अध्यात्म

Ravana Defeats : राम से पहले रावण को किस-किसने हराया था? जानें कौन थे चार लोग जिन्होंने बुरी तरह रावण को पराजित किया था

Ravana Defeats : राम से पहले रावण को किस-किसने हराया था? जानें कौन थे चार लोग जिन्होंने बुरी तरह रावण को पराजित किया था
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Ravan Kitni Bar Parajit Hua Tha : श्री राम के पहले भी रावण को पराजय का सामना करना पड़ा था, श्रीराम के पहले रावण चार लोगों से हारा था।

Ravana Ko Kis-Kisne Haraya Tha : मान्यता के अनुसार अमृत के कारण रावण अमर था और बाद में उसकी मृत्यु श्रीराम के हाथों हुई थी, पृथ्वी पर एकछत्र राज करने वाले और देवताओं के राजा इंद्र को हराने वाले राक्षसराज रावण को राम के पहले भी चार लोगों ने हराया था, और रावण ने अपनी पराजय स्वीकार की थी.

रावण को किस-किसने हराया था? (Ravan Ko Kis-Kisne Haraya Tha?, Ravan Kitni Bar Hare The?)

रावण को श्रीराम के पहले निम्न चार लोगों ने हराया था, जिनमे से पहले नंबर पर बाली का नाम आता है,

बाली (Ravan Aur Bali Ka Yudh)

एक बार रावण किष्किंधा के राजा बाली (Raja Bali) से युद्ध करने पहुंच गया और बाली को मल्ल युद्ध की चुनौती दे डाली, बाली उसी समय पूजा कर रहा था, रावण के विघ्न डालने के बाद, बाली ने रावण को अपनी कांख में दबा लिया और उसके बाद। चारों समुद्रों की परिक्रमा की। अंत में सूर्य देव को अर्ध्य देने के बाद बाली ने रावण को छोड़ दिया था। पराजित होने के बाद रावण ने बाली से मित्रता कर ली थी।

सहस्त्रार्जुन (Ravan-Sahstrarjun Yudh)

सहस्त्रार्जुन (Sahastrarjun) एक क्षत्रिय राजा थे। जो की माहिष्मती (Mahishyamati) के राजा थे, उनके हजार हाथ होने के कारण उन्हें सहस्त्रबाहु (Sahastrabahu) भी कहा जाता था। रावण ने सहस्त्रबाहु से दो युद्ध लड़े थे, पहली बार सेना के साथ आये रावण को देखकर सहस्त्रार्जुन ने अपने हजार हाथों से नर्मदा नदी के बहाव को रोककर, रावण की सेना पर पानी छोड़ दिया, जिसके बाद रावण की सेना नर्मदा के बहाव में बह गई थी।

पहली पराजय के बाद रावण दोबारा युद्ध के लिए सहस्त्रार्जुन के पास पहुंचा जहां सहस्त्रबाहु ने रावण को बंदी बना लिया था. और बाद में कारागार में डाल दिया था।

राजा बलि (Ravan Aur Raja Bali Ka Yudh)

राजा बलि (Raja Bali) पाताल लोक के राजा थे, जिनसे युद्ध करने रावण पाताललोक तक पहुंच गया था, पाताललोक में पहुंचकर रावण ने दैत्यराज बलि (Daityaraj Bali) को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन राजा बलि के पहुंचने से पहले ही रावण को उनके महल में खेल रहे बच्चों ने घोड़ो के अस्तबल में बांध दिया था। बाद में रावण वहां से निकलने में कामयाब हो गया था

महादेव (Ravan Aur Bhagwan Shankar Ka Yudh)

रावण को अपने बाहुबल पर बहुत अधिक घमंड था, और इसी घमंड के कारण उसने शिवजी (Lord Shiv) को युद्ध की चुनौती दे डाली थी, लेकिन भगवान शिव कैलाश पर्वत (Kailash Parvat) पर ध्यान में लीन थे. तभी रावण कैलाश पर्वत को उठाने लगा, लेकिन शंकर जी ने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश को नीचे धकेला, जिससे रावण का हाथ पहाड़ के नीचे दब गया।

बाद में रावण ने क्षमा याचना करके रावण ने भगवान शिव को अपना गुरु बना लिया।

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