहीं कर सकता। इसके लिए आवश्यक है स्वयं पर नियंत्रण।

स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि सभी जीवों को परमात्मा ने इस दुनिया में भेजा हैं। परमात्मा ने मुझे ज्ञान का एहसास कराया है। यह ज्ञान है स्वयं पर नियंत्रण पा लेने का। अगर मैं अपने आप में नियंत्रण पा लू तो वासना समाप्त हो जायेगी। फिर किसी के साथ कहीं भी रहा जा सकता है। कोई भी ब्रह्मचर्य को समाप्त नहीं कर सकता। इसके लिए आवश्यक है स्वयं पर नियंत्रण।

स्वामी विवेकानंद के जीवन में एक ऐसा भी वक्त आया था जब इनते बडे ज्ञानी भी भ्रम में पड़ गये थे। वह काफी गुस्से में थे। लेकिन इस भ्रम और गुस्से से बाहर निकालने में एक सेक्स वर्कर का अहम योगदान था। जिसे स्वामी विवेकानंद ने अपना कर अपने जीवन में ढाल लिया था।

बात उन दिनों की है जब स्वामी विवेकानंद पूरे स्वामी नही बने थे। वह अमेरिका जाने के पहले वह कुछ दिनों तक जयपुर मे ंरूके थे। वहां के राजा उनके अत्याधिक प्रसंसकों में से एक थे। स्वामी विवेकानंद के आने पर राजा ने विशेष व्यवस्था करते हुए मनोरंजन के लिए एक सेक्स वर्कर को बुलाया था।

स्वामी जी को पहुंचते ही उस सेक्स वर्कर के बारे में पता चल गया और वह अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया। राजा के बार-बार बुलाने के बाद भी वह बाहर नही जिकले।

उस सेक्स वर्कर को इसकी जानकारी हो गई और वह नृत्य के साथ एक गाना गाने लगी। जिसमें उसका कहना था कि वह तो अज्ञानी है, वह समाज के योग्य नही है, अग्यानी हूं , पापी हूं लेकिन आप तो संत है, ज्ञानी है फिर मुझसे कैसा डर।

गुस्से से लाल स्वामी विवेकानंद के कानों मे जब यह गीत सुनाई दिया तो वह पश्याताप करने लगे। उन्हे लगा कि वह इससे क्यांे डर रहे हैं। वह कमरे से बाहर निकल आये। बाहर आकर सभी से मुलाकात की।

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