Tulsi Mala Niyam: अगर पहनते हैं तुलसी की माला तो पहले जान लीजिये इसके जरूरी नियम
Tulisi Mala Pahanne Ke Niyam: जैसा कि हम जानते हैं कि तुलसी से एक पवित्र पौधा पृथवी पर कोई दूसरा नही है। इसे हर घर में माता लक्ष्मी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। वही हमारे हिंदू सनातन धर्म में तुलसी की माला बनाकर धारण करना बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है। लेकिन इस माला को धारण करने का कुछ नियम है। आइए जाने क्या है तुलसी की माला धारण करने का नियम।
तुलसी उत्पत्ति की कहानी
पौराणिक कथाओं की मान्यता के अनुसार वृंदा नाम की महिला के पति की हत्या भगवान विष्णु ने कर दी। क्योंकि वृंदा का पति एक राक्षस था। उसके आसुरी आतंक की वजह से भगवान विष्णु ने ऐसा किया था। लेकिन पति की मृत्यु से दुखी होकर वृंदा ने भगवान विष्णु को गंडकी नदी का पत्थर हो जाने शाप दिया था।
इससे दुखी होकर माता लक्ष्मी वृंदाके पास पहुंची। वृंदा ने माता लक्ष्मी की निवेदन को सुनते हुए उन्हें श्राप मुक्त किया। साथ ही माता लक्ष्मी ने वृंदा को आशीर्वाद दीया की अब तुम्हारा सम्मान मेरे बराबर होगा।
भगवान विष्णु को तुमने जिस नदी का पत्थर बनाया है उस नदी के पत्थर की पूजा शालिग्राम भगवान की तरह होगी। तुम एक तुलसी के पौधे के रूप में जन्म लोगी। जब तक शालिग्राम की मूर्ति पर तुलसी का पत्ता नहीं चढ़ेगा पूजा अधूरी मानी जाएगी।
तुलसी की माला पहनने के नियम
कहा गया है कि जो भी व्यक्ति तुलसी की माला धारण करता है उसे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तुलसी की माला धारण करने के पूर्व उसे गंगाजल से धोकर पूजा कर धारण करना चाहिए। कहा तो यहां तक जाता है के अपने हाथ से तुलसी की माला बनाकर पहनना सबसे उत्तम है।
साथ ही कहा गया है कि उन लोगों को तुलसी की माला कतई नहीं पहननी चाहिए जो मांस मदिरा का सेवन करते हैं। सात्विक भोजन करने वाले व्यक्ति ही तुलसी की माला धारण करें।
कहा गया है कि जो व्यक्ति मांस मदिरा का सेवन करता है। और तुलसी की माला भी धारण करता है उसे जीवन में कई तरह के कष्ट प्राप्त होते हैं। यहां तक कि मृत्यु होने के पश्चात भी उसे नर्क की यातना भोगनी पड़ती है।