
जन्माष्टमी 2025: कब है कान्हा का जन्मोत्सव, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Janmashtami 2025: इस साल, कृष्ण जन्माष्टमी 15 और 16 अगस्त, 2025 को लगातार दो दिनों तक मनाई जाएगी।
जन्माष्टमी 2025: आज 11 जुलाई से सावन का माह शुरू हो रहा है, इसके ठीक अगले महीने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। हिंदुओं में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत खास महत्व रखता है। यह पर्व दुनिया भर में कृष्ण भक्तों द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह दिन कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिनका जन्म इसी शुभ तिथि को हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, जिसका विशेष महत्व है। इस वर्ष कृष्ण की 5252वीं जयंती मनाई जाएगी। इस साल, कृष्ण जन्माष्टमी 15 और 16 अगस्त, 2025 को लगातार दो दिनों तक मनाई जाएगी।
जन्माष्टमी 2025: तिथि और समय
जन्माष्टमी का त्योहार, भगवान कृष्ण के जन्म के क्षणों को दर्शाता है। इस वर्ष अष्टमी तिथि 15 अगस्त, 2025 को रात 11:49 बजे शुरू होगी और 16 अगस्त, 2025 को रात 09:34 बजे समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त, 2025 को सुबह 04:38 बजे से शुरू होकर 18 अगस्त, 2025 को सुबह 03:17 बजे तक रहेगा।
पूजा के लिए निशिता काल का समय 16 अगस्त, 2025 को रात 12:03 बजे से 12:46 बजे तक रहेगा। पारण का समय 16 अगस्त, 2025 को रात 09:34 बजे के बाद है। मध्य रात्रि का क्षण 16 अगस्त, 2025 को रात 12:25 बजे रहेगा, जबकि चंद्रोदय 10:45 बजे कृष्ण दशमी पर होगा।
जन्माष्टमी पर्व का महत्व
हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार का बहुत अधिक महत्व है। इसे पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। कृष्ण को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, जिन्हें सभी कृष्ण भक्त बहुत पूजते हैं। उनका जन्म देवकी और वासुदेव के घर हुआ था। कारागार में होने के बावजूद, माता देवकी ने कृष्ण को आधी रात में जन्म दिया, जब वे राक्षस कंस की कैद में थे। कंस, जो कृष्ण का मामा था, को बाद में कृष्ण ने ही मारा।
कृष्ण जन्माष्टमी: पूजा विधि
जन्माष्टमी के दिन भक्त भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
- सुबह स्नान और घर की सफाई: भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं। वे अपने घरों और पूजा स्थल को साफ करते हैं, इसे फूलों, गुब्बारों और रोशनी से सजाते हैं।
- लड्डू गोपाल का श्रृंगार: भक्त लड्डू गोपाल को स्नान करवाते हैं और उन्हें नए कपड़े, आभूषण व मोर पंख से सजाते हैं। वे चंदन का तिलक लगाते हैं और फूल, विभिन्न प्रकार की मिठाइयां और पंचामृत चढ़ाते हैं।
- भजन और मंत्रोच्चार: इस पवित्र दिन पर, भक्त भजन गाते हैं और भगवद गीता के श्लोकों का पाठ करते हैं। वे पूरा दिन कृष्ण को समर्पित करते हैं और विभिन्न मंत्रों का जाप करते हैं। लोग इस दिन को अपार खुशी और उत्सव के साथ मनाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी मंत्र
पूजा के दौरान अन्य दिनों या जन्माष्टमी को मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है:
- ओम क्लीं कृष्णाय नमः..!!
- ओम नमो भगवते वासुदेवाय..!!




