अध्यात्म

Gaya ji Pind Daan : पितरों को लेकर लोग क्यों जाते हैं गया धाम, जानें गया धाम के रहस्य

Gayadham Katha
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Gaya Ji Pind Daan Mahatva: पितृपक्ष, पितरों को प्रसन्न करने का सबसे बढ़िया समय बताया गया है।

Gaya ji Me Pinddaan Kyun Karte Hain: पित्रपक्ष 2022 (Pitra Paksha 2022) का शुभारंभ 10 सितंबर से हो रहा है। पितृपक्ष प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अनन्त चतुदर्शी के दिन से प्रारम्भ होता है जो अश्विन मास की आमावस्या तिथि को समाप्त होता है। पित्रपक्ष में पितरों को घर में स्थापित कर उन्हें भोजन आदि प्रदान किया जाता है। श्राद्ध तथा तर्पण (Tarpan) किया जाता है। यह पितरों को प्रसन्न करने का सबसे बढ़िया समय बताया गया है। वहीं पित्रपक्ष (Pitrapaksha) में पुत्र अपने पिता को गया धाम (Gaya Dham) ले जाते हैं। कई बार लोगों के मन में यह प्रश्न आता होगा कि लोग पितरों को लेकर गया धाम क्यों जाते हैं। आइये इसके बारे में जानकारी लें।

पितरों के लिए श्रेष्ठ है गया

Gaya Ji Pinddan Mahatva: पितरों कि निमित्त गया धाम को सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। तभी तो कहा गया है कि अगर पितरों का श्राद्धकर्म एवं पिंडदान गया धाम में कर दिया तो अन्यत्र दुबारा पिंडदान करने की आवश्यकता नहीं है।

गया को मोक्षधाम भी कहा जाता है। यहा पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं जो व्यक्ति अपने पिता को लेकर गया धाम जाता है उसे भी कई तरह के फल प्राप्त होते हैं।

गया में पिण्डदान के कई स्थल

Gaya Ji Pinddan Places:

  • गया में पिंडदान के लिए कई स्थान हैं। बताया जाता है कि पूर्वकाल में गया धाम में 360 वेदियों थी। जहां पिंडदान किया जाता था। लेकिन अब मात्र 48 ही बची हैं। गया जानें के बाद पवित्र स्थल फल्गु नदी का तट, अक्षय वट, विष्णुपद मंदिर सबसे प्रमुख है। यहां अवश्य पिंडदान करना चाहिए।
  • इसके अलावा भीं गयाधाम में कई स्थान हैं जहां पिंडदान किया जाना चाहिए। जिसमें प्रेतशिला, रामशिला, ब्रह्मयोनि, पांडुशिला, वैतरणी, सीताकुंड, रामकुंड, नागकुंड, कागबलि मंगलागौरी आदि स्थल प्रमुख हैं। यहां भी पिडदान अवश्य करना चाहिए।
  • इन स्थानो में पिंडदान करने से 108 कुल और सात पीढ़ियों तक का उद्धार हो जाता है। तभी तो विश्व में पितरों की मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ तीर्थस्थल माना गया है।
  • गयाधाम में पितरो का तर्पण करने से पिता के पक्ष से दादा यानीकि बाबा, परदारा, और वृद्ध परदादा तथा माता के पक्ष से माता, नानी और वृद्ध परनानी सहित कई पूर्वज जाते है। यह तीन पीढ़ियां तो अवश्य जाती है।
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