अध्यात्म

विजया एकादशी के दिन रहें ब्रत, माता लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की होगी विशेष कृपा...

Aaryan Dwivedi
28 Feb 2021 9:07 AM GMT
फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की ग्याहरवीं तिथि को जो एकादशी आती है उसे विजया एकादशी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार इस एकादशी का विशेष महत्व है। इस एकादशी मंे विधि विधान से ब्रत करने से माता श्री लक्ष्मी तथा भगवान श्री मन्नाराण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस बार विजया एकादशी 9 मार्च 2021 दिन मंगलवार को पड़ रही है।

फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की ग्याहरवीं तिथि को जो एकादशी आती है उसे विजया एकादशी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार इस एकादशी का विशेष महत्व है। इस एकादशी मंे विधि विधान से ब्रत करने से माता श्री लक्ष्मी तथा भगवान श्री मन्नाराण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस बार विजया एकादशी 9 मार्च 2021 दिन मंगलवार को पड़ रही है।

पद्म पुराण के अनुसार स्वयं महादेव ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था, एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है।एकादशी को सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है। धार्मिक मान्यता अनुसार जो मनुष्य प्रत्येक एकादशी का व्रत करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वही यह भी मान्यता है कि विजया एकादशी करने उसका पुण्य लाभ ब्रत करने वाले को तो मिलता ही है। साथ में उसके कुल के पितृ और पूर्वजों को भी मिलता है। कहा जाता है कि पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक चले जाते और वह पूर्वज भी आर्शीवाद देते है।

इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है। वहीं उसे सुखों की प्राप्ति होती है। भगवान श्री नारायण सभी का कल्याण करते है। उनकी उपासना करने में विशेष ध्यान देना चाहिए।
कहा गया है कि भगवान विष्णु ही मोक्ष को देने वाले हैं। इसलिए भगवान श्री विष्णु की पूजा उपासना हर मानव तन पाने वाले को अवश्य करनी चाहिए।
विजया एकादशी हर माह को पडने वाली एकादशी की तरह ही है। विजया एकादशी का व्रत दशमी तिथि से ही आरंभ होता है। ऐसे में ब्रती को दशवी के दिन रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए किया जाता है कि दूसरे दिन एकादशी के दिन ब्रती के पेट में अन्न का अंश न रहे।

एकादशी के दिन सबसे पहले स्नानादि करने के पश्चात माता एकादशी और भगवान विष्णु का ध्यान देते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिएं। फिर भगवान विष्णु की धूप दीप तिलक कर विशेष पूजा करनी चाहिए। भगवान को पुष्प चढाने चाहिए। साथ में एकादशी ब्रत के माहत्म का अध्ययन करना चाहिए।

वहीं द्वादशी तिथि को प्रातः स्नानादि करने के बाद भगवान की पूजा करें तथा भोजन प्रसाद किसी ब्राह्मण को करवाना चाहिए तथा याथ शक्ति दक्षिण देकर विदा करनी चाहिए। वही बाद में स्वयं भी व्रत का पारण करें। ऐसा करने से भगवान श्री विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

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