
सावन 2025: शिव पूजा विधि, मंत्र, कांवड़ यात्रा मान्यताएं और आने वाले त्योहारों की पूरी लिस्ट

सावन 2025: 11 जुलाई से 9 अगस्त तक सावन महीना रहेगा। सावन के इन 30 दिनों में रोज व्रत रखने की परंपरा है।
सावन 2025: भोलेनाथ का प्रिय सावन महीना आज, 11 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है, जो 9 अगस्त (रक्षा बंधन) तक चलेगा। इस पवित्र महीने में हर दिन शिव पूजा की परंपरा है। अगर आप मंदिर जाकर दर्शन-पूजन नहीं कर पा रहे हैं, तो घर पर ही बताई गई सरल विधि से शिव पूजा कर सकते हैं। इस साल सावन में चार सोमवार पड़ेंगे: 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई और 4 अगस्त।
यह खबर आपको शिव पूजन के लिए आवश्यक सामग्री, सरल पूजा विधि, शक्तिशाली शिव मंत्रों, सावन में कांवड़ यात्रा से जुड़ी मान्यताओं और इस त्योहारों के मौसम में सावन से देवउठनी एकादशी (1 नवंबर) तक मनाए जाने वाले सभी व्रत-त्योहारों की विस्तृत जानकारी देगी।
सावन से देवउठनी एकादशी तक: 114 दिन, 80 से अधिक व्रत-उत्सव
11 जुलाई से 9 अगस्त तक सावन महीना रहेगा। सावन के इन 30 दिनों में रोज व्रत रखने की परंपरा है। इस महीने में दो एकादशी पड़ेंगी, जो 21 जुलाई और 5 अगस्त को हैं। हरियाली अमावस्या 26 जुलाई को और नाग पंचमी 29 जुलाई को मनाई जाएगी।
सावन के बाद आने वाले प्रमुख त्योहार
सावन के खत्म होने के बाद, 16 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी, उसके बाद 19 अगस्त को एकादशी और 23 अगस्त को कुशोत्पादिनी एकादशी आएगी। हरतालिका तीज 26 अगस्त को है। 7 अगस्त से 6 सितंबर तक 10 दिनों का गणेश उत्सव शुरू हो जाएगा। 28 अगस्त को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाएगा।
पितृ पक्ष और नवरात्रि का महत्व
7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा का श्राद्ध होगा। 8 से 21 सितंबर तक 14 दिनों का पितृ पक्ष रहेगा, जो पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का समय है। इसके बाद, 29 सितंबर से 7 अक्टूबर तक 10 दिनों की नवरात्रि रहेगी, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है।
अक्टूबर और नवंबर के मुख्य पर्व
2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) मनाई जाएगी। 3 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी, 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा, और 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत होगा। 17 अक्टूबर को रमा एकादशी व्रत है। 18 से 23 अक्टूबर तक 6 दिनों की दीपावली रहेगी। इस बार कार्तिक अमावस्या दो दिनों तक रहेगी। 27 अक्टूबर को छठ पूजा और 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत किया जाएगा।
शिव पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
भगवान शिव की पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। इनमें तांबे का लोटा, गंगाजल, शुद्ध जल, दूध, दही, मिश्री, शहद, चंदन, बिल्व पत्र, चावल, जनेऊ, आंकड़े के फूल, धतूरा, भोग के लिए मिठाई, दूर्बा घास, अबीर, गुलाल, भांग, भस्म, इत्र, देवी पार्वती के लिए लाल चुनरी, कुमकुम, चूड़ियां और सिंदूर आदि शामिल हैं।
शिव पूजा के लिए शक्तिशाली मंत्र
शिव जी की पूजा करते समय इन मंत्रों का जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है:
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ सांब सदाशिवाय नमः
- ॐ गौर्य नमः मंत्र
- ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव
- ॐ उमा महेश्वराभ्यां नमः
इसके अलावा, महामृत्युंजय मंत्र का जप भी अत्यंत फलदायी माना जाता है:
ॐ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
कांवड़ यात्रा: चार प्रचलित मान्यताएं
सावन के महीने में भक्त अलग-अलग नदियों से कांवड़ में जल भरकर पैदल यात्रा करते हुए अपने इष्ट शिव मंदिर पहुंचते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। कांवड़ यात्रा से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं:
- राम और वैद्यनाथ धाम की कहानी: मान्यता है कि भगवान राम ने गंगा नदी का जल भरकर, वैद्यनाथ धाम में स्थित शिवलिंग पर जल चढ़ाया था।
- परशुराम का जलाभिषेक: एक और मान्यता के अनुसार, परशुराम ने भी गंगा नदी का जल भरकर शिव जी को चढ़ाया था।
- समुद्र मंथन और शिव का विषपान: तीसरी मान्यता बताती है कि जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया, तो सबसे पहले हलाहल विष निकला। इस विष को शिव जी ने पिया था। जब शिव जी ने इस ज़हरीली शक्ति को अपने भीतर समाहित कर लिया, तभी देवताओं ने उन्हें जल चढ़ाया। उस समय सावन में हरिद्वार से गंगा नदी का जल लेकर शिव जी के पास पहुंचा और भगवान शिव को जल चढ़ाया।
- श्रवण कुमार और हरिद्वार: चौथी मान्यता श्रवण कुमार से जुड़ी है। कहा जाता है कि श्रवण कुमार अपने माता-पिता को लेकर हरिद्वार पहुंचे थे। उनके माता-पिता ने शिव पूजा के लिए हरिद्वार से गंगा नदी का जल भरा और बाद में शिवलिंग पर जल चढ़ाया।
घर पर शिव पूजा के 10 सरल स्टेप्स
- संकल्प लें: सुबह स्नान करने के बाद मंदिर में या पूजा स्थल पर शिव पूजा करने का संकल्प लें।
- गणेश पूजा: सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी को स्नान कराएं, दूर्वा, हार-फूल चढ़ाएं, लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर उनकी आरती करें।
- शिवलिंग और पार्वती का अभिषेक: गणेश पूजन के बाद, पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर शिवलिंग और देवी पार्वती का अभिषेक करें।
- पंचामृत से अभिषेक: दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर पंचामृत बनाएं। इस पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें।
- शुद्ध जल से अभिषेक: पंचामृत से अभिषेक के बाद, साफ जल से शिवलिंग और देवी मां का अभिषेक करें।
- शिवलिंग का श्रृंगार: शिवलिंग पर चंदन, हार-फूल, बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, अबीर, गुलाल, इत्र, जनेऊ, वस्त्र आदि पूजन सामग्री चढ़ाकर श्रृंगार करें।
- पार्वती को चढ़ावा: देवी पार्वती को लाल चुनरी, चूड़ियां, कुमकुम, सिंदूर और लाल फूल चढ़ाएं।
- भोग लगाएं: मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- आरती करें: धूप-दीप और कपूर जलाकर भगवान की आरती करें।
- क्षमा प्रार्थना: अंत में भगवान से पूजा में हुई छोटी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगें।
भारत के प्रमुख ज्योतिर्लिंग और सावन की शुरुआत
सावन का महीना अलग-अलग राज्यों में तिथियों के अनुसार थोड़ा भिन्न होता है।
5 ज्योतिर्लिंग: 11 जुलाई से 9 अगस्त तक सावन
- महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश)
- ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश)
- विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश)
- बैद्यनाथ (झारखंड)
- केदारनाथ (उत्तराखंड)
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पूर्णिमा के अगले दिन से नए महीने की शुरुआत होती है, इसलिए यहां 11 जुलाई से सावन शुरू हो गया है।
7 ज्योतिर्लिंग: 25 जुलाई से 23 अगस्त तक सावन
- सोमनाथ (गुजरात)
- नागेश्वर (गुजरात)
- त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र)
- भीमाशंकर (महाराष्ट्र)
- घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र)
- मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश)
- रामेश्वरम (तमिलनाडु)
इन राज्यों में अमावस्या के अगले दिन से नए महीने की शुरुआत होती है, इसलिए यहां 25 जुलाई से सावन शुरू होगा।




