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Hal Shashti 2022: पुत्र दीर्घायु हो इस संकल्प के साथ माताएं रखेंगी व्रत, जानें मुहूर्त और विधि

Hal Shashti 2022: पुत्र दीर्घायु हो इस संकल्प के साथ माताएं रखेंगी व्रत, जानें मुहूर्त और विधि
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Hal Shashti 2022: हलषष्टी व्रत की मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान को कोई भी कष्ट नहीं मिलते हैं।

Hal Shashti Shubh Muhurt, Puja Vidhi: माताएं अपने पुत्रों के दीर्घायु की कामना लेकर हलषष्ठी का व्रत (Hal Shashti) रखेंगी। इस वर्ष हलषष्ठी का व्रत 17 अगस्त को पड़ रहा है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान को कोई भी कष्ट नहीं मिलता। इस व्रत की अपनी अलग विधि और कुछ अलग ही आहार की व्यवस्था है। जिसका पालन महिलाएं व्रत के दौरान करती हैं। आइए जाने हलषष्ठी व्रत रखने वाली महिलाओं पूजन विधि, मुहूर्त, व्रत का महत्व के बारें में।

क्या है पूजन विधि

Hal Shashti Puja Vidhi: सबसे पहले हम व्रत पूजन विधि (Hal Shashti Vrat Puja Vidhi) के बारे में जानकारी लेंगे। क्योंकि किसी भी पूजा में सर्वाधिक आवश्यक पूजन विधि की होती है। हलषष्ठी का व्रत करने वाली महिलाओं को महुआ का दातुन करना चाहिए। सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र दीवार पर अंकित करें। घर के अंदर तालाब बनाकर उसने झरबेरी पलाश और कांस के पौधे लगाए। इसके पश्चात उसी स्थान पर शिव और पार्वती की प्रतिमा रखकर पूजन करें। इस दिन भगवान को भी महुआ दही और लाल चावल का भोग लगाना चाहिए। इस दिन भैंस के दूध, घी तथा लाल चावल, सूखे मेवे आदि का सेवन व्रत करनी वाली महिलाओं को करना चाहिए।

साथ ही बताया गया है कि इस दिन महिलाओं को चाहिए की इन्ही सब चीजों को प्रसाद लोगों को बांटें। कई जगह इस व्रत में बांस से बनी टोकरी की पूजा पुत्र स्वरूप मानकर की जाती हैं। इसके लिए एक कुडवारा यानीकि 7 नग छाटी बांस की नई टोकरी लाकर पूजा करें।

कब है शुभ मुहूर्त

Hal shashti 2022 Shubh Muhurt: हलषष्ठी व्रत के लिए शुभ मुहूर्त (Hal Shasthi Vrat Shubh Muhurt) का जानना आवश्यक है। पंचागों में बताया गया है कि 16 अगस्त मंगलवार को रात 8 :19 से षष्ठी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। यह तिथि 17 अगस्त दिन बुधवार को रात 9 : 21 तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर बताया गया है कि हलषष्ठी व्रत 17 अगस्त को रखा जाना चाहिए।

क्या है महत्व

Hal Shashti Vrat Mahatva: हलषष्ठी व्रत संतान की प्राप्ति तथा संतान की सुख समृद्धि के लिए माताएं रखती हैं। नवविवाहित स्त्रियां संतान प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं। इस व्रत को करने से पुत्र की आयु में वृद्धि तथा यस और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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