अध्यात्म

विवाहित स्त्रियां भूल कर भी पैरों से न उतारे बिछिया, जानिए कारण?

विवाहित स्त्रियां भूल कर भी पैरों से न उतारे बिछिया, जानिए कारण?
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विवाहित स्त्रियां भूल कर भी पैरों से न उतारे बिछिया, जानिए कारण? Married women should not take off their feet even after forgetting.

विवाह के समय कई ऐसे आभूषण लड़कियों को पहनाए जाते हैं जिनका उपयोग लड़कियां पहले नहीं की होती। इन आभूषणों के संबंध में कहा जाता है कि विवाह के बाद पहनाई जाने वाले आभूषण सुहाग की निशानी है। यह आभूषण कन्या का सकल मनोरथ पूर्ण करने में सहयोगी होता है। लेकिन सुनने में आज के दौर के बच्चों को शायद अटपटा लगता हो लेकिन यह 100 फ़ीसदी सत्य है। हमारे वैज्ञानिकों ने भी सुहागन स्त्रियों के धारण करने वाले आभूषणों के संबंध में वैज्ञानिक कारण बताए हैं।

बिछिया धारण करने का वैज्ञानिक कारण

शादी के समय स्त्रियों को पैर में बिछिया पहना जाता है। यह बिछिया चांदी का बना होता है। इसकी विशेषता यह है कि इसे लक्ष्मी के स्वरूप माना गया है। सुहागन स्त्री यही कि से धारण करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कमर के नीचे सोने के आभूषण नहीं पहनने चाहिए। इसे माता लक्ष्मी का अपमान बताया गया है। इसीलिए पैरों में चांदी की बिछिया पहनी जाती है और पायल भी चांदी की ही होती है।

वैज्ञानिक तथ्य

वैज्ञानिकों का कहना है कि बिछिया और पायल पहनने का मतलब है शरीर में ऊर्जा का बेहतर संचार होना। चांदी विद्युत का सुचालक माना गया है जो धरती की पोलर ऊर्जा को सोखता है। और इसे सोखकर शरीर में पहुंचाता है। इस ऊर्जा की वजह से महिलाओं में नकारात्मकता की कमी होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है।

बिछिया अंगूठे की बगल वाली उंगली में पहनाई जाती है यह एक्यूप्रेशर का भी काम करती है। बगल वाली उंगली की नसें सीधे हृदय को तथा गर्भाशय को प्रभावित करती हैं। बीच वाली उंगली पर जैसे ही पर असर पड़ता है तो वह हृदय की गति को सुचारू करता है। महिलाओं के मासिक धर्म में भी यह एक्युप्रेशर बहुत कारगर है। जो बिछिया पहने से प्राप्त होता है।

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